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The politics of the hot district as soon as the seat of Mohali came under the part of Akali Dal
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मोहाली की सीट अकाली दल के हिस्से में आते ही गर्माई जिले की राजनीति
मोहाली। शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी में हुई सीटों की अदला बदली से एक बार फिर वीआईपी जिले की राजनीति गर्मा गई है। हलके में अब विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय मुकाबला होने का आसार बन गए हैं। हालांकि कृषि कानून वापस होने के एलान से ही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भी उम्मीद है कि लोग चुनाव उनका साथ देंगे। अकाली दल का हलका मोहाली से उम्मीदवार कौन होगा। इसको लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लोकल नेताओं की माने तो वह चाहते हैं कि इस बारे पैराशूट से नहीं बल्कि उनके बीच में से उम्मीदवार तय किया जाए। ताकि वह सत्ताधारी दल की इस सीट को अपने पक्ष में कर पाए।
जानकारी के मुताबिक गत समय में अकाली दल और बीजेपी की दस साल सरकार रही थी। उस समय मोहाली में काफी विकास कार्य सरकार ने करवाए थे। इतना ही नहीं शिरोमणि अकाली दल ने तो उस उस समय मोहाली मॉडल पर ही पंजाब में चुनाव लड़ने का एलान किया था। हालांकि गत चुनाव में दल को हार का मुंह देखना पड़ा था। इसके बाद भी दोनों दल मिलकर डटे हुए थे। लेकिन जैसे ही कृषि कानूनों के आने से शिरोमणि अकाली और भारतीय जनता पार्टी की राहे अलग हुई तो अकाली दल ने तुरंत बसपा को अपना साथी चुन लिया था। वहीं, दोनों दलों में जो सीट शेयरिंग का फार्मूला बना था। उस हिसाब से यह सीटें बसपा के खाते में चली गई थी। जिससे अकाली दल के नेता व समर्थक मायूसी थी। लेकिन वह इस बारे में खुलकर कुछ नहीं बोल पा रहे थे। इसी बीच सूत्रों की मानें तो अकाली दल ने अपना सर्वे करवाया तो उसमें यह बात सामने आई थी कि यदि अकाली दल सीट पर चुनावी मैदान में उतरता है तो इस सीट पर मुकाबला रोमांचक हो सकता है। फिर इसी माह के शुरू में अकाली दल ने इसी बात को पुख्ता करने को लेकर अपने सर्किल प्रधानों की बैठक की थी। इसमें उनकी राय जानने की कोशिश की थी। साथ ही उन्हें कहा गया था कि किसी महिला नेता को यहां से उतारा जाए तो क्या जनता उसे पसंद करेगी। इस पर नेताओं ने हामी भरी थी। हालांकि नेताओं का कहना था कि उन्हें पैराशूटर नहीं, बल्कि लोकल नेता चाहिए। बता दें कि शिरोमणि अकाली दल उक्त सीट पर कब्जा करने के लिए कई अच्छे नेता उतार चुका है। लेकिन हर बार अंतरकलह से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इसमें सीनियर नेता बलवंत सिंह रामूवालिया और मोहाली के डीसी रह चुके तेजिंदर पाल सिंह सिद्धू तक शामिल हैं।
क्या कहते हैं अकाली नेता
दोनों दलों में समझौते के बाद सीटों की अदला बदली हुई है। हालांकि अभी तक मोहाली के लिए अकाली दल की तरफ से उम्मीदवार तय नहीं किया गया है। पार्टी की तरफ से अच्छा नेता चुुनावी मैदान में उतारा जाएगा।
- डॉ. दलजीत चीमा, शिअद के प्रवक्ता।
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