आम आदमी पार्टी सरकार में वर्ष 2015 में मंत्री पद ग्रहण करने के बाद से ही बेबाक बोलने वाले कपिल मिश्रा को लेकर कई बार केजरीवाल व पार्टी को अहसज होना पड़ा है।
टैंकर घोटाले में आप सरकार की जांच रिपोर्ट की फाइल रोकने का मामला उठाने के बाद उन्हें कानून मंत्री का पद छोड़ना पड़ा, अब कुमार विश्वास में पार्टी से ज्यादा विश्वास जताने पर उन्हें पद छोड़ना पड़ा। लेकिन उन्होंने इसके पीछे टैंकर घोटाले के जरिये राजनीतक डील के संकेत दिए हैं।
कुमार विश्वास के भाजपा के प्रति नरम होने के आरोप पार्टी के भीतर लगते रहे हैं लेकिन कपिल मिश्रा की मां अन्नपूर्णा मिश्रा नगर निगमों के विभाजन के बाद 2012 में पूर्वी दिल्ली नगर निगम में भाजपा से मेयर बनी थीं।
उस समय कपिल मिश्रा ही अपनी मां का सारा कामकाज संभालते थे, जाहिर है भाजपा का झंडा थामकर उन्होंने काम किया है। अब दोनों के विद्रोही होने पर पार्टी के भविष्य को लेकर कुछ कह पाना मुश्किल है।
21 विधायकाें के लाभ के पद में सदस्यता खतरे में होने के अलावा विश्वास व मिश्रा के प्रति करीब एक दर्जन विधायक आस्था रखते हैं। आधा दर्जन विधायक पहले ही पार्टी के विरोध में बोलते रहे हैं।
ऐसे में कपिल मिश्रा अगर कोई बड़ा खुलासा टैंकर घोटाले में आप नेता या सरकार के खिलाफ करते हैं तो इस सरकार की मुसीबत बढ़ सकती है। सूत्र बताते हैं कि विपक्ष इस पर नजर रखने के अलावा कुछ आप नेताओं के संपर्क में भी है।
दरअसल, जब व कानून मंत्री थे तो टैंकर घोटाले पर दिल्ली सरकार की जांच रिपोर्ट को सीबीआई या एसीबी के पास नहीं भेजने पर उन्होंने सवाल उठाए थे। इस दौरान उन्होंने ट्वीट कर यह भी कहा था कि इसके बाद उनका मंत्री पद जा सकता है।
इसके बाद उन्हें कानून मंत्री के पद सेे हटा दिया गया। अब उनका कहना है कि उन्होंने टैंकर घोटाले के संबंध में मुख्यमंत्री केजरीवाल को चौंकाने वाली जानकारी दी, जिसे वे रविवार को जनता को देंगे। उनका संकेत था कि इस जानकारी के बाद उनका मंत्री पद गया। इसके अलावा भी पार्टी को कई बार उनके बयान व रुख पर असहज होना पड़ा।
पिछले दिनों ईवीएम पर पार्टी लाइन से अलग उन्होंने इसे जनता की राय बता दिया था। करावल नगर के कार्यक्रम में उन्होंने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी के साथ मंच शेयर किया। हालांकि प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव के साथ जब ठीक ऐसी ही स्थिति आई थी तो उन्होंने प्रशांत व शांति भूषण का विरोध करते हुए केजरीवाल का पूरा साथ दिया था।
दरअसल, पिछले दिनों विधायक अमानतुल्लाह खां के कुमार विश्वास के खिलाफ बोलने पर कपिल मिश्रा विश्वास के साथ खड़े हो गए थे। कुमार को केजरीवाल मनाने में कामयाब रहे लेकिन विश्वास के हावभाव से लग रहा था कि सब कुछ ठीक नहीं हुआ है।
अमानतुल्लाह खां को कल कई समितियों में स्थान देने के साथ कुमार विश्वास के नजदीकियों से पद छीन लिए गए। इससे यह स्पष्ट हो गया कि कुमार विश्वास के साथ आगे नहीं चलने वाले।
अब जल प्रबंधन ठीक से नहीं करने का आरोप लगाते हुए कपिल की छुट्टी की गई है लेकिन माना जा रहा है कि कुमार विश्वास का साथ देने पर ही उन्हें यह कीमत चुकानी पड़ी। कुमार ने ट्वीट से स्पष्ट कर दिया कि पार्टी से उन्हें दो-दो हाथ करने हैं।
अगर तू दोस्त है तो फिर ये खंजर क्यूं है हाथों में, अगर दुश्मन है तो फिर मेरा सिर क्यों नहीं जाता..। कपिल मिश्रा को मंत्री पद से हटाने के बाद राजधानी से बाहर गए कुमार विश्वास ने अपने ट्वीट में इस शेर के जरिए अपनी बात कही।
जाहिर है कि विश्वास के साथ विश्वास जताने पर कपिल मिश्रा की छुट्टी पर विश्वास की प्रतिक्रिया तुरंत ही आनी थी। उन्होंने इस शेर के अलावा कहा कि देश और कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाता हूं कि हम भ्रष्टाचार के खिलाफ अंदर और बाहर आवाज उठाना जारी रखेंगे, परिणाम चाहे कुछ भी हो, भारत माता की जय।
आम आदमी पार्टी सरकार में वर्ष 2015 में मंत्री पद ग्रहण करने के बाद से ही बेबाक बोलने वाले कपिल मिश्रा को लेकर कई बार केजरीवाल व पार्टी को अहसज होना पड़ा है।
टैंकर घोटाले में आप सरकार की जांच रिपोर्ट की फाइल रोकने का मामला उठाने के बाद उन्हें कानून मंत्री का पद छोड़ना पड़ा, अब कुमार विश्वास में पार्टी से ज्यादा विश्वास जताने पर उन्हें पद छोड़ना पड़ा। लेकिन उन्होंने इसके पीछे टैंकर घोटाले के जरिये राजनीतक डील के संकेत दिए हैं।
कुमार विश्वास के भाजपा के प्रति नरम होने के आरोप पार्टी के भीतर लगते रहे हैं लेकिन कपिल मिश्रा की मां अन्नपूर्णा मिश्रा नगर निगमों के विभाजन के बाद 2012 में पूर्वी दिल्ली नगर निगम में भाजपा से मेयर बनी थीं।
उस समय कपिल मिश्रा ही अपनी मां का सारा कामकाज संभालते थे, जाहिर है भाजपा का झंडा थामकर उन्होंने काम किया है। अब दोनों के विद्रोही होने पर पार्टी के भविष्य को लेकर कुछ कह पाना मुश्किल है।