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हाल ही में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार की असहमति और आपत्तियां सामने आई हैं। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने यह आपत्तियां जताई है। इन्हें आयोग की ओर से सभी राज्यों को भेजा जा रहा है। नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या राजस्थान में ओपीएस को बंद किया जा सकता है, केंद्र ने पैसा नहीं दिया तो राज्य कहां से लाएंगे और क्या जनता पर कर का बोझ डाला जा सकता है? आइए समझते हैं, इन्हीं सब सवालों का जवाब।
ओपीएस की कहां से हुई थी शुरुआत...
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मार्च 2022 में हुए चुनावों में कांग्रेस की बागडोर प्रियंका गांधी ने संभाल रखी थी। प्रियंका ने तब प्रदेश के 22-23 लाख कर्मचारियों को सरकार बनने पर ओल्ड पेंशन स्कीम देने का वादा किया था। इस वादे को समाजवादी पार्टी की ओर से अखिलेश यादव ने भी कर्मचारियों के सामने रखा था। बीजेपी ने ओल्ड पेंशन स्कीम का कोई वादा नहीं किया, फिर भी यूपी में सरकार बीजेपी की बनी। कांग्रेस को 403 में से एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। यहीं से प्रियंका का यह वादा राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने अपनाया।
बीजेपी शासित राज्यों में ओपीएस लागू नहीं...
बीजेपी ने न तो केंद्र सरकार के कर्मचारियों और न किसी भी उस राज्य में जहां उसकी सरकारें हैं, वहां पर ओपीएस लागू नहीं की है। बीजेपी ने अब तक किसी भी राज्य में चुनावी सभा में ओपीएस लागू करने का वादा भी नहीं किया है। मार्च 2022 में यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब में भी पार्टी ने ओपीएस का वादा नहीं किया। बीजेपी ने इन दिनों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी यह वादा नहीं किया है।
ओल्ड पेंशन स्कीम और नई पेंशन स्कीम क्या है?
ओल्ड पेंशन स्कीम पूरे देश में 31 मार्च 2004 तक लागू थी। एक अप्रैल 2004 से पूरे देश में केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम लागू की गई। इसके लिए तत्कालीन एनडीए (बीजेपी नीत) सरकार ने संसद में एक बिल पेश कर देश में ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म कर दिया। इस बिल को मई 2004 में केंद्र में सत्ता में आई यूपीए सरकार (कांग्रेस नीत) ने भी लगातार 10 साल जारी रखा। बाद में साल 2014 से अब तक केंद्र में स्थापित बीजेपी सरकार ने भी इसे जारी रखा हुआ है।
ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी को रिटायर के बाद भी प्रत्येक महीने पेंशन राशि मिलती है, जबकि नई पेंशन स्कीम में रिटायर होने के बाद प्रत्येक महीने मिलने वाली पेंशन बंद हो जाती है। इसके अलावा ओल्ड पेंशन स्कीम में पेंशन देने का खर्च सरकार की ओर से उठाया जाता है। वहीं नई पेंशन स्कीम में जिन कर्मचारियों को पेंशन चाहिए, उन्हें इसका वित्तीय भार भी खुद ही उठाना पड़ता है।
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