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GST की टीम ने मारा छापा: 11 माह से मुर्दा कर रहा था कारोबार, जांच में पकड़ी गई चालाकी

रोहित सिंह, गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Wed, 22 Feb 2023 05:09 PM IST
सार

डिप्टी कमिश्नर सुनील वर्मा के नेतृत्व में सोमवार को दुकान की जांच की गई तो पता चला कि दुकान का पंजीकरण प्रोपराइटर शमशुल हक के नाम पर था। हक का निधन मार्च 2022 में हो गया है, लेकिन परिवार की तरफ से इस संबंध में कोई विधिक कार्रवाई नहीं की गई।

 

GST team raided dead man doing business for 11 months
महाराजगंज में कपड़े की दुकान के बाहर खड़ी जीएसटी की टीम और पीछे खड़ी टीम की गाड़ियां। - फोटो : अमर उजाला।

विस्तार
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महराजगंज के परतावल में एक दिवंगत व्यापारी 11 माह से कारोबार कर रहा था। अपनी फर्म से 13 ई वे बिल के माध्यम से 11.73 लाख रुपये की खरीदारी की है। जीएसटी की टीम ने जांच में कर चोरी और गलत तरीके से संचालन को पकड़ा है। यही नहीं, दिवंगत की पत्नी के नाम से भी फर्म संचालित की जा रही थी। इसके स्टॉक में गड़बड़ी मिलने पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।



वस्तु एवं सेवा कर की एसआईबी की टीम को सूचना मिली थी कि महाराजगंज के परतावल में एक कपड़े की दुकान में बड़े पैमाने पर कर चोरी की जा रही है। पिछले छह माह में जीएसटी की टीम त्योहार और अन्य मौकों पर उक्त दुकान पर रेकी कर सुबूत जुटा रही थी।


डिप्टी कमिश्नर सुनील वर्मा के नेतृत्व में सोमवार को दुकान की जांच की गई तो पता चला कि दुकान का पंजीकरण प्रोपराइटर शमशुल हक के नाम पर था। हक की मौत मार्च 2022 में हो गया है, लेकिन परिवार की तरफ से इस संबंध में कोई विधिक कार्रवाई नहीं की गई।

मसलन फर्म का नाम, प्रोपराइटर का नाम, खाता संख्या आदि नहीं बदला गया। पुराने नाम-पते और खाता संख्या पर व्यापार जारी रहा। फर्म ने गोरखपुर के अलावा लखनऊ और कानपुर के व्यापारियों से थोक में कपड़े बुक करके ई वे बिल जारी किए हैं।

वहीं, इसी जगह पर एक दूसरा प्रतिष्ठान भी मिला। शमशुल हक की पत्नी नाजरा खातून के नाम से दूसरी फर्म संचालित की जा रही थी। इस फर्म में जांच के दौरान बिक्री के साथ स्टॉक दुकान में रखे जाने का भौतिक साक्ष्य मौजूद नहीं था। जीएसटी ने इस फर्म पर 5 लाख रुपये का जुर्माना वसूला है। संवाद

 

कार्रवाई के समय लेनी पड़ी जिला प्रशासन की मदद

एडिश्नल कमिश्नर ग्रेड वन विमल कुमार राय ने कहा कि महराजगंज की दो फर्मों पर निगाह रखी जा रही थी। एक फर्म मृतक प्रोपराइटर के नाम से व्यापार कर रही थी। दूसरी फर्म में मृतक की पत्नी के नाम से व्यापार चल रहा था। नियमानुसार कार्रवाई की गई है।

जीएसटी की टीम जब परतावल में व्यापारी के परिसर में कार्रवाई के लिए पहुंची तो भीड़ जमा हो गई। जीएसटी की तरफ से छह गाड़ी से टीम जांच करने गई थी। अचानक से खुद को घिरता देख जीएसटी की टीम ने जिला प्रशासन से सहयोग मांगा। डीएम और एसडीएम ने टीम भेजकर जीएसटी टीम को सहयोग दिया।

मृतक के नाम से व्यापार करना गलत
किसी दिवंगत के नाम से व्यापार करना गलत है। जीएसटी के एक अधिकारी ने बताया कि अगर मृतक के नाम पर व्यापार किया जा रहा है तो ये दूसरे व्यापारी के साथ आर्थिक अपराध की श्रेणी में आ जाता है। मसलन, दूसरे व्यापारी से फर्म के नाम पर लाखों रुपये की खरीद बिक्री कर ली। बदले में मृतक से उस रकम की वसूली करने के दौरान फर्म द्वारा इन्कार किया जा सकता। इसके बाद मामला धोखाधड़ी और जालसाजी में आ सकता है।



 
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