आशीष वर्मा, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Sat, 24 Oct 2020 04:46 PM IST
केंद्र सरकार भले ही कोरोना मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी को बंद करने के पक्ष में हो लेकिन पीजीआई विशेषज्ञ की राय इससे अलग है। पीजीआई के इंटरनल मेडिसिन के प्रोफेसर व प्लाज्मा थेरेपी के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ. पंकज मल्होत्रा ने बताया कि पीजीआई में ट्रायल के दौरान दस मरीजों को शामिल किया गया था।
इसमें पांच मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी गई, जबकि पांच को नहीं। जिन कोरोना मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी गई, वह जल्दी ठीक हुए। थकान व सांस की तकलीफ के लक्षणों को कम करने में मदद मिली। पीसीआर टेस्ट भी निगेटिव जल्दी आए। प्लाज्मा थेरेपी कुछ विशेष मरीजों को दी जानी चाहिए। जहां विशेषज्ञों को लगता है कि इससे फायदा होगा तो जरूर देना चाहिए लेकिन रुटीन में इसका कोई असर नहीं दिखेगा।
डॉ. पंकज ने बताया कि उस प्लाज्मा का ही फायदा है, जिसमें एंटीबाडीज ज्यादा होगी। बीते गुरुवार को ब्रिटिश जनरल में भी प्लाज्मा थेरेपी पर भारतीयों पर किए गए परीक्षण की एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट बताती है कि प्लाज्मा का असर सीमित देखा गया है। हालांकि, यह भी कहा गया है कि स्पष्ट परिणाम के लिए मरीजों के बड़े वर्ग पर परीक्षण देखने की आवश्यकता है।
इस पेपर पर अमेरिका के एक वैज्ञानिक तर्क दिया है कि जिस प्लाज्मा में एंटीबाडीज की संख्या ज्यादा हो, उसे इस्तेमाल में लाना चाहिए। डॉ. पंकज ने यह भी लोगों को सलाह दी है कि लोगों को प्लाज्मा देना नहीं बंद करना चाहिए। डोनेशन से पहले एंटीबाडीज चेक करवाएं। यदि ज्यादा है तो जरूर डोनेट करें।
भारत सरकार कोरोना के इलाज से प्लाज्मा थेरेपी को बाहर कर सकती है
दो दिन पहले आईसीएमआर के अधिकारियों ने बताया था कि कोविड-19 रोगियों को फायदा पहुंचाने में प्लाज्मा थेरेपी नाकाम है। इस अध्ययन में पाया गया कि प्लाज्मा विशेष रूप से इलाज करा रहे मरीजों में मृत्यु दर को कम नहीं कर पा रही है और कोविड-19 से हालत बिगड़ने को संभालने में भी मददगार नहीं है।
आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने दो दिन पहले एक प्रेस वार्ता में कहा था कि प्लाज्मा थेरेपी को जल्द बंद किया जा सकता है। डॉ. पंकज का कहना है कि जब तक इस संबंध में कोई राष्ट्रीय नीति नहीं आती, तब तक पीजीआई प्लाज्मा थेरेपी जारी रखेगा। इस बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि प्लाज्मा थेरेपी से उनके मरीजों को फायदा मिला है। उन्होंने यह भी दावा किया कि खुद उनकी और कई कोरोना मरीजों की जान प्लाज्मा थेरेपी से बची है। ऐसे में इसे रोकना नुकसान दायक हो सकता है।
विस्तार
केंद्र सरकार भले ही कोरोना मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी को बंद करने के पक्ष में हो लेकिन पीजीआई विशेषज्ञ की राय इससे अलग है। पीजीआई के इंटरनल मेडिसिन के प्रोफेसर व प्लाज्मा थेरेपी के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ. पंकज मल्होत्रा ने बताया कि पीजीआई में ट्रायल के दौरान दस मरीजों को शामिल किया गया था।
इसमें पांच मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी गई, जबकि पांच को नहीं। जिन कोरोना मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी गई, वह जल्दी ठीक हुए। थकान व सांस की तकलीफ के लक्षणों को कम करने में मदद मिली। पीसीआर टेस्ट भी निगेटिव जल्दी आए। प्लाज्मा थेरेपी कुछ विशेष मरीजों को दी जानी चाहिए। जहां विशेषज्ञों को लगता है कि इससे फायदा होगा तो जरूर देना चाहिए लेकिन रुटीन में इसका कोई असर नहीं दिखेगा।
डॉ. पंकज ने बताया कि उस प्लाज्मा का ही फायदा है, जिसमें एंटीबाडीज ज्यादा होगी। बीते गुरुवार को ब्रिटिश जनरल में भी प्लाज्मा थेरेपी पर भारतीयों पर किए गए परीक्षण की एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट बताती है कि प्लाज्मा का असर सीमित देखा गया है। हालांकि, यह भी कहा गया है कि स्पष्ट परिणाम के लिए मरीजों के बड़े वर्ग पर परीक्षण देखने की आवश्यकता है।