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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गांव टीकली में पीपल का पाैधा लगाकर किया परियोजना का शुभारंभ
अफ्रीका और चीन के बाद भारत में बनने वाली तीसरी बड़ी ग्रीन वॉल 1400 किलोमीटर होगी लंबी
हरियाणा में यह दीवार नूूंह, गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ से होकर निकलेगी
संवाद न्यूज एजेंसी
गुरुग्राम। थार के मरुस्थल के विस्तार को रोकने के लिए विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल विकसित किया जा रहा है। इसकी कुल लंबाई अरावली पर्वत शृंखला से दोगुनी होगी। यह ग्रीन वॉल देश के तीन राज्यों से होकर गुजरेगी। शनिवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने पीपल का पौधा लगाकर गुरुग्राम के गांव टीकली से हरित दीवार निर्माण की शुरुआत कर दी है। पांच किलोमीटर चौड़ी और 1400 किलोमीटर लंबी यह ग्रीन वॉल गुजरात के पोरबंदर से लेकर हरियाणा के पानीपत तक बनाई जाएगी। 2030 तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
हरियाणा में यह दीवार नूूंह, गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ से होकर निकलेगी। इसके निर्माण से दक्षिण हरियाणा में स्थित अरावली पर्वत माला के पूर्व के स्वरूप में लौटने की उम्मीद की जा रही है। विश्व वानिकी दिवस को लेकर जारी गतिविधियों के तहत अरावली पर्वत शृंखला में हरियाली व जल संरक्षण को प्रोत्साहन देने लिए केंद्र ने हरियाणा सरकार के सहयोग से अरावली ग्रीन वॉल परियोजना की शुरुआत की है।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस कड़ी में ग्रीन वॉल की रूपरेखा तैयार की जा रही है। इसके लिए राष्ट्रीय कार्य योजना की भी शुरुआत हो गई है। इस अवसर पर सोहना के विधायक संजय सिंह, हरियाणा के पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विनीत गर्ग, भारत सरकार में वन महानिदेशक सीपी गोयल, पीसीसीएफ जगदीश चंद्र, एपीसीसीएफ विवेक सक्सेना, गुरुग्राम की सीसीएफ वासवी त्यागी, डीएफओ राजीव तेजयान, बादशाहपुर के एसडीएम सतीश यादव व टीकली गांव की सरपंच पूजा देवी सहित अन्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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अवैध खनन और शहरीकरण के कारण सिमट गए अरावली के पहाड़
बीते दो दशक में तथाकथित विकास और अवैध खनन के कारण अरावली की पहाड़ियां समतल हो चुकी हैं। अब यह भारत के पश्चिम और पाकिस्तान की ओर से आने वाली धूल भरी हवाओं को रोकने में अक्षम साबित हो रही है। इससे राजस्थान और हरियाणा का बड़ा हिस्सा मरुस्थल की चपेट में आ गया है। वर्ष 2021 में जारी इसरो की रिपोर्ट इसकी पुष्टि हो चुकी है। यही कारण है कि बीते लंबे समय ग्रीन वॉल परियोजना की जरूरत महसूस की जा रही थी।
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अफ्रीकी द ग्रेट ग्रीन वॉल से मिली प्रेरणा
इस परियोजना की प्रेरणा भारत सरकार को अफ्रीका में बन रही दा ग्रेट ग्रीन वॉल से मिली है। इसे सहारा रेगिस्तान के अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण में हो रहे विस्तार को रोकने के लिए तैयार किया जा रहा है। पेड़ों की यह कतार पश्चिम में स्थित देश सेनेगल से लेकर पूर्वी अफ्रीकी देश जिबूती तक होगी। इसकी कुल लंबाई 6164 किमी है। इसे विश्व की सबसे लंबी ग्रीन वॉल के रूप में जाना जाता है। इस परियोजना की शुरुआत अफ्रीकी देशों द्वारा 2007 में की गई थी। इस परियोजना का 17 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है।
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विश्व की दूसरी बड़ी ग्रीन वॉल तैयार कर रहा चीन : चीन के उत्तर में स्थित गोबी रेगिस्तान को अपनी राजधानी बीजिंग की ओर पहुंचने से रोकने के लिए चीन सरकार ने 1978 में ही ग्रीन वॉल योजना को मंजूरी दी थी। चीन का यह प्रोजेक्ट 2050 में जाकर पूरा होगा। यह ग्रीन वॉल किसी-किसी स्थान पर 45 किलोमीटर तक चौड़ी और करीब 4500 किलोमीटर लंबी है।
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संयुक्त राष्ट्र में हुई थी ग्रीन वॉल पर चर्चा : सितंबर 2018 में आयोजित इस सम्मेलन में बंजर भूमि को पुनर्जीवित करने पर चर्चा हुुई थी। भारत सरकार की यह योजना मरुस्थल से निपटने के लिए आयोजित हुए इसी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के कॉप 24 के एजेंडे का हिस्सा है।
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विस्थापितों की समस्या आ सकती है योजना के आड़े : ग्रीन वॉल के लिए चिन्हित किए क्षेत्र में बसे लोगों के लिए दूसरे क्षेत्र की पहचान करना होगा मुश्किल काम। पानीपत से पोरबंदर के रास्ते में लाखों लोग हरित दीवार के लिए चिन्हित किए गए क्षेत्र में रहते हैं। सरकार ने विस्थापितों के लिए नए क्षेत्र के चुनाव पर विचार करना शुरू कर दिया है।
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भारत की कई पर्वत शृंखलाओं से लंबी होगी ग्रीन वॉल : भारत के पश्चिम में स्थित अरावली, मध्य में स्थित विंध्या व दक्षिण में स्थित सह्याद्री के पर्वतों से भी लंबी होगी मानव निर्मित पेड़ों की पट्टी। बता दें कि अरावली की लंबाई 692 किलोमीटर है। जबकि विंध्या पर्वत शृंखला 1086 और सह्याद्री पर्वत शृंखला 640 किलोमीटर है।