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11 year old child stucked in lift for 45 minutes in a society of Greater Noida
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Greater Noida: 45 मिनट तक लिफ्ट में फंसा रहा 11 साल का बच्चा, मेंटेनेंस के अलावा गार्ड की भी थी गलती
माई सिटी रिपोर्टर, ग्रेटर नोएडा
Published by: Vikas Kumar
Updated Thu, 06 Oct 2022 03:14 AM IST
सार
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बच्चा मिलने के बाद अभिभावक अन्य निवासियों के साथ मुख्य गेट पर सुरक्षाकर्मियों के पास पहुंचे। आरोप है कि लिफ्ट में कैमरा लगा है। उसकी फुटेज गार्ड रूम में चलती रहती है। साथ ही अलार्म भी बजाया गया था, लेकिन गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी कानों में ईयर फोन लगाकर बैठा हुआ था।
ग्रेनो वेस्ट की पैरामाउंट इमोशंस सोसाइटी के टावर-एस की लिफ्ट में मंगलवार की रात 11 साल का एक बच्चा 45 मिनट तक फंसा रहा। बच्चा अपने दोस्त के फ्लैट से नीचे जा रहा था। तभी अचानक लिफ्ट बंद हो गई। काफी देर इधर-उधर तलाश करने के बाद परिजनों का ध्यान लिफ्ट पर गया तो बच्चा अंदर मिला। तब उसे बाहर निकाला गया। देर रात सोसाइटी में काफी हंगामा हुआ। मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को शांत कराया।
अजय अपने परिवार के साथ सोसाइटी के टावर यू की छठीं मंजिल पर रहते हैं। मंगलवार की रात उनका 11 साल का बेटा अपने दोस्त के पास गया था। दोस्त टावर-एस के 16वीं मंजिल पर रहता है। पिता ने बताया कि रात करीब 11 बजे बेटे के दोस्त के पिता के पास फोन किया तो पता चला कि वह निकल गया है और पांच मिनट में आ जाएगा, लेकिन 15 मिनट बाद भी वह नहीं पहुंचा। चिंता होने पर वो बेटे को तलाश करने बाहर निकले। पूरी सोसाइटी में तलाश किया, लेकिन कहीं नहीं मिला। सोसाइटी में दुर्गा पूजा महोत्सव में भी तलाश किया लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली। उन्होंने बताया कि आखिर में टावर एस में बेटे के दोस्त के घर पहुंचा तो उन्होंने बताया कि बेटे को लिफ्ट में बैठा दिया था। उसके बाद लिफ्ट देखी तो वह 15वें व 16वें फ्लोर के बीच में अटकी थी। लिफ्ट के पास जाकर देखा तो बेटा उसके अंदर फंसा हुआ था। उसके बाद सोसाइटी की मेंटेनेंस टीम को सूचना दी गई। करीब 45 मिनट बाद बेटे को लिफ्ट के अंदर से बाहर निकला गया।
मेंटेनेंस टीम पर बरसे अभिभावक व निवासी
बच्चा मिलने के बाद अभिभावक अन्य निवासियों के साथ मुख्य गेट पर सुरक्षाकर्मियों के पास पहुंचे। आरोप है कि लिफ्ट में कैमरा लगा है। उसकी फुटेज गार्ड रूम में चलती रहती है। साथ ही अलार्म भी बजाया गया था, लेकिन गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी कानों में ईयर फोन लगाकर बैठा हुआ था। इस कारण उसने अलार्म की आवाज नहीं सुनी और ना ही सीसीटीवी फुटेज देखी। इस बात को लेकर सुरक्षाकर्मियों के साथ काफी कहासुनी भी हुई। उसके बाद पुलिस को बुलाया गया। पुलिस ने निवासियों को शांत कराया और सुरक्षाकर्मियों को फटकार लगकर व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए।
45 मिनट तक भटकते रहे मां-बाप
रात करीब 11 बजे बच्चा दोस्त के यहां से निकला था। तब से 11:45 बजे अजय अपने परिवार के साथ बेटे को तलाश कर रहे थे। कई टावर में जाकर लिफ्ट भी देखी, लेकिन कहीं पता नहीं लगा। मां पूरी तरह टूट चुकी थी। सोसाइटी में बच्चे का फोटो भी वायरल किया गया, लेकिन कहीं से मदद नहीं मिली। आखिर में पिता वापस बेटे के दोस्त के पास पहुंचा।
खर्च कम करने के लिए सुविधाओं से समझौता
ग्रेनो वेस्ट की ज्यादातर सोसाइटियों में निवासी मेंटेनेंस की खराब सुविधा से परेशान हैं। कहीं पर स्टॉफ की कमी तो कहीं पर बिल्डिंग संबंधी समस्याएं है। लिफ्ट का रखरखाव करने वाली एजेंसियों को रखने में भी लापरवाही बरती जाती है। मेंटेनेंस एजेंसी भी कम शुल्क पर रखी जाती है। लोगों का आरोप है कि बिल्डर खर्च बचाने के चक्कर में सुविधाओं से समझौता करते है।
मेंटेनेंस शुल्क के चक्कर में नहीं देते एओए को जिम्मेदारी
यूपी अपार्टमेंट एक्ट के तहत अगर किसी प्रोजेक्ट में 66 प्रतिशत खरीदारों को कब्जा मिल जाता है तो बिल्डर को वहां पर एओए का गठन करना होगा। गठन करने के तुरंत बाद एओए को रखरखाव की जिम्मेदारी देनी होगी, लेकिन अधिकतर बिल्डर ऐसा नहीं करते है। मेंटेनेंस शुल्क के नाम पर हर सोसाइटी में करोड़ों रुपये आता है। जबकि सोसाइटी के मेंटेनेंस पर उतना खर्च नहीं किया जाता है। इस लालच में बिल्डर एओए को जिम्मेदारी नहीं दे रहे हैं। कई सोसाइटियों में एओए रखरखाव की जिम्मेदारी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं काफी जगह बिल्डर अधूरी सुविधाओं के बीच जिम्मेदारी देना चाह रहे हैं, लेकिन निवासी ऐसा नहीं होने दे रहे हैं।
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