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शिक्षा व काम करने की योग्यता के मद्देनजर कड़कड़डूमा अदालत ने एक महिला को उसके पति से गुजारा भत्ता दिलाने से इनकार कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि महिला शादी से पहले भी फैशन डिजाइनिंग का काम करती थी और जिंदा रहने के लिए अपने पति पर निर्भर नहीं है। वह आगे भी काम कर सकती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुराधा शुक्ला भारद्वाज ने महिला की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि दंपति की कोई संतान नहीं है। इसलिए महिला अपने पति की तरह ही काम करने व खुद की देखभाल करने के लिए स्वतंत्र है।
बता दें कि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने महिला को गुजारा भत्ता दिलाने से इनकार कर दिया था। महिला ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को सेशन कोर्ट में चुनौती दी। पुनर्विचार याचिका में महिला ने कहा कि उसका पति उससे अलग हो चुका है। वह गुजारे के लिए पति पर निर्भर है। उसकी याचिका को खारिज करने का निचली अदालत का निर्णय सही नहीं है।
मामले की सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत में याची ने स्वीकार किया था कि वह फैशन डिजाइनिंग का काम करती थी। उसने यह कहीं नहीं कहा कि शादी के बाद वह काम करने लायक क्यों नहीं रही।
कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले के आधार पर महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि अगर पति व पत्नी समान रूप से शिक्षित हैं तो दोनों को अपनी देखभाल खुद करनी चाहिए।
शिक्षा व काम करने की योग्यता के मद्देनजर कड़कड़डूमा अदालत ने एक महिला को उसके पति से गुजारा भत्ता दिलाने से इनकार कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि महिला शादी से पहले भी फैशन डिजाइनिंग का काम करती थी और जिंदा रहने के लिए अपने पति पर निर्भर नहीं है। वह आगे भी काम कर सकती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुराधा शुक्ला भारद्वाज ने महिला की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि दंपति की कोई संतान नहीं है। इसलिए महिला अपने पति की तरह ही काम करने व खुद की देखभाल करने के लिए स्वतंत्र है।
बता दें कि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने महिला को गुजारा भत्ता दिलाने से इनकार कर दिया था। महिला ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को सेशन कोर्ट में चुनौती दी। पुनर्विचार याचिका में महिला ने कहा कि उसका पति उससे अलग हो चुका है। वह गुजारे के लिए पति पर निर्भर है। उसकी याचिका को खारिज करने का निचली अदालत का निर्णय सही नहीं है।
मामले की सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत में याची ने स्वीकार किया था कि वह फैशन डिजाइनिंग का काम करती थी। उसने यह कहीं नहीं कहा कि शादी के बाद वह काम करने लायक क्यों नहीं रही।
कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले के आधार पर महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि अगर पति व पत्नी समान रूप से शिक्षित हैं तो दोनों को अपनी देखभाल खुद करनी चाहिए।