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स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल: सैंपल की दवाओं से खतरे में पड़ सकती है जान, विशेषज्ञ भी हैरान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: पंचकुला ब्‍यूरो Updated Mon, 05 Dec 2022 08:30 AM IST
सार

कुछ समय पहले ही पीजीआई में गलत दवा के प्रयोग से पांच मरीजों की मौत का मामला सामने आया था। इस घटना से भी स्वास्थ्य विभाग ने सबक नहीं लिया।

बिना मुहर लगी दवाओं की आपूर्ति
बिना मुहर लगी दवाओं की आपूर्ति - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

सैंपल के तौर पर मिलने वाली दवाओं पर गवर्नमेंट सप्लाई का लेबल लगाकर स्थानीय खरीद दिखाने का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। एक ओर जहां इससे फर्जीवाड़े की बू आ रही है, वहीं मरीजों पर इन दवाओं के दुष्प्रभाव को लेकर भी बात होने लगी है। विशेषज्ञ भी इन दवाओं के प्रयोग को लेकर तरह-तरह की आशंका जता रहे हैं।


कुछ समय पहले ही पीजीआई में गलत दवा के प्रयोग से पांच मरीजों की मौत का मामला सामने आया था। इस घटना से भी स्वास्थ्य विभाग ने सबक नहीं लिया। कर्मचारियों का भी कहना है कि उच्च अधिकारियों की अनदेखी से इस तरह की मनमानी हो रही है, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ सकता है। दवा की खरीद के लिए विभाग में अलग से डॉक्टरों का पैनल है, जिन्हें आपूर्ति होने वाली दवाओं की बारीकी से जांच करने का निर्देश दिया गया है। इसके बावजूद लापरवाही की जा रही है।


स्वास्थ्य विभाग ने स्थानीय खरीद के नाम पर ऐसी दवाओं की खरीद दिखाई है जो डॉक्टरों को दवा कंपनियों की ओर से मुफ्त में सैंपल के तौर पर दी जाती है। इस प्रकरण पर सोमवार को उच्चाधिकारियों द्वारा आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

बिना मुहर के भी हो रही दवाओं की आपूर्ति
स्थानीय खरीद के नाम पर सरकारी अस्पताल में आपूर्ति की गई दवाओं में ऐसे स्टॉक हैं जिन पर गवर्नमेंट सप्लाई का मुहर भी नहीं लगी है जबकि इसके लिए संबंधित कंपनी को टेंडर के मानक के अनुसार सप्लाई से पहले मुहर लगाने का निर्देश दिया जाता है। ऐसे में इससे इस बात की भी आशंका बढ़ गई है कि बिना मुहर लगी दवाओं को स्टोर से सीधे मार्केट में भी पहुंचाया जा सकता है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी दवाओं के प्रयोग से अगर किसी मरीज को किसी प्रकार की समस्या हो जाए तो यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि उस दवा की आपूर्ति कहां से हुई है।

जनता बोली, व्यवस्था हो चुकी है भ्रष्ट
इस प्रकरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सरकारी व्यवस्था किस तरह से भ्रष्ट होती जा रही है। जनता के लिए की जाने वाली सेवाओं में हर तरफ कमीशन का खेल चल रहा है। इस पर प्रशासन को गंभीर होने की जरूरत है।  -अशोक वर्मा, मलोया

सरकारी अस्पतालों की स्थिति दिनोंदिन बदतर होती जा रही है। ऐसी घटनाओं के सामने आने के बाद से वहां इलाज कराने में डर लगने लगा है। पहले पीजीआई में गलत दवा से मौत का मामला सामने आ चुका है और अब सरकारी अस्पताल में दवाओं की आपूर्ति में गड़बड़ी। -दिनेश कुमार, सेक्टर 32
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