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चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) की एक गलती ने शहर के हजारों लोगों को डिफॉल्टर बना दिया। जो राशि लोगों ने कई साल पहले जमा करा दी थी, बोर्ड की वेबसाइट पर उसकी जानकारी ही नहीं है। लोगों के पास बोर्ड द्वारा दी गईं रसीदें भी हैं। बोर्ड उन पर 12.5 प्रतिशत का ब्याज भी लगा रहा है।
सीएचबी ने हाल ही में अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम (एआरएचसी) और स्मॉल फ्लैट्स निवासियों के लिए ‘अकाउंट स्टेटमेंट यानी खाता विवरण’ की सुविधा शुरू की है। इसमें लोग देख सकते हैं कि अब तक उन्होंने कब-कब और कितना किराया जमा किया है। जब कुछ लोगों ने सीएचबी की वेबसाइट पर अपना विवरण देखा तो उनके होश उड़ गए। वेबसाइट की जानकारी और पुरानी रसीदों को मिलाया तो पाया कि खाता विवरण से कुछ भुगतान गायब है जबकि उसी भुगतान की रसीद लोगों के पास है। यही नहीं, बोर्ड ने ऐसे लोगों को रेंट डिफॉल्टर की सूची में डाल रखा है। ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है।
ज्यादातर लोगों को खाता विवरण की जानकारी ही नहीं
इसका खुलासा कुछ जागरूक लोगों के रसीद मिलान करने पर हुआ। जबकि ज्यादातर लोगों को तो अभी इस सुविधा की जानकारी ही नहीं है। छोटे आवास में रहने वाले ज्यादातर लोग कम पढ़े-लिखे मजदूर वर्ग के हैं। वह कैसे अपना विवरण देख सकेंगे। ज्यादा समस्या उन लोगों को होगी, जिन्होंने रसीद संभाल कर नहीं रखी।
बैंक में जमा कराए पैसे में ही ज्यादा गड़बड़
पहले बैंक और सीएचबी परिसर में किराया जमा होता था, जहां से रसीद मिलती थी। स्थानीय निवासी अखिल बंसल ने बताया कि उन्होंने ही लोगों की रसीद और ऑनलाइन खाते का मिलान किया। सिर्फ आधे ब्लॉक में 10 के करीब मामले मिले हैं। धनास में तो 123 ब्लॉक हैं। न जाने कितने लोगों के साथ ऐसा हुआ होगा। उन्होंने पाया कि बैंक में जो राशि जमा कराई गई है, ज्यादातर मामलों में वही अपडेट नहीं हुई है। बोर्ड को एक शिविर लगाकर लोगों की इस समस्या का समाधान करना चाहिए।
केस 1 : सरस्वती देवी
पड़ोस में रहने वाले युवक ने जब उनका खाता विवरण और रसीद का मिलान किया तो पाया कि 1600 रुपये का भुगतान बोर्ड की वेबसाइट से गायब है। हालांकि बोर्ड द्वारा जारी रसीद उनके पास है। धनास में रहने वाली सरस्वती ने बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें। रसीद है, फिर भी दिहाड़ी छोड़कर बोर्ड के चक्कर काटने होंगे।
केस 2 : प्रेमा देवी
धनास के स्मॉल फ्लैट नंबर-1587/सी में रहती हैं। उनकी भी 1600 रुपये के भुगतान की जानकारी बोर्ड की वेबसाइट पर नहीं है। उन्होंने बताया कि अगर पड़ोस का युवक ऑनलाइन नहीं देखता तो उन्हें कभी पता ही नहीं चलता। लोगों को अब सेक्टर-9 के चक्कर न काटने पड़ें, इसलिए बोर्ड के कर्मचारियों को यहीं आना चाहिए।
केस 3 : संदीप कुमार
धनास के स्मॉल फ्लैट नंबर-1602ए में रहते हैं। उन्होंने जुलाई 2019 से सितंबर 2020 तक के लिए करीब 13 हजार रुपये जमा कराए, लेकिन ऑनलाइन इस भुगतान की जानकारी नहीं है। संदीप के पास बैंक की पर्ची है। इन 13000 रुपयों के लिए डिफॉल्टर की सूची में डाला गया है। ऊपर से इस राशि पर ब्याज भी लगा दिया है। बोर्ड की गलती का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।
केस 4 : केसरबान
धनास के स्मॉल फ्लैट नंबर-1599/सी में रहती हैं। 3200 रुपये की जानकारी बोर्ड की वेबसाइट पर नहीं है। उन्हें तो इसकी जानकारी भी नहीं थी। यह पैसा उन्होंने सेक्टर-9 में जाकर जमा कराया था। उन्होंने कहा कि इसमें लोगों की गलती नहीं है। बोर्ड को यहीं पर शिविर लगाना चाहिए और सभी के मामलों का निपटारा करना चाहिए।
केस 5 : विनोद
धनास में रहते हैं। इनकी दो रसीद अपडेट नहीं हुई हैं। इसमें से एक जनवरी 2014 और दूसरी जून 2016 की है। एक रसीद 800 रुपये की है तो दूसरी 3200 रुपये की है। जब से उन्हें पता चला है, चिंता बढ़ गई है। जो पैसा जमा भी कराया है, उस पर भी अब बोर्ड को ब्याज देना पड़ेगा।
केस 6 : अनीश कुमार
धनास के स्मॉल फ्लैट नंबर-1597/बी में रहते हैं। अगस्त 2019 में उन्होंने 2880 रुपये दमा कराए थे, जिसकी रसीद भी उनके पास है। ऑनलाइन देखा तो उस पर्ची की जानकारी ही नहीं थी। अगर रसीद गुम हो जाती तो क्या होता। बोर्ड तो मानता ही नहीं कि उन्होंने यह पैसा जमा भी कराया था। यह गंभीर मामला है।
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) की एक गलती ने शहर के हजारों लोगों को डिफॉल्टर बना दिया। जो राशि लोगों ने कई साल पहले जमा करा दी थी, बोर्ड की वेबसाइट पर उसकी जानकारी ही नहीं है। लोगों के पास बोर्ड द्वारा दी गईं रसीदें भी हैं। बोर्ड उन पर 12.5 प्रतिशत का ब्याज भी लगा रहा है।
सीएचबी ने हाल ही में अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम (एआरएचसी) और स्मॉल फ्लैट्स निवासियों के लिए ‘अकाउंट स्टेटमेंट यानी खाता विवरण’ की सुविधा शुरू की है। इसमें लोग देख सकते हैं कि अब तक उन्होंने कब-कब और कितना किराया जमा किया है। जब कुछ लोगों ने सीएचबी की वेबसाइट पर अपना विवरण देखा तो उनके होश उड़ गए। वेबसाइट की जानकारी और पुरानी रसीदों को मिलाया तो पाया कि खाता विवरण से कुछ भुगतान गायब है जबकि उसी भुगतान की रसीद लोगों के पास है। यही नहीं, बोर्ड ने ऐसे लोगों को रेंट डिफॉल्टर की सूची में डाल रखा है। ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है।
ज्यादातर लोगों को खाता विवरण की जानकारी ही नहीं
इसका खुलासा कुछ जागरूक लोगों के रसीद मिलान करने पर हुआ। जबकि ज्यादातर लोगों को तो अभी इस सुविधा की जानकारी ही नहीं है। छोटे आवास में रहने वाले ज्यादातर लोग कम पढ़े-लिखे मजदूर वर्ग के हैं। वह कैसे अपना विवरण देख सकेंगे। ज्यादा समस्या उन लोगों को होगी, जिन्होंने रसीद संभाल कर नहीं रखी।
बैंक में जमा कराए पैसे में ही ज्यादा गड़बड़
पहले बैंक और सीएचबी परिसर में किराया जमा होता था, जहां से रसीद मिलती थी। स्थानीय निवासी अखिल बंसल ने बताया कि उन्होंने ही लोगों की रसीद और ऑनलाइन खाते का मिलान किया। सिर्फ आधे ब्लॉक में 10 के करीब मामले मिले हैं। धनास में तो 123 ब्लॉक हैं। न जाने कितने लोगों के साथ ऐसा हुआ होगा। उन्होंने पाया कि बैंक में जो राशि जमा कराई गई है, ज्यादातर मामलों में वही अपडेट नहीं हुई है। बोर्ड को एक शिविर लगाकर लोगों की इस समस्या का समाधान करना चाहिए।
केस 1 : सरस्वती देवी
पड़ोस में रहने वाले युवक ने जब उनका खाता विवरण और रसीद का मिलान किया तो पाया कि 1600 रुपये का भुगतान बोर्ड की वेबसाइट से गायब है। हालांकि बोर्ड द्वारा जारी रसीद उनके पास है। धनास में रहने वाली सरस्वती ने बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें। रसीद है, फिर भी दिहाड़ी छोड़कर बोर्ड के चक्कर काटने होंगे।
केस 2 : प्रेमा देवी
धनास के स्मॉल फ्लैट नंबर-1587/सी में रहती हैं। उनकी भी 1600 रुपये के भुगतान की जानकारी बोर्ड की वेबसाइट पर नहीं है। उन्होंने बताया कि अगर पड़ोस का युवक ऑनलाइन नहीं देखता तो उन्हें कभी पता ही नहीं चलता। लोगों को अब सेक्टर-9 के चक्कर न काटने पड़ें, इसलिए बोर्ड के कर्मचारियों को यहीं आना चाहिए।
केस 3 : संदीप कुमार
धनास के स्मॉल फ्लैट नंबर-1602ए में रहते हैं। उन्होंने जुलाई 2019 से सितंबर 2020 तक के लिए करीब 13 हजार रुपये जमा कराए, लेकिन ऑनलाइन इस भुगतान की जानकारी नहीं है। संदीप के पास बैंक की पर्ची है। इन 13000 रुपयों के लिए डिफॉल्टर की सूची में डाला गया है। ऊपर से इस राशि पर ब्याज भी लगा दिया है। बोर्ड की गलती का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।
केस 4 : केसरबान
धनास के स्मॉल फ्लैट नंबर-1599/सी में रहती हैं। 3200 रुपये की जानकारी बोर्ड की वेबसाइट पर नहीं है। उन्हें तो इसकी जानकारी भी नहीं थी। यह पैसा उन्होंने सेक्टर-9 में जाकर जमा कराया था। उन्होंने कहा कि इसमें लोगों की गलती नहीं है। बोर्ड को यहीं पर शिविर लगाना चाहिए और सभी के मामलों का निपटारा करना चाहिए।
केस 5 : विनोद
धनास में रहते हैं। इनकी दो रसीद अपडेट नहीं हुई हैं। इसमें से एक जनवरी 2014 और दूसरी जून 2016 की है। एक रसीद 800 रुपये की है तो दूसरी 3200 रुपये की है। जब से उन्हें पता चला है, चिंता बढ़ गई है। जो पैसा जमा भी कराया है, उस पर भी अब बोर्ड को ब्याज देना पड़ेगा।
केस 6 : अनीश कुमार
धनास के स्मॉल फ्लैट नंबर-1597/बी में रहते हैं। अगस्त 2019 में उन्होंने 2880 रुपये दमा कराए थे, जिसकी रसीद भी उनके पास है। ऑनलाइन देखा तो उस पर्ची की जानकारी ही नहीं थी। अगर रसीद गुम हो जाती तो क्या होता। बोर्ड तो मानता ही नहीं कि उन्होंने यह पैसा जमा भी कराया था। यह गंभीर मामला है।
हाउसिंग बोर्ड को दें जानकारी, दूर होगी समस्या
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड को इसकी जानकारी है। अगर किसी व्यक्ति के पास कोई रसीद है, जो ऑनलाइन खाता विवरण में नहीं दिख रही है तो वह पत्र लिखकर रसीद हाउसिंग बोर्ड के रिसेप्शन पर जमा करा सकता है। बोर्ड उस राशि को रसीद पर अंकित दिन के तहत ही वेबसाइट पर अपडेट करेगा और फिर ब्याज की राशि भी ठीक कर दी जाएगी। हम अलॉटी पर किसी भी तरह की कार्रवाई करने से पहले उन्हें पूरा मौका देंगे। ताकि वह बता सकें कि उन्होंने कितना पैसा अब तक जमा कराया है। इसके अलावा अलॉटी के अपने आकलन के अनुसार जितनी राशि बनती है, वह जमा करवा सकता है। हाउसिंग बोर्ड अपना रिकॉर्ड ठीक कर लेगा। - यशपाल गर्ग, सीईओ, चंडीगढ़