शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने 1984 में हुए कत्लेआम के आरोपियों में शामिल जगदीश टाइटलर को कांग्रेस में कुलीन समिति में स्थायी सदस्य के रूप में नियुक्त करने पर सवाल दागा। सुखबीर बादल ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की निंदा भी की। उन्होंने पंजाब के नेताओं को पार्टी आलाकमान के इस फैसले के विरोध में आने की चुनौती भी दी है।
बादल ने 1984 के कत्लेआम की वर्षगांठ पर कांग्रेस के इस फैसले को सिखों के लिए जख्म जैसा बताया। उन्होंने कहा कि यह सोनिया गांधी और कांग्रेस की सिखों के जख्मों के प्रति असंवेदनशीलता है। उन्होंने इस फैसले की घोषणा करने के लिए सिखों के कत्लेआम की पूर्व संध्या को चुना है। खालसा पंथ के जख्मों पर नमक छिड़कने के लिए इससे बुरा समय क्या हो सकता है। सुखबीर ने कहा कि यह फैसला त्रासदी की 38वीं वर्षगांठ के कुछ ही दिन पहले आया है।
शिअद अध्यक्ष ने नवजोत सिद्धू और पंजाब के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को भी इस फैसले का विरोध कर इसे रद्द कराने का साहस दिखाने को कहा। चरित्र का पतन समझौते से उपजा है। पार्टी के लिए कुलीन स्थायी आमंत्रितों में से एक के रूप में टाइटलर का नाम देश के बहादुर और देशभक्त सिख समुदाय का अपमान है। क्या नवजोत सिद्धू, मुख्यमंत्री चन्नी, सुखजिंदर रंधावा और सुनील जाखड़ समेत पंजाब के कांग्रेस नेता अपनी अंतरआत्मा की आवाज जगाकर इसे सुनेंगे और इस फैसले का विरोध कर अपने चरित्र का पतन होने से बचांएगें।
टाइटलर पर सुनील जाखड़ ने अंबिका सोनी और चन्नी को घेरा
कांग्रेस ने शुक्रवार को 1984 सिख दंगों के आरोपी जगदीश टाइटलर को फिर से पार्टी की कुलीन समिति में शामिल कर नया विवाद खड़ा कर दिया। पंजाब में विपक्षी दलों ने कांग्रेस की जमकर आलोचना की, वहीं पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ ने ट्वीट कर इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
जाखड़ ने हाईकमान के इस फैसले के लिए पंजाब की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर अंगुली उठाई है। जाखड़ ने कहा है कि हाईकमान ने जब यह फैसला लिया, तब सोनी और चन्नी वहीं मौजूद थे। उन्हें इस मामले में हाईकमान के सामने अपनी राय रखनी चाहिए थी। और कुछ नहीं तो इतना ही कह सकते थे कि यह मुद्दा पंजाब के लोगों की भावनाओं से जुड़ा है।
विस्तार
शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने 1984 में हुए कत्लेआम के आरोपियों में शामिल जगदीश टाइटलर को कांग्रेस में कुलीन समिति में स्थायी सदस्य के रूप में नियुक्त करने पर सवाल दागा। सुखबीर बादल ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की निंदा भी की। उन्होंने पंजाब के नेताओं को पार्टी आलाकमान के इस फैसले के विरोध में आने की चुनौती भी दी है।
बादल ने 1984 के कत्लेआम की वर्षगांठ पर कांग्रेस के इस फैसले को सिखों के लिए जख्म जैसा बताया। उन्होंने कहा कि यह सोनिया गांधी और कांग्रेस की सिखों के जख्मों के प्रति असंवेदनशीलता है। उन्होंने इस फैसले की घोषणा करने के लिए सिखों के कत्लेआम की पूर्व संध्या को चुना है। खालसा पंथ के जख्मों पर नमक छिड़कने के लिए इससे बुरा समय क्या हो सकता है। सुखबीर ने कहा कि यह फैसला त्रासदी की 38वीं वर्षगांठ के कुछ ही दिन पहले आया है।
शिअद अध्यक्ष ने नवजोत सिद्धू और पंजाब के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को भी इस फैसले का विरोध कर इसे रद्द कराने का साहस दिखाने को कहा। चरित्र का पतन समझौते से उपजा है। पार्टी के लिए कुलीन स्थायी आमंत्रितों में से एक के रूप में टाइटलर का नाम देश के बहादुर और देशभक्त सिख समुदाय का अपमान है। क्या नवजोत सिद्धू, मुख्यमंत्री चन्नी, सुखजिंदर रंधावा और सुनील जाखड़ समेत पंजाब के कांग्रेस नेता अपनी अंतरआत्मा की आवाज जगाकर इसे सुनेंगे और इस फैसले का विरोध कर अपने चरित्र का पतन होने से बचांएगें।
टाइटलर पर सुनील जाखड़ ने अंबिका सोनी और चन्नी को घेरा
कांग्रेस ने शुक्रवार को 1984 सिख दंगों के आरोपी जगदीश टाइटलर को फिर से पार्टी की कुलीन समिति में शामिल कर नया विवाद खड़ा कर दिया। पंजाब में विपक्षी दलों ने कांग्रेस की जमकर आलोचना की, वहीं पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ ने ट्वीट कर इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
जाखड़ ने हाईकमान के इस फैसले के लिए पंजाब की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर अंगुली उठाई है। जाखड़ ने कहा है कि हाईकमान ने जब यह फैसला लिया, तब सोनी और चन्नी वहीं मौजूद थे। उन्हें इस मामले में हाईकमान के सामने अपनी राय रखनी चाहिए थी। और कुछ नहीं तो इतना ही कह सकते थे कि यह मुद्दा पंजाब के लोगों की भावनाओं से जुड़ा है।