ताजनगरी में क्रांति की ज्वाला लगातार तेज हो रही थी। युवा परशुराम की शहादत के बाद पूरे जिले में आंदोलन तीव्र हो गया। नौ अगस्त की रात को तय किया गया कि सुबह होते ही रेलवे को निशाना बनाया जाएगा। दस अगस्त को अलग-अलग गुटों में युवा रेलवे स्टेशन पहुंच गए और टेलीफोन की तारें काट दीं। इससे रेलवे की संचार व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई। कई रेल गाड़ियां जहां की तहां खड़ी हो गईं।
हाथी घाट पर पुलिस फायरिंग में शहीद हुए परशुराम और तमाम लोगों के घायल होने की खबर पूरे जिले में फैल गई थी। लोग अंग्रेजों के इस कदम से खासे नाराज थे। इतिहासकार बताते हैं कि क्रांतिकारियों ने इस शहादत का बदला लेने की योजना बनाई। नौ अगस्त की रात को बेलनगंज के एक मकान में खुफिया बैठक बुलाई गई। युवा क्रांतिकारियों को रेलवे स्टेशनों को निशाना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
पौ फटते ही क्रांति के दीवानों के छह से अधिक दल (जिनमें दस-दस युवक शामिल थे) प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर पहुंच गए। युवाओं ने वहां के टेलीफोन की लाइनें काट दीं। संचार व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। कई रेल गाड़ियां रास्ते में ही खड़ी हो गईं। कुछ ही देर में क्रांतिकारियों के इस कदम की जानकारी पुलिस को लग गई और सरकारी मोटरगाड़ियों ने स्टेशनों की ओर दौड़ लगा दी। योजना रेलवे स्टेशनों को आग के हवाले करने की थी लेकिन अंग्रेज अधिकारियों के पहुंचने के कारण ऐसा नहीं हो सका। आंदोलन को अगले दिन के लिए स्थगित कर युवा वहां से रवाना हो गए। इस दौरान कई युवकों को पुलिस ने पकड़ा लेकिन उनके खिलाफ कोई सुबूत न होने के कारण तीन दिन बाद छोड़ दिया।
देहात में तेज करना था आंदोलन
क्रांतिकारी दस अगस्त की शाम को किनारी बाजार पहुंचे लेकिन वहां पुलिस का पहरा था। इतिहासकार बताते हैं कि पुलिस को पता चल गया कि युवाओं की टोली बेलनगंज और किनारी बाजार के कुछ मकानों में गुप्त बैठकें करती थी। इसके बाद युवाओं ने नूरी दरवाजा का रुख किया। यहां एक युवक के घर पर बैठक हुई और देहात क्षेत्र में आंदोलन को गति देने पर चर्चा की गई। युवाओं के गुट अलग-अलग टुकड़ियों में उसी रात देहात क्षेत्रों के क्रांतिकारियों से मिलने के लिए रवाना हो गए।
अंग्रेजों ने किया प्रताड़ित
रेलवे स्टेशनों को निशाना बनाने वाले युवाओं की तलाश में पुलिस ने कई जगह दबिश दी। कई क्रांतिकारियों की गिरफ्तारियां भी हुईं। अंग्रेजों ने उन्हें प्रताड़ित किया फिर भी आजादी के मतवालों ने हार नहीं मानी। -शशि शिरोमणी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रकाश नारायण शिरोमणी के परिजन
क्रांति की ज्वाला: अगस्त क्रांति के पहले शहीद थे परशुराम, गुप्त बैठक के बाद आगरा की सड़कों पर उतर आए थे हजारों लोग
विस्तार
ताजनगरी में क्रांति की ज्वाला लगातार तेज हो रही थी। युवा परशुराम की शहादत के बाद पूरे जिले में आंदोलन तीव्र हो गया। नौ अगस्त की रात को तय किया गया कि सुबह होते ही रेलवे को निशाना बनाया जाएगा। दस अगस्त को अलग-अलग गुटों में युवा रेलवे स्टेशन पहुंच गए और टेलीफोन की तारें काट दीं। इससे रेलवे की संचार व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई। कई रेल गाड़ियां जहां की तहां खड़ी हो गईं।
हाथी घाट पर पुलिस फायरिंग में शहीद हुए परशुराम और तमाम लोगों के घायल होने की खबर पूरे जिले में फैल गई थी। लोग अंग्रेजों के इस कदम से खासे नाराज थे। इतिहासकार बताते हैं कि क्रांतिकारियों ने इस शहादत का बदला लेने की योजना बनाई। नौ अगस्त की रात को बेलनगंज के एक मकान में खुफिया बैठक बुलाई गई। युवा क्रांतिकारियों को रेलवे स्टेशनों को निशाना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
पौ फटते ही क्रांति के दीवानों के छह से अधिक दल (जिनमें दस-दस युवक शामिल थे) प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर पहुंच गए। युवाओं ने वहां के टेलीफोन की लाइनें काट दीं। संचार व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। कई रेल गाड़ियां रास्ते में ही खड़ी हो गईं। कुछ ही देर में क्रांतिकारियों के इस कदम की जानकारी पुलिस को लग गई और सरकारी मोटरगाड़ियों ने स्टेशनों की ओर दौड़ लगा दी। योजना रेलवे स्टेशनों को आग के हवाले करने की थी लेकिन अंग्रेज अधिकारियों के पहुंचने के कारण ऐसा नहीं हो सका। आंदोलन को अगले दिन के लिए स्थगित कर युवा वहां से रवाना हो गए। इस दौरान कई युवकों को पुलिस ने पकड़ा लेकिन उनके खिलाफ कोई सुबूत न होने के कारण तीन दिन बाद छोड़ दिया।