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AIIMS to check for uterine cancer with artificial intelligence device, will speed up screening of women
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Delhi: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिवाइस से गर्भाशय कैंसर की जांच करेगा एम्स, महिलाओं की स्क्रीनिंग में आएगी तेजी
गर्भाशय कैंसर की रोकथाम के लिए तैयार हुई देसी वैक्सीन मौजूदा समय में उपलब्ध वैक्सीन से दस गुना सस्ती हो सकती है। यह अगले माह से उपलब्ध होने की संभावना है। देश में हर साल करीब 1.2 लाख महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर होता है। इसमें से 65 फीसदी महिलाओं की मौत हो जाती है।
गर्भाशय कैंसर की संभावित मरीजों की पहचान शुरूआती दौर में करने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, (एम्स) दिल्ली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिवाइस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के साथ काम कर रहा है। इसकी मदद से कम स्टाफ में भी महिलाओं की स्क्रीनिंग बेहतर ढ़ग से की जा सकेगी, जिसका फायदा देश के दूर-दराज क्षेत्रों में महिलाओं की स्क्रीनिंग के लिए हो सकेगा। दरअसल फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (फोग्सी) ने साल 2030 तक देश को गर्भाशय कैंसर मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत देश में स्क्रीनिंग तेज करने के साथ लोगों तक इसकी पहुंच बनाने के लिए काम किए जा रहे हैं।
एम्स के स्त्री रोग विभाग की प्रमुख प्रोफेसर नीरजा भाटला ने बताया कि डिवाइस का अभी ट्रायल चल रहा है। डिवाइस गर्भाशय की एक साथ उच्च गुणवत्ता की कई सारी तस्वीरें लेने में सक्षम है। एम्स के डॉक्टर उन तस्वीरों की पहचान कर इस डिवाइस में आंकड़े फीड कर रहे हैं जिनमें गर्भाशय के कैंसर का खतरा हो सकता है। इसके बाद इसमें मौजूद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खींची गई तस्वीरों के जरिए खुद यह पता लगा सकता है कि किस महिला के गर्भाशय के मुख पर दिख रहे बदलाव कैंसर होने का इशारा कर रहे हैं। अभी तक की जांच में काफी हद तक सटीक नतीजे मिले हैँ। डॉ नीरजा ने बताया कि बाजार में अब बैटरी से चलने वाले कोलपोस्कोप मशीनें भी आ गई हैं जिससे गांव देहात तक में गर्भाशय के कैंसर की जांच की जा सकती है।
दस गुना सस्ती होगी देसी वैक्सीन
गर्भाशय कैंसर की रोकथाम के लिए तैयार हुई देसी वैक्सीन मौजूदा समय में उपलब्ध वैक्सीन से दस गुना सस्ती हो सकती है। यह अगले माह से उपलब्ध होने की संभावना है। देश में हर साल करीब 1.2 लाख महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर होता है। इसमें से 65 फीसदी महिलाओं की मौत हो जाती है। इस कैंसर से सुरक्षा के लिए बाजार में एचपीवी से बचाव का टीका मौजूद है। जो काफी महंगा है। फोग्सी अध्यक्ष डॉक्टर शांता कुमारी ने बताया कि गर्भाशय के कैंसर की सबसे बड़ी वजह एचपीवी वायरस है। इससे बचाव के लिए 9 से 15 साल तक की लड़कियों को टीका लगाया जा सकता है। इस दौरान उन्होंने 2030 तक गर्भाशय के कैंसर के खात्मे का लक्ष्य भी रखा है। इसके लिए 15 साल तक की 90 फ़ीसदी लड़कियों को साल 2030 तक एचपीवी वायरस का टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
30 के बाद करवानी होती है जांच
डॉ. भाटला ने कहा कि 30 साल की बाद हर महिला को गर्भाशय कैंसर की जांच करवानी चाहिए। 30 से 35 साल की उम्र की महिलाओं में यह सर्वाधिक होने वाला कैंसर है। इसकी जांच में प्री-कैंसर स्टेज का भी पता चलता है। कैंसर होने के 5-10 साल पहले ही जांच से इसका पता लगाया जा सकता है।
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