न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Mon, 15 Jun 2020 09:44 PM IST
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केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में कृषि क्षेत्र को लेकर लाए गए नए अध्यादेशों पर पंजाब की चिंता प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तीनों अध्यादेशों की समीक्षा करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए संघीय ढांचे की भावना के अंतर्गत केंद्र सरकार अपने फैसले पर पुन: विचार करे।
इन अध्यादेशों के अनुसार, एपीएमसी एक्ट के अंतर्गत कृषि मंडीकरण की निर्धारित भौतिक सीमाओं से बाहर जाकर कृषि उत्पादों के व्यापार की आज्ञा देना, जरूरी वस्तुएं एक्ट के अंतर्गत पाबंदियों को सरल करना और कांट्रैक्ट कृषि को सुविधा देना है। कैप्टन ने कहा कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए इन अध्यादेशों पर पुन: विचार किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की अनाज सुरक्षा यकीनी बनाने के लिए पंजाब देश का अग्रणी राज्य है। गेहूं और धान के उत्पादन की तकनीकी के विकास के साथ-साथ इसके प्रसार से एफसीआई द्वारा नोटिफाई मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी ने ही बफर स्टॉक तैयार करने और देश को अनाज सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई है। इस नीति के नतीजे के तौर पर ही हाल के समय में कोविड-19 महामारी के अनिर्धारित संकट के बावजूद देश को किसी किस्म के अनाज संकट और भुखमरी का सामना नहीं करना पड़ा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान निर्माताओं के अनुसार कृषि राज्य के अधिकारों का विषय है। दूसरी तरफ व्यापार और वाणिज्य को समवर्ती सूची में रखा है, जिसके अंतर्गत केंद्र और राज्य दोनों ही इस विषय पर कानून बना सकते हैं। बशर्ते प्रांतीय विधानसभा का कानून केंद्र के कानून का उल्लंघन न करे। पंजाब में कृषि उत्पादन मंडीकरण सिस्टम लंबे समय से परखा हुआ है और राज्य और देश की पिछले 60 साल से सेवा कर रहा है।
अध्यादेश से किसानों में डर पैदा हुआ
मुख्यमंत्री ने कहा कि 5 जून के अध्यादेश के अनुसार, कृषि मंडीकरण सिस्टम के बदलाव से राज्य के किसानों में यह डर पैदा हो गया है कि केंद्र सरकार अनाज की गारंटीशुदा खरीद से हाथ खींच रही है। किसानों को एक और अंदेशा है कि किसानों के लिए प्रस्तावित पाबंदी मुक्त राष्ट्रीय स्तर की मंडी वास्तव में व्यापारियों के लिए राष्ट्रीय स्तर की मंडी होगी, जिससे पहले ही कर्ज से परेशान किसानों को और नुकसान होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे राज्य के किसानों के बीच सामाजिक-आर्थिक तनाव और बढ़ेंगे।
यह उस क्षेत्र की शांति और विकास के लिए किसी भी तरह उपयुक्त नहीं जो गतिशील अंतरराष्ट्रीय सरहद के कारण सार्वजनिक व्यवस्था की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा हो। देश में लाखों छोटे और मझोले किसान, जो फसल की कटाई के बाद पैदावार को बाजार के सुखद होने तक संभाल कर नहीं रख सकते और न ही आजाद बाजार में रचनात्मक कीमतें हासिल करने के लिए सौदे करने का हुनर रखते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे किसानों को संगठित व्यापार के तरस पर छोड़ देने से व्यापारियों के हाथों ऐसे किसानों की लूट की संभावनाएं ही बढ़ेंगी।
व्यापारियों को सीधे लाभ पहुंचाएगा अध्यादेश: कैप्टन
कैप्टन ने कहा कि यह जंग के कठोर हालात, कुदरती संकट, अकाल और कीमतों में ज्यादा उछाल को छोड़कर निर्यातकर्ताओं, प्रोसेसरों और व्यापारियों को बिना बाधा के किसानी पैदावार के बड़े स्टाक रखने की आज्ञा देता है। यह संशोधन निजी व्यापारियों के लिए फसल संभाल के सीजन, जब आम तौर पर कीमतों कम होती हैं, के समय फसल की खरीद करने और बाद में जब कीमतों बढ़ती हैं तो बाजार में ले जाने के रास्ते खोलता है। किसी नियमिता की गैर -हाजिरी में राज्यों के पास राज्य में ही वस्तुओं के स्टाक की उपलब्धता संबंधी जानकारी नहीं होगी।
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में कृषि क्षेत्र को लेकर लाए गए नए अध्यादेशों पर पंजाब की चिंता प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तीनों अध्यादेशों की समीक्षा करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए संघीय ढांचे की भावना के अंतर्गत केंद्र सरकार अपने फैसले पर पुन: विचार करे।
इन अध्यादेशों के अनुसार, एपीएमसी एक्ट के अंतर्गत कृषि मंडीकरण की निर्धारित भौतिक सीमाओं से बाहर जाकर कृषि उत्पादों के व्यापार की आज्ञा देना, जरूरी वस्तुएं एक्ट के अंतर्गत पाबंदियों को सरल करना और कांट्रैक्ट कृषि को सुविधा देना है। कैप्टन ने कहा कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए इन अध्यादेशों पर पुन: विचार किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की अनाज सुरक्षा यकीनी बनाने के लिए पंजाब देश का अग्रणी राज्य है। गेहूं और धान के उत्पादन की तकनीकी के विकास के साथ-साथ इसके प्रसार से एफसीआई द्वारा नोटिफाई मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी ने ही बफर स्टॉक तैयार करने और देश को अनाज सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई है। इस नीति के नतीजे के तौर पर ही हाल के समय में कोविड-19 महामारी के अनिर्धारित संकट के बावजूद देश को किसी किस्म के अनाज संकट और भुखमरी का सामना नहीं करना पड़ा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान निर्माताओं के अनुसार कृषि राज्य के अधिकारों का विषय है। दूसरी तरफ व्यापार और वाणिज्य को समवर्ती सूची में रखा है, जिसके अंतर्गत केंद्र और राज्य दोनों ही इस विषय पर कानून बना सकते हैं। बशर्ते प्रांतीय विधानसभा का कानून केंद्र के कानून का उल्लंघन न करे। पंजाब में कृषि उत्पादन मंडीकरण सिस्टम लंबे समय से परखा हुआ है और राज्य और देश की पिछले 60 साल से सेवा कर रहा है।
अध्यादेश से किसानों में डर पैदा हुआ
मुख्यमंत्री ने कहा कि 5 जून के अध्यादेश के अनुसार, कृषि मंडीकरण सिस्टम के बदलाव से राज्य के किसानों में यह डर पैदा हो गया है कि केंद्र सरकार अनाज की गारंटीशुदा खरीद से हाथ खींच रही है। किसानों को एक और अंदेशा है कि किसानों के लिए प्रस्तावित पाबंदी मुक्त राष्ट्रीय स्तर की मंडी वास्तव में व्यापारियों के लिए राष्ट्रीय स्तर की मंडी होगी, जिससे पहले ही कर्ज से परेशान किसानों को और नुकसान होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे राज्य के किसानों के बीच सामाजिक-आर्थिक तनाव और बढ़ेंगे।
यह उस क्षेत्र की शांति और विकास के लिए किसी भी तरह उपयुक्त नहीं जो गतिशील अंतरराष्ट्रीय सरहद के कारण सार्वजनिक व्यवस्था की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा हो। देश में लाखों छोटे और मझोले किसान, जो फसल की कटाई के बाद पैदावार को बाजार के सुखद होने तक संभाल कर नहीं रख सकते और न ही आजाद बाजार में रचनात्मक कीमतें हासिल करने के लिए सौदे करने का हुनर रखते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे किसानों को संगठित व्यापार के तरस पर छोड़ देने से व्यापारियों के हाथों ऐसे किसानों की लूट की संभावनाएं ही बढ़ेंगी।
व्यापारियों को सीधे लाभ पहुंचाएगा अध्यादेश: कैप्टन
कैप्टन ने कहा कि यह जंग के कठोर हालात, कुदरती संकट, अकाल और कीमतों में ज्यादा उछाल को छोड़कर निर्यातकर्ताओं, प्रोसेसरों और व्यापारियों को बिना बाधा के किसानी पैदावार के बड़े स्टाक रखने की आज्ञा देता है। यह संशोधन निजी व्यापारियों के लिए फसल संभाल के सीजन, जब आम तौर पर कीमतों कम होती हैं, के समय फसल की खरीद करने और बाद में जब कीमतों बढ़ती हैं तो बाजार में ले जाने के रास्ते खोलता है। किसी नियमिता की गैर -हाजिरी में राज्यों के पास राज्य में ही वस्तुओं के स्टाक की उपलब्धता संबंधी जानकारी नहीं होगी।