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Kedarnath: टैक्सी की तरह एक घंटे में 25 चक्कर लगा रहे सात हेलिकॉप्टर, शोर से वन्यजीवों पर पड़ रहा असर

विनय बहुगुणा, अमर उजाला, रुद्रप्रयाग Published by: अलका त्यागी Updated Tue, 23 May 2023 12:36 PM IST
सार

केदारनाथ धाम तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा है। साथ ही केदारघाटी से केदारनाथ का रास्ता भी दो तरफा वी आकार की संकरी घाटी जैसा है, जो अतिसंवेदनशील है।

Kedarnath Dham Seven helicopters making 25 rounds in an hour like a taxi
जौलीग्रांट हेलीपैड से उड़ान भरता हेलीकॉप्टर - फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो

विस्तार

केदारघाटी के हेलिपैड से केदारनाथ के लिए संचालित हो रहे हेलिकॉप्टर एक घंटे में 25 से ज्यादा चक्कर लगा रहे हैं। इस दौरान एक हेलिकॉप्टर कम से कम तीन से पांच चक्कर लगा रहा है। विशेषज्ञ हेलिकॉप्टरों की उड़ान को हिमालय की सेहत के लिए शुभ नहीं मान रहे, जबकि एक दशक पूर्व पूरा क्षेत्र आपदा की मार झेल चुका है।



समुद्रतल 11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा है। साथ ही केदारघाटी से केदारनाथ का रास्ता भी दो तरफा वी आकार की संकरी घाटी जैसा है, जो अतिसंवेदनशील है। बावजूद घाटी दिनभर हेलिकॉप्टरों की गर्जना से गूंज रही है। 25 अप्रैल से शुरू हुई केदारनाथ यात्रा में इस बार सात हेली कंपनियों के हेलिकॉप्टर उड़ान भर रहे हैं।


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ये हेलिकॉप्टर गुप्तकाशी, चारधाम, मैखंडा, फाटा, सिरसी हेलिपैड से केदारनाथ के लिए उड़ान भर रहे हैं। यात्रा से जुड़े अफसरों का कहना है कि हेलिकॉप्टर एक घंटे में केदारनाथ के लिए कम से कम 25 चक्कर लगा रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता कि हेलिकॉप्टरों के शोर का क्या असर पड़ रहा होगा। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के अधीन यह क्षेत्र सेंचुअरी में है, जहां मानवीय हलचल भी प्रतिबंधित है।

वहां, आपदा के बाद से प्रतिवर्ष यात्राकाल में हेलिकॉप्टर जमकर उड़ान भर रहे हैं। एनजीटी, वन विभाग और पर्यावरण विशेषज्ञ भी हेलिकॉप्टर शोर और धुएं के कार्बन को वन्य जीवों व ग्लेशियरों की सेहत के लिए सही नहीं मानते हैं। 

‘शोर से वन्य जीव होते हैं विचलित’
हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विवि के पर्यावरण विज्ञान विभाग के एचओडी प्रो. आरके मैखुरी का कहना है कि वर्ष 2005 से 2012 के बीच उन्होंने केदारनाथ के लिए संचालित होने वाले हेलिकॉप्टर पर शोध कर रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें स्पष्ट कहा था कि केदारनाथ में उड़ान भर रहे हेलिकॉप्टर से केदारघाटी के आबादी क्षेत्र में भी लोगों को परेशानी हो रही है। सबसे ज्यादा परेशानी उन स्कूली बच्चों को हो रही, जिनके स्कूल हेलिपैड के पास हैं। वह पूरे यात्राकाल में अपने स्कूलों में सही से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही हेलिकॉप्टर की गड़गड़ाहट से हेलिपैड से एक किमी के दायरे के गांवों में पालतू पशुओं के व्यवहार में भी परिवर्तन हुआ है। रामबाड़ा से केदारनाथ के बीच वन्य जीव क्षेत्र में रहने वाले घुरड़, थार, मृग सहित अन्य वन्य जीव आवाज से विचलित होते हैं। वन्य जीवों के मल सैंपल की जांच में पुष्टि हुई थी। तब सरकार को इस संबंध में आगाह भी किया गया था, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली।

वन विभाग की रिपोर्ट की गई दरकिनार
आपदा के बाद केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ आकाश वर्मा ने केदारनाथ यात्रा के दौरान उड़ान भरने वाले हेलिकॉप्टर की आवाज की माप की थी। गुप्तकाशी, फाटा, सोनप्रयाग, गौरीकुंड और केदारनाथ हेलिपैड पर एक से साठ सेकंड मापी गई आवाज में पाया गया कि सभी हेलिपैड पर हेलिकॉप्टर की ध्वनि आम आदमी के सुनने की क्षमता 72 डेसिबल से अधिक है। सबसे अधिक ध्वनि केदारनाथ हेलिपैड पर पाई गई, जो न्यूनतम 92 डेसिबल और अधिकतम 108 डेसिबल पाई गई। उन्होंने रिपोर्ट शासन को भेजी।

बढ़ता गया हेलिकॉप्टर सेवा का दायरा
केदारनाथ के लिए सबसे पहले 2004 में अगस्त्यमुनि से हेलिकॉप्टर सेवा शुरू की गई। इसके बाद 2006 से केदारघाटी से संचालन होने लगा। वर्ष 2012 तक केदारनाथ यात्रा में छह हेली कंपनियां सेवाएं देती रहीं, लेकिन जून 2013 की आपदा के बाद हेलिकॉप्टर सेवाओं का दायरा कम करने के बजाय सरकार ने इसे केदारनाथ तक सुलभ पहुंच का सबसे सरल माध्यम मानते हुए बढ़ावा दिया। 2014 में छह कंपनियों ने सेवा दी। इसके बाद 2015 में संख्या नौ हो गई, 2016 में 11, 2017 व 2018 में 13-13, 2019 में नौ कंपनियों ने सेवा दी। वर्तमान में सात हेली कंपनियों के हेलिकॉप्टर उड़ान भर रहे हैं।

हेलिकॉप्टर अपनी उड़ान के दौरान जो कार्बन छोड़ता है, उसका असर पर्यावरण पर वृहद स्तर पर पड़ता है। केदारनाथ से चौराबाड़ी ताल की पैदल दूरी सिर्फ चार किमी है, जबकि हवाई दूरी तो काफी कम है। ऐसे में हेलिकॉप्टर की तेज आवाज का ग्लेशियर क्षेत्र में असर पड़ने से इन्कार नहीं कर सकते हैं।
- जगत सिंह जंगली, पर्यावरणविद्, रुद्रप्रयाग
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