सांस्कृतिक कुंभ में सोमवार की शाम तीन देशों की रामलीला और रासलीलाओं का संगम देखने लायक रहा। मलयेशिया, श्रीलंका और रूस की लीलाओं के कलाकार अपनी-अपनी प्रस्तुतियों के बाद एक साथ मंच पर आए तो तालियों की गडग़ड़ाहट से अक्षयवट पंडाल गूंज उठा।
अक्षयवट के मंच पर मलयेशिया के कलाकारों ने रासलीला की बेजोड़ प्रस्तुति की। अयोध्या शोध संस्थान के आमंत्रण पर आए विदेशी कलाकारों से रास अभिनय पर लोग मंत्रमुग्ध हो उठे। इनके बाद श्रीलंका के कलाकारों ने रामलीला के भावों पर जीवंत अभिनय किया।
इनके बाज बारी आई रूस के गेनादी पेचनीकोव दिशा रामलीला के कलाकारों ने रूसी भाषा पर आधारित रामलीला के संवादों से हर किसी को आकर्षित किया। हर हर महादेव, जय श्रीराम के उद्घोष के साथ सीता स्वयंवर से लेकर राम-रावण युद्ध तक के भावों को रूसी कलाकारों ने जीवंत किया।
भारत-रूस मैत्री संघ के कोआर्डिनेटर रामेश्वर सिंह के निर्देशन में मंचित इस रूसी रामलीला की प्रस्तुति के दौरान अक्षयवट पंडाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंजता रहा। अंत में रूस, मलयेशिया और श्रीलंका की लीलाओं के कलाकारों को एक साथ सम्मानित किया गया।