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छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) कानपुर से संबद्ध महाविद्यालयों के शुल्क में नए सत्र से बढ़ोतरी कर दी गई है। यह बढ़ोतरी परीक्षा व खेल शुल्क में की गई है। शुक्रवार को इस बाबत विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी कॉलेजों को आदेश जारी कर दिया। इससे कॉलेजों के करीब दस लाख छात्र और इस बार नए एडमिशन लेने वाले छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा।
महाविद्यालयों, मेडिकल कॉलेजों को भेजे आदेश में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि नए सत्र से स्नातक (बीए, बीएससी, बीकॉम) के छात्रों को 885 रुपये के बजाय 1185 रुपये परीक्षा शुल्क देना होगा। इसके अलावा प्रैक्टिकल और मौखिक परीक्षाओं के लिए अलग से सौ रुपये देना होगा। परास्नातक (एमए, एमएससी और एमकॉम) में अब 835 रुपये की बजाय 1385 रुपये का शुल्क देना होगा।
बीएड के छात्रों का परीक्षा शुल्क 1300 से बढ़ाकर 1500, एमएड की फीस 1700 से दो हजार कर दी गई है। बीएससी नर्सिंग के छात्रों से अब एक हजार के बजाय दो हजार रुपये का परीक्षा शुल्क लिया जाएगा। बीएससी नर्सिंग के चार वर्षीय प्रोग्राम में छात्रों को तीन हजार के बजाय अब चार हजार रुपये परीक्षा शुल्क देना होगा।
एमबीबीएस, बीएमएस, बीयूएमएस के छात्रों को अब नौ हजार रुपये परीक्षा शुल्क देना होगा। अभी तक इसका शुल्क 7500 रुपये था। मेडिकल के पीजी कोर्स में शुल्क 10 हजार से बढ़ाकर 12 हजार कर दिया गया है। एलएलबी और बीए-एलएलबी के छात्रों को 1020 के बजाय 1500 रुपये परीक्षा शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा। क्रीड़ा शुल्क भी बीस रुपये के बजाय 40 रुपये कर दिया गया है। अब यह बढ़ी हुई फीस मिलाकर कॉलेज अपने-अपने यहां वार्षिक फीस जमा करवाएंगे।
कॉलेजों में हुई शुल्क बढ़ोतरी के खिलाफ कॉलेजों के प्राचार्यों ने आवाज उठाना शुरू कर दिया है। बीएनडी कॉलेज के प्राचार्य डॉ विवेक द्विवेदी ने बताया कि कॉलेजों में एडमिशन के लिए ब्रोशर छप चुका है। ऐेसे में अब फीस बढ़ाना छात्रों के साथ अन्याय है। इस बढ़ोतरी का पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी का कहना है कि कॉलेजों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। बड़ी संख्या में कॉलेज बंदी के कगार पर हैं। ऐसे में शुल्क बढ़ोतरी से काफी नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि 2015 में भी इसी तरह बिना शासन और राज्यपाल की अनुमति के शुल्क में बढ़ोतरी कर दी गई थी। तब विरोध के चलते तत्कालीन कुलपति प्रो. जेवी वैशंपायन को अपना आदेश वापस लेना पड़ा था।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने डिग्री कॉलेजों के अलावा सीएसजेएमयू से संबद्ध जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज सहित 25 मेडिकल कॉलेजों के शुल्क में भी बढ़ोतरी कर दी है। कॉलेजों को निर्देश दिया गया है कि यह शुल्क नए सत्र से ही लागू कर दिया जाए।
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) कानपुर से संबद्ध महाविद्यालयों के शुल्क में नए सत्र से बढ़ोतरी कर दी गई है। यह बढ़ोतरी परीक्षा व खेल शुल्क में की गई है। शुक्रवार को इस बाबत विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी कॉलेजों को आदेश जारी कर दिया। इससे कॉलेजों के करीब दस लाख छात्र और इस बार नए एडमिशन लेने वाले छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा।
महाविद्यालयों, मेडिकल कॉलेजों को भेजे आदेश में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि नए सत्र से स्नातक (बीए, बीएससी, बीकॉम) के छात्रों को 885 रुपये के बजाय 1185 रुपये परीक्षा शुल्क देना होगा। इसके अलावा प्रैक्टिकल और मौखिक परीक्षाओं के लिए अलग से सौ रुपये देना होगा। परास्नातक (एमए, एमएससी और एमकॉम) में अब 835 रुपये की बजाय 1385 रुपये का शुल्क देना होगा।
बीएड के छात्रों का परीक्षा शुल्क 1300 से बढ़ाकर 1500, एमएड की फीस 1700 से दो हजार कर दी गई है। बीएससी नर्सिंग के छात्रों से अब एक हजार के बजाय दो हजार रुपये का परीक्षा शुल्क लिया जाएगा। बीएससी नर्सिंग के चार वर्षीय प्रोग्राम में छात्रों को तीन हजार के बजाय अब चार हजार रुपये परीक्षा शुल्क देना होगा।
शुल्क बढ़ोतरी के खिलाफ उठने लगी आवाज
एमबीबीएस, बीएमएस, बीयूएमएस के छात्रों को अब नौ हजार रुपये परीक्षा शुल्क देना होगा। अभी तक इसका शुल्क 7500 रुपये था। मेडिकल के पीजी कोर्स में शुल्क 10 हजार से बढ़ाकर 12 हजार कर दिया गया है। एलएलबी और बीए-एलएलबी के छात्रों को 1020 के बजाय 1500 रुपये परीक्षा शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा। क्रीड़ा शुल्क भी बीस रुपये के बजाय 40 रुपये कर दिया गया है। अब यह बढ़ी हुई फीस मिलाकर कॉलेज अपने-अपने यहां वार्षिक फीस जमा करवाएंगे।
कॉलेजों में हुई शुल्क बढ़ोतरी के खिलाफ कॉलेजों के प्राचार्यों ने आवाज उठाना शुरू कर दिया है। बीएनडी कॉलेज के प्राचार्य डॉ विवेक द्विवेदी ने बताया कि कॉलेजों में एडमिशन के लिए ब्रोशर छप चुका है। ऐेसे में अब फीस बढ़ाना छात्रों के साथ अन्याय है। इस बढ़ोतरी का पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा।
25 मेडिकल कॉलेजों में भी बढ़ी फीस
उत्तर प्रदेश सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी का कहना है कि कॉलेजों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। बड़ी संख्या में कॉलेज बंदी के कगार पर हैं। ऐसे में शुल्क बढ़ोतरी से काफी नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि 2015 में भी इसी तरह बिना शासन और राज्यपाल की अनुमति के शुल्क में बढ़ोतरी कर दी गई थी। तब विरोध के चलते तत्कालीन कुलपति प्रो. जेवी वैशंपायन को अपना आदेश वापस लेना पड़ा था।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने डिग्री कॉलेजों के अलावा सीएसजेएमयू से संबद्ध जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज सहित 25 मेडिकल कॉलेजों के शुल्क में भी बढ़ोतरी कर दी है। कॉलेजों को निर्देश दिया गया है कि यह शुल्क नए सत्र से ही लागू कर दिया जाए।