गुंजी (पिथौरागढ़)। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पहली बार पिथौरागढ़ जिला प्रशासन की ओर से आयोजित टुवर्ड द कैलाश माउंटेन साइकिल रैली में शामिल 58 साइकिलिस्टों कादल गुंजी में 10500 फुट की ऊंचाई से 15800 फुट की ऊंचाई पर स्थित ज्योलिंगकांग तक गया। अल्मोड़ा के नरेंद्र सबसे पहले गुंजी से ज्योलिंगकांग पहुंचे। नरेंद्र ने बताया कि वह शौकिया साइकिलिस्ट हैं। पहली बार इतनी ऊंचाई पर साइकिल चलाकर विशेष अनुभूति हो रही है।
भारत-चीन सीमा पर पहली बार माउंटेन साइकिलिंग में हिस्सा ले रहे साइकिलिस्ट काफी उत्साहित दिखे। साइकिलिस्टों के लिए कम ऑक्सीजन के बीच साइकिल चलाना आसान नहीं था। कई चुनौतियों के बाद भी साइकिलिस्टों ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में साइकिलिंग की।
बोले साइकिलिस्ट
सीमांत व्यास घाटी काफी सुंदर है। इस तरह की साहसिक गतिविधियों के आयोजन से पर्यटन बढ़ेगा। साइकिलिंग करके कई रोगों से मुक्ति मिलती है। साहसिक गतिविधियों में बड़ी संभावनाएं हैं। सबको साइकिलिंग करनी चाहिए। - रीवा वर्मा, साइकिलिस्ट, देहरादून।
इस साइकिल रैली से काफी उत्साहित हूं। पहले दिन साइकिल चलाकर नाभीढांग ओम पर्वत पहुंचना गजब का अनुभव है। हाई एल्टीट्यूड में पहली बार 10500 फुट की ऊंचाई पर साइकिलिंग का गजब का अनुभव रहा है। - विक्रांत शर्मा, चंडीगढ़ साइकिलिस्ट।
साइकिल से ज्योलिंगकांग आदि कैलाश पहुंचना गजब का अनुभव है। साइकिलिंग कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक भी कर रहा हूं। युवा पीढ़ी से निवेदन है कि नशे की ओर न जाएं। साहसिक गतिविधियों में हिस्सा लें। - नरेंद्र भंडारी, साइकिलिस्ट अल्मोड़ा।
हाई एल्टीट्यूड में साइकिल चलाना गजब का अनुभव है। ऊंचाई पर साइकिल चलाना चुनौतीपूर्ण है लेकिन साइकिलिंग में बहुत आनंद आया। उम्मीद है भविष्य में भी इस तरह की साहसिक खेलों की गतिविधियां होंगी। - कृष्ण बिंद्र सिंह, मिलिट्री एकेडमी, देहरादून।
गुंजी (पिथौरागढ़)। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पहली बार पिथौरागढ़ जिला प्रशासन की ओर से आयोजित टुवर्ड द कैलाश माउंटेन साइकिल रैली में शामिल 58 साइकिलिस्टों कादल गुंजी में 10500 फुट की ऊंचाई से 15800 फुट की ऊंचाई पर स्थित ज्योलिंगकांग तक गया। अल्मोड़ा के नरेंद्र सबसे पहले गुंजी से ज्योलिंगकांग पहुंचे। नरेंद्र ने बताया कि वह शौकिया साइकिलिस्ट हैं। पहली बार इतनी ऊंचाई पर साइकिल चलाकर विशेष अनुभूति हो रही है।
भारत-चीन सीमा पर पहली बार माउंटेन साइकिलिंग में हिस्सा ले रहे साइकिलिस्ट काफी उत्साहित दिखे। साइकिलिस्टों के लिए कम ऑक्सीजन के बीच साइकिल चलाना आसान नहीं था। कई चुनौतियों के बाद भी साइकिलिस्टों ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में साइकिलिंग की।
बोले साइकिलिस्ट
सीमांत व्यास घाटी काफी सुंदर है। इस तरह की साहसिक गतिविधियों के आयोजन से पर्यटन बढ़ेगा। साइकिलिंग करके कई रोगों से मुक्ति मिलती है। साहसिक गतिविधियों में बड़ी संभावनाएं हैं। सबको साइकिलिंग करनी चाहिए। - रीवा वर्मा, साइकिलिस्ट, देहरादून।
इस साइकिल रैली से काफी उत्साहित हूं। पहले दिन साइकिल चलाकर नाभीढांग ओम पर्वत पहुंचना गजब का अनुभव है। हाई एल्टीट्यूड में पहली बार 10500 फुट की ऊंचाई पर साइकिलिंग का गजब का अनुभव रहा है। - विक्रांत शर्मा, चंडीगढ़ साइकिलिस्ट।
साइकिल से ज्योलिंगकांग आदि कैलाश पहुंचना गजब का अनुभव है। साइकिलिंग कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक भी कर रहा हूं। युवा पीढ़ी से निवेदन है कि नशे की ओर न जाएं। साहसिक गतिविधियों में हिस्सा लें। - नरेंद्र भंडारी, साइकिलिस्ट अल्मोड़ा।
हाई एल्टीट्यूड में साइकिल चलाना गजब का अनुभव है। ऊंचाई पर साइकिल चलाना चुनौतीपूर्ण है लेकिन साइकिलिंग में बहुत आनंद आया। उम्मीद है भविष्य में भी इस तरह की साहसिक खेलों की गतिविधियां होंगी। - कृष्ण बिंद्र सिंह, मिलिट्री एकेडमी, देहरादून।