अदालत ने पैगंबर मुहम्मद पर भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ हिंसा का आह्वान करने मामले में आरोपी भीम सेना के अध्यक्ष नवाब सतपाल तंवर को जमानत प्रदान कर दी। तंवर पर आरोप है कि उन्होंने एक ट्वीट पोस्ट कर नुपुर शर्मा की जीभ काटने वाले को एक करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी।
पुलिस ने उनके ट्वीट में इस्तेमाल किए गए शब्द अत्यधिक उत्तेजक और सार्वजनिक शांति के खिलाफ मानते हुए उन्हें गिरफ्तार किया था। यह भी आरोप लगाया गया कि तंवर द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो के विश्लेषण पर यह पाया गया कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एक ही तरह की दुश्मनी, नफरत और द्वेष को बढ़ावा दिया गया।
पटियाला हाउस कोर्ट के ड्यूटी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट देव सरोहा ने तंवर को इस शर्त पर जमानत दे दी कि जब भी जरूरत होगी वह जांच में पूरा सहयोग करेंगे। अदालत ने केस डायरी का हवाला देते हुए कहा कि नौ जून को धारा 504, 506 और 509 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी और पूरे वीडियो के विश्लेषण के एक दिन बाद धारा 153ए को जोड़ा गया था।
अदालत ने कहा कि यह पहला मामला है कि जो उस जल्दबाजी को दिखाती है जिसमें पहले एफआईआर दर्ज की गई और फिर पूरे वीडियो का विश्लेषण किया गया। पूछताछ के बावजूद जांच अधिकारी जवाब देने में विफल रहा है कि उसने एफआईआर दर्ज करने की इतनी जल्दी क्यों की, जब उन्होंने पूरा वीडियो नहीं देखा था।
अदालत ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच अधिकारी ने हरियाणा में तंवर के आवास पर छापेमारी की थी। हालांकि, जब वह वहां नहीं मिला तो जांच अधिकारी अन्य पुलिसकर्मियों के साथ तंवर के पैतृक गांव गया और पता चला कि वह हरियाणा का रहने वाला है।
जांच अधिकारी के अनुसार, जांच में पता चला कि तंवर उत्तर प्रदेश के देवबंद में है लेकिन जब 16 जून को उसके गुरुग्राम, हरियाणा में होनने की सूचना मिली तो उसे गिरफ्तार किया गया। जांच अधिकारी के आचरण पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा ये परिस्थितियां कुछ प्रासंगिक सवाल भी उठाती हैं। जब जांच अधिकारी गांव खांडसा गए थे तो वह आरोपी के घर क्यों नहीं गए। वह केवल गांव पहुंचे और जानकारी प्राप्त की कि आरोपी कहीं और रहता है।
अदालत ने सवाल किया कि जांच अधिकारी ने सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत गांव के पते पर या गुरुग्राम, हरियाणा में नोटिस लगाने का प्रयास क्यों नहीं किया। अदालत ने कहा कि इससे पता चलता है कि अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य के फैसले का पालन करने का कोई प्रयास नहीं किया गया और जांच अधिकारी बिना अनुपालन के आरोपी को गिरफ्तार करना चाहता था।
अदालत ने यह भी कहा कि 17 जून को ड्यूटी एमएम के आदेश के बावजूद कोई मेडिकल रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई। अदालत ने कहा यह भी तथ्य कि आरोपी भीम सेना का सदस्य है और भीम सेना कोई प्रतिबंधित संगठन नहीं है। इसके अलावा कोई डीडी प्रविष्टि नहीं मिली है जो यह दिखा सकती है कि जांच अधिकारी उनके द्वारा बताए गए किसी भी स्थान पर गया था।
तंवर की ओर से पेश वकील ने तर्क रखा कि उनके मुवक्किल को इस मामले में झूठा फंसाया गया और गिरफ्तारी के बाद उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर किया गया जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उन्होंने कहा कि पुलिस हिरासत में उनकी हत्या की संभावना है। अदालत ने सभी तथ्यों को देखने के बाद आरोपी की जमानत 50 हजार रुपये के निजी मुचलके व एक अन्य जमानत राशि पर स्वीकार कर ली।
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अदालत ने पैगंबर मुहम्मद पर भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ हिंसा का आह्वान करने मामले में आरोपी भीम सेना के अध्यक्ष नवाब सतपाल तंवर को जमानत प्रदान कर दी। तंवर पर आरोप है कि उन्होंने एक ट्वीट पोस्ट कर नुपुर शर्मा की जीभ काटने वाले को एक करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी।
पुलिस ने उनके ट्वीट में इस्तेमाल किए गए शब्द अत्यधिक उत्तेजक और सार्वजनिक शांति के खिलाफ मानते हुए उन्हें गिरफ्तार किया था। यह भी आरोप लगाया गया कि तंवर द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो के विश्लेषण पर यह पाया गया कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एक ही तरह की दुश्मनी, नफरत और द्वेष को बढ़ावा दिया गया।
पटियाला हाउस कोर्ट के ड्यूटी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट देव सरोहा ने तंवर को इस शर्त पर जमानत दे दी कि जब भी जरूरत होगी वह जांच में पूरा सहयोग करेंगे। अदालत ने केस डायरी का हवाला देते हुए कहा कि नौ जून को धारा 504, 506 और 509 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी और पूरे वीडियो के विश्लेषण के एक दिन बाद धारा 153ए को जोड़ा गया था।