बहराइच। बसों में आए दिन हो रहे हादसों के बाद भी निजी बस संचालक व रोडवेज प्रशासन सबक नहीं ले रहे हैं। हालात यह है कि जिले में फर्राटे भर रहीं ज्यादातर बसें अग्निशमन यंत्र के बिना ही सड़कों पर दौड़ रही हैं। बिना अग्निशमन यंत्र के दौड़ रही बसों में अधिकतर निजी वाहन हैं। इन बसों में अग्निशमन यंत्र या तो नदारद है या फिर मात्र शोपीस बने हैं। निजी बस संचालक बसों में अग्निशमन यंत्र लगाने के प्रति गंभीर नहीं हैं। ऐसे में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है। परिवहन विभाग की अनदेखी यात्रियों के जीवन पर भारी पड़ सकती है।जिले की रोडवेज बस अड्डे से मौजूदा समय 80 बसों का संचालन किया जा रहा है। जबकि शहर के पांच निजी बस स्टैंडों से भी करीब 150 से अधिक बसों का संचालन भिनगा, रूपईडीहा, बिछिया, कतर्नियाघाट, महसी, मल्हीपुर व हुजूरपुर मार्ग पर किया जा रहा है। निगम की नई बसों में तो अग्निशमन यंत्र देखने को मिल रहा है, लेकिन पुरानी बसों से अग्निशमन यंत्र नहीं हैं। इसके अलावा निजी बसों में तो 40 फीसदी से अधिक बसों से अग्निशमन यंत्र नदारद है। परिवहन विभाग की ओर से सड़क सुरक्षा माह का आयोजन कर बस मालिकों व चालकों को यातायात नियमों का पाठ भी पढ़ाया जाता है, लेकिन बसों में अग्निशमन यंत्र लगाने के लिए कभी भी प्रेरित नहीं जाता। हालात यह है कि बसों में अग्निशमन यंत्र लगवाने के लिए न ही विभागीय जिम्मेदार कोई दिलचस्पी ले रहें हैं और न ही निजी बस संचालक। ऐसे में अगर बस में शाॅर्ट सर्किट या अन्य किन्हीं कारणों से आग लग जाए, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
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अभियान चलाकर की जाएगी कार्रवाई
बसों समेत अन्य छोटे-बड़े वाहनों में अग्निशमन यंत्र होना आवश्यक है। निरीक्षण के दौरान वाहनों में अग्निशमन यंत्र न होने पर वाहन संचालक व मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। पुन: विशेष अभियान चलाकर वाहनों की जांच की जाएगी और कार्रवाई भी
ओपी सिंह, एआरटीओ प्रवर्तन
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सभी बसों में लगे अग्निशमन यंत्र
यात्रियों की सुरक्षा के सभी मापदंडों का बारीकी से ध्यान रखा जाता है। निरंतर जांच की जाती है। निगम की कोई भी बस अग्निशमन यंत्र के बिना नहीं चल रही। अग्निशमन यंत्र की मानक अवधि एक साल की होती है। अगर एक दो बसों में सिलिंडर नहीं मिले हैं, तो रीफिलिंग के लिए कानपुर भेजे गए होंगे। दो दिनों में वापस आ जाएंगे।
-प्रेम कुमार, एआरएम