कहा जाता है कि विकास के लिए लोगों को आस्था और संस्कृति का बलिदान करना पड़ता है, इसका ताजा उदाहरण मिला जयपुर में। जहां मेट्रो की राह से बाधाएं दूर करने के लिए शहर के प्रमुख मंदिरों को एक झटके में ही नेस्तनाबूद कर दिया गया।
इनमें सबसे प्रमुख मंदिर था रोजगारेश्वर महादेव मंदिर। जयपुर मेट्रो के लिए भीमकाय क्रेन द्वारा तोड़े गए जिस मंदिर की फोटो सबसे ज्यादा मीडिया और सोशल मीडिया पर छाई रही वह रोजगारेश्वर मंदिर की ही थीं।
रोजगारेश्वर मंदिर को लेकर जयपुर में आस्था का ये आलम था कि अभी तक मंदिरों के ध्वस्तीकरण के दौरान चुप्पी साधे बैठे शहरवासियों के सब्र का बांध एक झटके में ही टूट गया। लोग सड़कों पर उतर आए।
आश्चर्यजनक रूप से प्रशासन के इस कदम के विरोध में भाजपा का मातृत्व संगठन आरएसएस भी शहरवासियों के समर्थन में आ गया। यही कारण रहा कि राजस्थान सरकार को रोजगारेश्वर मंदिर सहित कुल 22 मंदिरों को दोबारा निर्मित कराने का निर्णय लेना पड़ा।
आइए निगाह डालते हैं रोजगारेश्वर मंदिर की महिमा पर जहां रोज सैकडों लोग रोजगार की आस लेकर पहुंचते थे।
पिंक सिटी जयपुर की छोटी चौपड़ में स्थित रोजगारेश्वर मंदिर करीब ढाई सौ साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव यहां आने वाले बेरोजगार लोगों की रोजगार की मुराद पूरी करते हैं। सोमवार के दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
जयपुर का यह मंदिर लोगों में जबरदस्त आस्था का केन्द्र था। कहा जाता है कि शहर के लोग कहीं इंटरव्यू देने जाने से पहले इस मंदिर में भगवान रोजगारेश्वर महादेव का दर्शन किए बगैर नहीं जाते थे। महादेव का आशीर्वाद लेकर ही लोग नौकरी तलाशने निकलते थे।
यही कारण था कि प्रशासन ने लोगों के विरोध को देखते हुए इस मंदिर को तोड़ने सुबह साढ़े चार बजे ही काम शुरू कर दिया था। लेकिन इसका पता चलते ही भारी संख्या में लोग मौके पर पहुंच गए।
हालांकि पुलिस पूरी तैयारी से पहुंची थी, नतीजतन भारी भरकम पुलिस फोर्स के चलते श्रद्धालुओं की एक न चल सकी। प्रशासन की यही दबंगई उसके लिए गले की फांस बन गई और इसके विरोध में आंदोलन शुरू हो गया।
कहा जाता है कि विकास के लिए लोगों को आस्था और संस्कृति का बलिदान करना पड़ता है, इसका ताजा उदाहरण मिला जयपुर में। जहां मेट्रो की राह से बाधाएं दूर करने के लिए शहर के प्रमुख मंदिरों को एक झटके में ही नेस्तनाबूद कर दिया गया।
इनमें सबसे प्रमुख मंदिर था रोजगारेश्वर महादेव मंदिर। जयपुर मेट्रो के लिए भीमकाय क्रेन द्वारा तोड़े गए जिस मंदिर की फोटो सबसे ज्यादा मीडिया और सोशल मीडिया पर छाई रही वह रोजगारेश्वर मंदिर की ही थीं।
रोजगारेश्वर मंदिर को लेकर जयपुर में आस्था का ये आलम था कि अभी तक मंदिरों के ध्वस्तीकरण के दौरान चुप्पी साधे बैठे शहरवासियों के सब्र का बांध एक झटके में ही टूट गया। लोग सड़कों पर उतर आए।
आश्चर्यजनक रूप से प्रशासन के इस कदम के विरोध में भाजपा का मातृत्व संगठन आरएसएस भी शहरवासियों के समर्थन में आ गया। यही कारण रहा कि राजस्थान सरकार को रोजगारेश्वर मंदिर सहित कुल 22 मंदिरों को दोबारा निर्मित कराने का निर्णय लेना पड़ा।
आइए निगाह डालते हैं रोजगारेश्वर मंदिर की महिमा पर जहां रोज सैकडों लोग रोजगार की आस लेकर पहुंचते थे।