इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 में आगरा में सेना भर्ती घोटाले के आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। आरोपियों ने सी बी आई कोर्ट गाजियाबाद द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ अपील दाखिल कर जमानत पर छोड़े जाने की मांग की गई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति पी के श्रीवास्तव ने दिया है।
भर्ती घोटाले के आरोपी ब्रिगेडियर जगजीत सिंह, सूबेदार मेजर हरिचन्द,हवलदार /क्लर्क बीरभान,नंदकिशोर,परमजीत सिंह, रवीन्द्र कुमार ,आशुतोष पांडेय, आजाद सिंह, प्रमोद कुमार, रामकृष्ण व राजकुमार गौतम के विरुद्ध आरोप को गम्भीर मानते हुए जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है।
सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश का कहना था कि सेना के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपने आवास पर ले जाकर अनुचित लाभ लेकर परीक्षा की कापियां बदली और पास कराया। सेना के अधिकारियों का दायित्व था कि वे निष्पक्ष ईमानदारी से परीक्षा कराते।
मालूम हो कि बी. आर. ओ. आगरा ने 26 मई 1991 में भर्ती परीक्षा ली और मेजर ने आवास पर 22 लोगों की कापियां बदल कर लिफाफा लखनऊ मुख्यालय भेज दिया। एक ही हैंडराइटिंग व समान 100 में 97 अंक पाने के कारण जांच सीबीआई को सौंपी गई, जिसने परीक्षा कराने वाले सेना के अधिकारियों सहित लाभार्थियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। 8 अभ्यर्थियों को घोटाले में भागीदार पाया गया।
कोर्ट ने कहा बिना सेना के अधिकारियों की मिलीभगत के ऐसा घपला नहीं हो सकता था। कोर्ट ने कहा सेना वास्तविक हीरो है। अनुशासन है। जनता में सेना की अलग छवि है। यदि सहानुभूति दिखाई गई तो सेना के प्रति जनविश्वास में कमी आएगी। इनके अपराध गम्भीर हैं। जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 में आगरा में सेना भर्ती घोटाले के आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। आरोपियों ने सी बी आई कोर्ट गाजियाबाद द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ अपील दाखिल कर जमानत पर छोड़े जाने की मांग की गई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति पी के श्रीवास्तव ने दिया है।
भर्ती घोटाले के आरोपी ब्रिगेडियर जगजीत सिंह, सूबेदार मेजर हरिचन्द,हवलदार /क्लर्क बीरभान,नंदकिशोर,परमजीत सिंह, रवीन्द्र कुमार ,आशुतोष पांडेय, आजाद सिंह, प्रमोद कुमार, रामकृष्ण व राजकुमार गौतम के विरुद्ध आरोप को गम्भीर मानते हुए जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है।
सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश का कहना था कि सेना के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपने आवास पर ले जाकर अनुचित लाभ लेकर परीक्षा की कापियां बदली और पास कराया। सेना के अधिकारियों का दायित्व था कि वे निष्पक्ष ईमानदारी से परीक्षा कराते।
मालूम हो कि बी. आर. ओ. आगरा ने 26 मई 1991 में भर्ती परीक्षा ली और मेजर ने आवास पर 22 लोगों की कापियां बदल कर लिफाफा लखनऊ मुख्यालय भेज दिया। एक ही हैंडराइटिंग व समान 100 में 97 अंक पाने के कारण जांच सीबीआई को सौंपी गई, जिसने परीक्षा कराने वाले सेना के अधिकारियों सहित लाभार्थियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। 8 अभ्यर्थियों को घोटाले में भागीदार पाया गया।
कोर्ट ने कहा बिना सेना के अधिकारियों की मिलीभगत के ऐसा घपला नहीं हो सकता था। कोर्ट ने कहा सेना वास्तविक हीरो है। अनुशासन है। जनता में सेना की अलग छवि है। यदि सहानुभूति दिखाई गई तो सेना के प्रति जनविश्वास में कमी आएगी। इनके अपराध गम्भीर हैं। जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।