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गोरखपुर में निजीकरण के विरोध में बिजली अधिकारी और कर्मचारी सोमवार को कार्य बहिष्कार पर रहे। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ा। प्रशासन की व्यवस्था फेल हो गई। तकनीकी खराबी की वजह से शहर से लेकर देहात तक के कई इलाकों में सुबह से तो कई क्षेत्रों में दोपहर बाद से बिजली गुल रही। बिजली नहीं होने से गीडा के कई कारखानों में काम ठप रहा। देर रात तक आपूर्ति बहाल नहीं हुई तो लोग सड़कों पर उतरने लगे। कई जगहों पर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। जाम लगाया और बिजली उपकेंद्रों को घेर लिया।
हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को सड़कों पर उतरना पड़ा। पुलिस की गश्त बढ़ाई गई और उपकेंद्रों पर पुलिस कर्मी तैनात किये गए। वहीं, बिजली गायब रहने से लोगों को गर्मी में काफी परेशानी झेलनी पड़ी। बाजारों में कारोबार प्रभावित हुआ। इंवर्टर डिस्चार्ज हो गए। मोटर नहीं चलने से घरों में पानी का संकट खड़ा हो गया।
बिजली की लाइन में तकनीकी खराबी होने से दोपहर 12 बजे से सात उपकेंद्रों के करीब 35 फीडरों से जुड़े इलाकों में बिजली गुल हो गई। इससे शहर के लगभग एक लाख घरों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई, जोकि देर रात तक सही नहीं हो सकी। लंबे समय तक बिजली गायब रहने से घरों में लगे इंवर्टर जवाब दे गए। लोग प्रशासन की तरफ से बनाए गए कंट्रोल रूम नंबरों पर फोन करते रहे, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका।
बताते हैं कि दोपहर 12 बजे बरहुआ ट्रांसमिशन से आने वाली लाइन में तकनीकी फाल्ट हो गया। इस वजह से लाल डिग्गी, नार्मल और रुस्तमपुर उपकेंद्र बंद हो गया। इसी बीच शाहपुर, दुर्गाबाड़ी, सहजनवा, सहजनवा तहसील उपकेंद्र भी बंद हो गया। हड़ताल पर होने की वजह से बिजली कर्मचारियों के मोबाइल फोन बंद रहे। जगन्नाथपुर के शालीन श्रीवास्तव ने बताया कि दोपहर में अचानक बिजली गुल होने की वजह से इंवर्टर भी डिस्चार्ज हो गया। बिजली घर गए तो पता चला कि कोई जिम्मेदार है ही नहीं।
राप्तीनगर, दुर्गाबाड़ी और नार्मल उपकेंद्र पर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया। सुबह से बिजली गायब रहने की वजह से लोगों में काफी नाराजगी थी। स्थानीय अधिकारियों के मोबाइल नंबर बंद रहने से लोगों की नाराजगी और बढ़ गई। दुर्गाबाड़ी बिजली घर पर एसडीएम स्थानीय पार्षद के साथ पहुंचे। जायजा लेकर जल्द बिजली बहाल करने का आश्वासन दिया।
डीएम कोविड कंट्रोल नंबर रहा व्यस्त
दोपहर दो बजे तक डीएम कोविड कंट्रोल रूम में बिजली गुल होने की 250 से अधिक शिकायतें आ चुकी थीं। यहां पर तैनात कर्मचारियों के पास शिकायतों पर कोई उचित जवाब नहीं था।
लेखपालों ने नहीं लिया चार्ज
विद्युत कर्मचारी संघर्ष मोर्चा के सचिव ऐश्वर्य सिंह ने बताया कि प्रशासन की तरफ से नियुक्त लेखपालों ने बिजली घरों का चार्ज नहीं लिया। इसके बाद भी एसएसओ अपनी जिम्मेदारी निभाते रहे। लगातार 20 घंटे से अधिक काम करने की वजह से उन्हें भी काफी परेशानी हुई। रात आठ बजे उन्होंने बिजली घरों को लेखपालों के भरोसे छोड़ दिया।
इन इलाकों में गुल रही बिजली
दुर्गाबाड़ी, सूरजकुंड, बक्शीपुर, तारामंडल, रुस्तमपुर, आजाद चौक, ट्रांसपोर्ट नगर, रेती, नक्खास, घंटाघर, हट्टी माई थान, जगन्नाथपुर, अलहदादपुर, मियां बाजार, गीडा, सहजनवां व तहसील इलाका, घंटाघर, बसंतपुर, माली टोला, बनकटी चक, भगत चौराहा, बगहा बाबा मंदिर इलाका, दुर्गा चौक, रानीडीहा, महुईसुघरपुर, रायगंज समेत अन्य इलाकों में बिजली गुल रही।
गोरखपुर में निजीकरण के विरोध में बिजली अधिकारी और कर्मचारी सोमवार को कार्य बहिष्कार पर रहे। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ा। प्रशासन की व्यवस्था फेल हो गई। तकनीकी खराबी की वजह से शहर से लेकर देहात तक के कई इलाकों में सुबह से तो कई क्षेत्रों में दोपहर बाद से बिजली गुल रही। बिजली नहीं होने से गीडा के कई कारखानों में काम ठप रहा। देर रात तक आपूर्ति बहाल नहीं हुई तो लोग सड़कों पर उतरने लगे। कई जगहों पर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। जाम लगाया और बिजली उपकेंद्रों को घेर लिया।
हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को सड़कों पर उतरना पड़ा। पुलिस की गश्त बढ़ाई गई और उपकेंद्रों पर पुलिस कर्मी तैनात किये गए। वहीं, बिजली गायब रहने से लोगों को गर्मी में काफी परेशानी झेलनी पड़ी। बाजारों में कारोबार प्रभावित हुआ। इंवर्टर डिस्चार्ज हो गए। मोटर नहीं चलने से घरों में पानी का संकट खड़ा हो गया।
बिजली की लाइन में तकनीकी खराबी होने से दोपहर 12 बजे से सात उपकेंद्रों के करीब 35 फीडरों से जुड़े इलाकों में बिजली गुल हो गई। इससे शहर के लगभग एक लाख घरों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई, जोकि देर रात तक सही नहीं हो सकी। लंबे समय तक बिजली गायब रहने से घरों में लगे इंवर्टर जवाब दे गए। लोग प्रशासन की तरफ से बनाए गए कंट्रोल रूम नंबरों पर फोन करते रहे, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका।
बताते हैं कि दोपहर 12 बजे बरहुआ ट्रांसमिशन से आने वाली लाइन में तकनीकी फाल्ट हो गया। इस वजह से लाल डिग्गी, नार्मल और रुस्तमपुर उपकेंद्र बंद हो गया। इसी बीच शाहपुर, दुर्गाबाड़ी, सहजनवा, सहजनवा तहसील उपकेंद्र भी बंद हो गया। हड़ताल पर होने की वजह से बिजली कर्मचारियों के मोबाइल फोन बंद रहे। जगन्नाथपुर के शालीन श्रीवास्तव ने बताया कि दोपहर में अचानक बिजली गुल होने की वजह से इंवर्टर भी डिस्चार्ज हो गया। बिजली घर गए तो पता चला कि कोई जिम्मेदार है ही नहीं।
तीन उपकेंद्रों पर स्थानीय लोगों ने किया हंगामा
राप्तीनगर, दुर्गाबाड़ी और नार्मल उपकेंद्र पर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया। सुबह से बिजली गायब रहने की वजह से लोगों में काफी नाराजगी थी। स्थानीय अधिकारियों के मोबाइल नंबर बंद रहने से लोगों की नाराजगी और बढ़ गई। दुर्गाबाड़ी बिजली घर पर एसडीएम स्थानीय पार्षद के साथ पहुंचे। जायजा लेकर जल्द बिजली बहाल करने का आश्वासन दिया।
डीएम कोविड कंट्रोल नंबर रहा व्यस्त
दोपहर दो बजे तक डीएम कोविड कंट्रोल रूम में बिजली गुल होने की 250 से अधिक शिकायतें आ चुकी थीं। यहां पर तैनात कर्मचारियों के पास शिकायतों पर कोई उचित जवाब नहीं था।
लेखपालों ने नहीं लिया चार्ज
विद्युत कर्मचारी संघर्ष मोर्चा के सचिव ऐश्वर्य सिंह ने बताया कि प्रशासन की तरफ से नियुक्त लेखपालों ने बिजली घरों का चार्ज नहीं लिया। इसके बाद भी एसएसओ अपनी जिम्मेदारी निभाते रहे। लगातार 20 घंटे से अधिक काम करने की वजह से उन्हें भी काफी परेशानी हुई। रात आठ बजे उन्होंने बिजली घरों को लेखपालों के भरोसे छोड़ दिया।
इन इलाकों में गुल रही बिजली
दुर्गाबाड़ी, सूरजकुंड, बक्शीपुर, तारामंडल, रुस्तमपुर, आजाद चौक, ट्रांसपोर्ट नगर, रेती, नक्खास, घंटाघर, हट्टी माई थान, जगन्नाथपुर, अलहदादपुर, मियां बाजार, गीडा, सहजनवां व तहसील इलाका, घंटाघर, बसंतपुर, माली टोला, बनकटी चक, भगत चौराहा, बगहा बाबा मंदिर इलाका, दुर्गा चौक, रानीडीहा, महुईसुघरपुर, रायगंज समेत अन्य इलाकों में बिजली गुल रही।