न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Tue, 16 Nov 2021 11:57 AM IST
नैनो मैटेरियल्स, नैनो टेक्नोलॉजी और ऊर्जा के क्षेत्र में उत्कृष्ट शोध करने पर आईआईटी के प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार का नाम स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (यूएसए) की श्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया गया है। इस सूची में विश्व भर के दो लाख श्रेष्ठ वैज्ञानिक हैं।
डॉ. राजेश की रैंक 49 हजार है। स्टैनफोर्ड विवि विश्व भर में विभिन्न क्षेत्रों में शोध करने वाले एक करोड़ वैज्ञानिकों का डाटा एकत्र करता है। इनमें से दो फीसदी शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची जारी करता है। मऊ जिला के ग्राम बनियापार के रहने वाले डॉ. राजेश की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा मऊ में हुई।
डॉ. राजेश एक दशक से भी अधिक समय से कार्बन नैनोमेटेरियल्स (ग्रेफीन, कार्बन नैनो ट्यूब) के निर्माण और उसका उपयोग ऊर्जा के क्षेत्र में करने पर काम कर रहे हैं। अभी तक इनके 85 से ज्यादा शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं।
उन्होंने कई तरह के नैनो मेटेरियल्स बनाए हैं जो ऊर्जा संचयन और रूपांतरण में प्रयुक्त होते हैं। इन मेटेरियल्स का उपयोग बैटरी में इलेक्ट्रोड के रूप में कर ऊर्जा संचयन क्षमता बढ़ाई जा सकती है। इन मेटेरियल्स से बनी ऊर्जा संचयन युक्ति को वाहनों में लगाकर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।
विस्तार
नैनो मैटेरियल्स, नैनो टेक्नोलॉजी और ऊर्जा के क्षेत्र में उत्कृष्ट शोध करने पर आईआईटी के प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार का नाम स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (यूएसए) की श्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया गया है। इस सूची में विश्व भर के दो लाख श्रेष्ठ वैज्ञानिक हैं।
डॉ. राजेश की रैंक 49 हजार है। स्टैनफोर्ड विवि विश्व भर में विभिन्न क्षेत्रों में शोध करने वाले एक करोड़ वैज्ञानिकों का डाटा एकत्र करता है। इनमें से दो फीसदी शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची जारी करता है। मऊ जिला के ग्राम बनियापार के रहने वाले डॉ. राजेश की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा मऊ में हुई।
डॉ. राजेश एक दशक से भी अधिक समय से कार्बन नैनोमेटेरियल्स (ग्रेफीन, कार्बन नैनो ट्यूब) के निर्माण और उसका उपयोग ऊर्जा के क्षेत्र में करने पर काम कर रहे हैं। अभी तक इनके 85 से ज्यादा शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं।
उन्होंने कई तरह के नैनो मेटेरियल्स बनाए हैं जो ऊर्जा संचयन और रूपांतरण में प्रयुक्त होते हैं। इन मेटेरियल्स का उपयोग बैटरी में इलेक्ट्रोड के रूप में कर ऊर्जा संचयन क्षमता बढ़ाई जा सकती है। इन मेटेरियल्स से बनी ऊर्जा संचयन युक्ति को वाहनों में लगाकर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।