मकर संक्रांति का पर्व परंपरागत रूप से श्रद्धालओं ने 14 जनवरी को मनाया। गोरखनाथ मंदिर में दूरदराज से श्रद्धालु आए, इस लिहाज से 13 जनवरी को ही उनके ठहरने के लिए परिसर में व्यवस्था की गई थी। गोरखनाथ मंदिर में मकरसंक्रांति का पर्व निर्विवाद रूप से 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। मंदिर में खिचड़ी मेला शुरू हो चुका है। मंदिर के मुख्य पुजारी कमलनाथ ने इसे एक दिन बाद मनाने की वजह बताई।
गोरखनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी कमलनाथ के अनुसार इस साल शुभ संवत2076 शाके 1941 सूर्य उत्तरायण ऋतै माघ मास कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि बुधवार को प्रात: 8.24 पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसकी वजह से संक्रांति का पूर्ण काल रात्रि 2.48 बजे से प्रारंभ होकर सायं काल सूर्यास्त तक रहेगा। इस नाते मकरसंक्रांति का पर्व 15 को मनाया जाएगा।
कमलनाथ ने बताया कि धनु राशि से मकर राशि में संक्रमण ही मकरसंक्रांति कहलाता है। भगवान सूर्य इसी तिथि को उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। इसलिए हर प्रकार के मांगलिक और पुण्य कार्य इस तिथि से होने शुरू हो जाते हैं। मकरसंक्रांति के दिन स्नान, दान का महत्व शास्त्रों में विशेष रूप से वर्णित है। इस त्योहार को अलग-अलग प्रांतों में विभिन्न नामों से जाना जाता है।
कमल नाथ ने ये भी बताया कि गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने के लिए देश के अलग-अलग प्रांतों के अलावा नेपाल से भी लोग भारी संख्या में बाबा को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। बताया कि लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा का विशेष ख्याल रखते हुए पूरी तैयारी की गई है। मंदिर में जगह-जगह अलावा की व्यवस्था रहेगी। बिजली की आपूर्ति मंदिर में 24 घंटे रहेगी।
गुरु गोरखनाथ में 24 घंटे बिजली बहाल रखने के लिए कई जनरेटर भी रखे गए हैं। मंदिर और मेला परिसर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जगह-जगह सीसी टीवी कैमरे लगाए गए हैं। मकरसंक्रांति के बाद 28 को बुढ़वा मंगल मनाया जाएगा। उन्होंने लोगों से अपील की है कि खिचड़ी चढ़ाने के लिए पॉलिथीन में न लाएं, क्यों कि मेला क्षेत्र पॉलिथीन मुक्त घोषित किया गया है।