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बदरीनाथ धाम के ऊपर अरबा ग्लेशियर और सतोपंथ सरोवर के पास अलकनंदा नदी के मुहाने पर झील बनने से नया खतरा पैदा हो गया है। सतोपंथ सरोवर बदरीनाथ से लगभग 25 किलोमीटर दूर है।
पढ़े, उत्तराखंड आपदा की खबरों की विशेष कवरेजराष्ट्रीय दूरसंवेदी संस्थान ने उपग्रहीय चित्र जारी करते हुए झील बनने की पुष्टि की है। झील बनने की खबर से निचले इलाकों में रह रहे लोग दहशत में हैं। जिससे प्रशासन ने कई इलाकों को खाली कराना शुरू कर दिया है।
उपग्रह आरआरएसएटी-1 से सात जुलाई और उससे पहले लिए गए चित्रों के आधार पर संस्थान का कहना है कि भूस्खलन के कारण झील बनी है। यह झील ग्लेशियर में अलकनंदा नदी के रास्ते पर बनी है। इससे अलकनंदा का प्रवाह कुछ हद तक रुक गया है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह झील कितनी बड़ी है और इससे पानी किस हद तक रिस रहा है। लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्र में बनी इस झील के कारण अलकनंदा में कभी भी बड़ी मात्रा पानी आने की आशंका है।
बदरीनाथ के लिए चिंता बढ़ गईबृहस्पतिवार को सेटेलाइट चित्र जारी होने के बाद बदरीनाथ के लिए चिंता बढ़ गई है। आने वाले समय में अभी और बरसात हो सकती है। ऐसे में इस झील में और पानी भर सकता है। केदारनाथ धाम में गांधी सरोवर से आए पानी के सैलाब से हुई तबाही के चलते लोग इस झील को लेकर ज्यादा आशंकित हैं। सतोपंथ सरोवर समुद्र तल से 4402 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
हालांकि हेलीकॉप्टर से झील का सर्वेक्षण कर लौटी चमोली जिला प्रशासन और सेना की टीम का कहना है कि फिलहाल खतरे जैसी कोई बात नहीं है। यहां ग्लेशियर टूट रहे हैं लेकिन पानी की लगातार निकासी हो रही है। दूरसंवेदी संस्थान ने पांच से आठ जुलाई के बीच हुई भारी बरसात से झील में पानी जमा होने आशंका जताई है। इस पर लगातार निगाह रखी जा रही है।
बजते रहे लोगों के फोनझील बनने की सूचना के बाद बृहस्पतिवार को बदरीनाथ और निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में दिनभर दहशत की स्थिति बनी रही। लोग एक दूसरे से फोन पर इस बारे में जानकारी लेते रहे। वहीं, खतरे की आशंका के मद्देनजर चमोली जिले के साथ ही रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, देवप्रयाग, ब्यासी, ऋषिकेश के थानों और चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है।
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बदरीनाथ धाम के ऊपर अरबा ग्लेशियर और सतोपंथ सरोवर के पास अलकनंदा नदी के मुहाने पर झील बनने से नया खतरा पैदा हो गया है। सतोपंथ सरोवर बदरीनाथ से लगभग 25 किलोमीटर दूर है।
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राष्ट्रीय दूरसंवेदी संस्थान ने उपग्रहीय चित्र जारी करते हुए झील बनने की पुष्टि की है। झील बनने की खबर से निचले इलाकों में रह रहे लोग दहशत में हैं। जिससे प्रशासन ने कई इलाकों को खाली कराना शुरू कर दिया है।
उपग्रह आरआरएसएटी-1 से सात जुलाई और उससे पहले लिए गए चित्रों के आधार पर संस्थान का कहना है कि भूस्खलन के कारण झील बनी है। यह झील ग्लेशियर में अलकनंदा नदी के रास्ते पर बनी है। इससे अलकनंदा का प्रवाह कुछ हद तक रुक गया है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह झील कितनी बड़ी है और इससे पानी किस हद तक रिस रहा है। लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्र में बनी इस झील के कारण अलकनंदा में कभी भी बड़ी मात्रा पानी आने की आशंका है।
बदरीनाथ के लिए चिंता बढ़ गई
बृहस्पतिवार को सेटेलाइट चित्र जारी होने के बाद बदरीनाथ के लिए चिंता बढ़ गई है। आने वाले समय में अभी और बरसात हो सकती है। ऐसे में इस झील में और पानी भर सकता है। केदारनाथ धाम में गांधी सरोवर से आए पानी के सैलाब से हुई तबाही के चलते लोग इस झील को लेकर ज्यादा आशंकित हैं। सतोपंथ सरोवर समुद्र तल से 4402 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
हालांकि हेलीकॉप्टर से झील का सर्वेक्षण कर लौटी चमोली जिला प्रशासन और सेना की टीम का कहना है कि फिलहाल खतरे जैसी कोई बात नहीं है। यहां ग्लेशियर टूट रहे हैं लेकिन पानी की लगातार निकासी हो रही है। दूरसंवेदी संस्थान ने पांच से आठ जुलाई के बीच हुई भारी बरसात से झील में पानी जमा होने आशंका जताई है। इस पर लगातार निगाह रखी जा रही है।
बजते रहे लोगों के फोन
झील बनने की सूचना के बाद बृहस्पतिवार को बदरीनाथ और निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में दिनभर दहशत की स्थिति बनी रही। लोग एक दूसरे से फोन पर इस बारे में जानकारी लेते रहे। वहीं, खतरे की आशंका के मद्देनजर चमोली जिले के साथ ही रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, देवप्रयाग, ब्यासी, ऋषिकेश के थानों और चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है।
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