तीन माह से सऊदीअरब में फंसे चारों युवक घर वापस आ गए हैं। जेल से निकलते ही इनको राजधानी रियाद से सऊदीअरब की पुलिस ने भारत भेज दिया। अचानक युवक घर आए तो परिजनों खुशी से रो पड़े। युवकों ने घर वापस आते ही एजेंट शमीम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने एजेंट के खिलाफ दोबारा शिकायत की है।
सिराथू के टीकरडीह निवासी मक्खनलाल गांव के ही रमेश व गनेश और कादीपुर निवासी ओम प्रकाश के साथ सऊदीअरब गया था। वह हॉयल के निजम्मा शहर में एक कपिल के यहां भवन निर्माण का कार्य करने गए थे। 11 अक्तूबर को यह चारों वहां पहुंचे। जहां इनसे भवन निर्माण का कार्य कराने के बजाय खेती का काम करवाया जा रहा था। इसका मक्खन व उसके साथियों ने विरोध किया था। इस पर कपिल ने पासपोर्ट छीनकर इनको बंधक बना लिया था।
दोस्तों की मदद से मक्खन ने इसकी जानकारी अमर उजाला के नोएडा आफिस को दी थी। अमर उजाला ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद मक्खन के पिता लल्लू ने बेटे व उसके साथियों को सऊदीअरब से वापस बुलाने के लिए पैरवी शुरू की। साथ ही भारतीय दूतावास में शिकायत दर्ज की। यह प्रक्रिया चल ही रही थी कि मक्खन व उसके साथियाें को सऊदीअरब की पुलिस ने अकामा यानि परिचय पत्र न होने पर जेल में डाल दिया था। इससे युवकों के परिजन परेशान हो गए थे। मंगलवार को मक्खन अपने साथियों के साथ घर लौटा। परिजनों ने देखा तो वह खुशी से उछल पडे़। बेटों को गले से लगा लिया। परिजनों के साथ घंटों वक्त बिताने के बाद चारों युवक पुलिस अधीक्षक कार्यालय आए। एसपी से मुलाकात न होने पर वह एजेंट के खिलाफ शिकायती पत्र देकर चले गए हैं।
भारतीयाें की मदद पर सऊदीअरब में रहे जिंदा
सऊदीअरब में फंसे रहे मक्खन व उसके साथियों ने जलालत तो झेली ही, भूखे-प्यासे वह वहां तड़पते भी रहे। कपिल ने इनका पासपोर्ट छीन लिया था। खाने-पीने का रुपया इनके पास नहीं था। मदद की कोई आस नहीं दिख रही थी। इसकी जानकारी जब वहां रह रहे भारतीय कामगारों को हुई तो उन्होंने उनकी खूब मदद की। मक्खन ने बताया कि जब वह वहां बुरी तरह से फंस गए। दो दिन तक उनको खाना नहीं मिला तो उनके सामने अंधेरा छाने लगा था इसी दौरान उनसे वहां रहने वाले भारतीय कामगार मिले और रुपया दिया। इसके बाद वह एक वक्त का भोजन करते थे। बताया कि तीन माह उन्होंने कैसे काटा, यह वही जानते हैं। भारत आकर उन्हें नया जीवन मिला है।
सऊदी से लौटे युवकों ने अमर उजाला को दिया धन्यवाद
सऊदीअरब से लौटे मक्खन व उसके दोस्तों ने मंगलवार को अमर उजाला दफ्तर आकर धन्यवाद दिया। मक्खन व उसके साथी जब सऊदीअरब में फंसे थे तो उन्होंने वहां से अमर उजाला के नोएडा आफिस को फोन व मैसेज कर इसकी जानकारी दी थी। इसके बाद अमर उजाला ने प्रमुखता से इनकी खबर प्रकाशित की और वापसी के लिए अधिकारियों से वार्ता की थी। मक्खन के पिता लल्लू ने कहा कि अमर उजाला ने उनकी पीड़ा को समझकर पहल की। इसके लिए वह धन्यवाद देने आए हैं।
तीन माह से सऊदीअरब में फंसे चारों युवक घर वापस आ गए हैं। जेल से निकलते ही इनको राजधानी रियाद से सऊदीअरब की पुलिस ने भारत भेज दिया। अचानक युवक घर आए तो परिजनों खुशी से रो पड़े। युवकों ने घर वापस आते ही एजेंट शमीम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने एजेंट के खिलाफ दोबारा शिकायत की है।
सिराथू के टीकरडीह निवासी मक्खनलाल गांव के ही रमेश व गनेश और कादीपुर निवासी ओम प्रकाश के साथ सऊदीअरब गया था। वह हॉयल के निजम्मा शहर में एक कपिल के यहां भवन निर्माण का कार्य करने गए थे। 11 अक्तूबर को यह चारों वहां पहुंचे। जहां इनसे भवन निर्माण का कार्य कराने के बजाय खेती का काम करवाया जा रहा था। इसका मक्खन व उसके साथियों ने विरोध किया था। इस पर कपिल ने पासपोर्ट छीनकर इनको बंधक बना लिया था।
दोस्तों की मदद से मक्खन ने इसकी जानकारी अमर उजाला के नोएडा आफिस को दी थी। अमर उजाला ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद मक्खन के पिता लल्लू ने बेटे व उसके साथियों को सऊदीअरब से वापस बुलाने के लिए पैरवी शुरू की। साथ ही भारतीय दूतावास में शिकायत दर्ज की। यह प्रक्रिया चल ही रही थी कि मक्खन व उसके साथियाें को सऊदीअरब की पुलिस ने अकामा यानि परिचय पत्र न होने पर जेल में डाल दिया था। इससे युवकों के परिजन परेशान हो गए थे। मंगलवार को मक्खन अपने साथियों के साथ घर लौटा। परिजनों ने देखा तो वह खुशी से उछल पडे़। बेटों को गले से लगा लिया। परिजनों के साथ घंटों वक्त बिताने के बाद चारों युवक पुलिस अधीक्षक कार्यालय आए। एसपी से मुलाकात न होने पर वह एजेंट के खिलाफ शिकायती पत्र देकर चले गए हैं।
भारतीयाें की मदद पर सऊदीअरब में रहे जिंदा
सऊदीअरब में फंसे रहे मक्खन व उसके साथियों ने जलालत तो झेली ही, भूखे-प्यासे वह वहां तड़पते भी रहे। कपिल ने इनका पासपोर्ट छीन लिया था। खाने-पीने का रुपया इनके पास नहीं था। मदद की कोई आस नहीं दिख रही थी। इसकी जानकारी जब वहां रह रहे भारतीय कामगारों को हुई तो उन्होंने उनकी खूब मदद की। मक्खन ने बताया कि जब वह वहां बुरी तरह से फंस गए। दो दिन तक उनको खाना नहीं मिला तो उनके सामने अंधेरा छाने लगा था इसी दौरान उनसे वहां रहने वाले भारतीय कामगार मिले और रुपया दिया। इसके बाद वह एक वक्त का भोजन करते थे। बताया कि तीन माह उन्होंने कैसे काटा, यह वही जानते हैं। भारत आकर उन्हें नया जीवन मिला है।
सऊदी से लौटे युवकों ने अमर उजाला को दिया धन्यवाद
सऊदीअरब से लौटे मक्खन व उसके दोस्तों ने मंगलवार को अमर उजाला दफ्तर आकर धन्यवाद दिया। मक्खन व उसके साथी जब सऊदीअरब में फंसे थे तो उन्होंने वहां से अमर उजाला के नोएडा आफिस को फोन व मैसेज कर इसकी जानकारी दी थी। इसके बाद अमर उजाला ने प्रमुखता से इनकी खबर प्रकाशित की और वापसी के लिए अधिकारियों से वार्ता की थी। मक्खन के पिता लल्लू ने कहा कि अमर उजाला ने उनकी पीड़ा को समझकर पहल की। इसके लिए वह धन्यवाद देने आए हैं।