कोल आधारित ताप परियोजनाओं में लंबे समय से कोयले की किल्लत चल रही थी। काफी मशक्कत के बाद परियोजनाओं को रेल रैक से आपूर्ति तो शुरू हुई लेकिन आपूर्ति कर रहे सभी रैक की बोगियां जुगाड़ के सहारे चल रही हैं। कहीं बोगियों को तार से बांधा गया है तो कुछ बोगियों के छेद को बोरे से भर कर आपूर्ति करने का प्रयास किया जा रहा है।
कुछ दिनों पूर्व क्षेत्रीय भ्रमण पर आए राज्य उत्पादन निगम लिमिटेड के एमडी पी. गुरू प्रसाद ने अनपरा की ताप परियोजना को नई 45 बोगी देने का दावा किया था लेकिन परियोजना में कोयले की किल्लत को देखते हुए जल्द ही रेल रैक से कोयले की आपूर्ति शुरू करानी पड़ी। अनपरा परियोजना में दो दिन से भी कम का कोयला शेष होने के कारण बिजली संकट की गहराती स्थिति को देखते हुए उत्पादन निगम ने पुरानी बोगियों से ही बिजली उत्पादन शुरू कर दिया। पुरानी बोगियों की लंबे समय से मरम्मत न होने के कारण तार व बोरों से बांध कर कोयले की आपूर्ति कराई जा रही है। यह बोगी इतनी जर्जर है कि कई स्थानों से कोयले के टुकड़े बाहर गिर रहे हैं। बोगियों के जर्जर होने के कारण कोल परियोजना से लोड हुए कोयले और ताप परियोजना में पहुंचे कोयले के भार में भी अंतर देखने को मिल रहा है। काफी भारी मात्रा में कोयला पटरियों के इर्द गिर्द गिर रहा है। लंबे समय तक इसी प्रकार के रैक से कोल आपूर्ति की जाती रही तो परियोजना को काफी नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
जुगाड़ के सहारे चल रही रेलवे की कई बोगियां।- फोटो : SONBHADRA
कोल आधारित ताप परियोजनाओं में लंबे समय से कोयले की किल्लत चल रही थी। काफी मशक्कत के बाद परियोजनाओं को रेल रैक से आपूर्ति तो शुरू हुई लेकिन आपूर्ति कर रहे सभी रैक की बोगियां जुगाड़ के सहारे चल रही हैं। कहीं बोगियों को तार से बांधा गया है तो कुछ बोगियों के छेद को बोरे से भर कर आपूर्ति करने का प्रयास किया जा रहा है।
कुछ दिनों पूर्व क्षेत्रीय भ्रमण पर आए राज्य उत्पादन निगम लिमिटेड के एमडी पी. गुरू प्रसाद ने अनपरा की ताप परियोजना को नई 45 बोगी देने का दावा किया था लेकिन परियोजना में कोयले की किल्लत को देखते हुए जल्द ही रेल रैक से कोयले की आपूर्ति शुरू करानी पड़ी। अनपरा परियोजना में दो दिन से भी कम का कोयला शेष होने के कारण बिजली संकट की गहराती स्थिति को देखते हुए उत्पादन निगम ने पुरानी बोगियों से ही बिजली उत्पादन शुरू कर दिया। पुरानी बोगियों की लंबे समय से मरम्मत न होने के कारण तार व बोरों से बांध कर कोयले की आपूर्ति कराई जा रही है। यह बोगी इतनी जर्जर है कि कई स्थानों से कोयले के टुकड़े बाहर गिर रहे हैं। बोगियों के जर्जर होने के कारण कोल परियोजना से लोड हुए कोयले और ताप परियोजना में पहुंचे कोयले के भार में भी अंतर देखने को मिल रहा है। काफी भारी मात्रा में कोयला पटरियों के इर्द गिर्द गिर रहा है। लंबे समय तक इसी प्रकार के रैक से कोल आपूर्ति की जाती रही तो परियोजना को काफी नुकसान भी उठाना पड़ेगा।

जुगाड़ के सहारे चल रही रेलवे की कई बोगियां।- फोटो : SONBHADRA