66 वर्षीय वरिष्ठ नेता रविंदर सिंह संधू (बब्बल) की डेंगू से मौत हो गई है। संधू लुधियाना के फोर्टिस अस्पताल में दाखिल थे और शुक्रवार शाम करीब साढ़े चार बजे उनका निधन हो गया। वे फिरोजपुर से दो विधानसभा चुनाव जीते थे। राजनीति में वर्ष 1982 में कदम रखा था। संधू यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी रहे हैं।
संधू के दोस्त अशोक गुप्ता ने बताया कि फिरोजपुर के गांव रत्ता खेड़ा पंजाब सिंह वाला रविंदर सिंह संधू का पैतृक गांव है। 23 अक्तूबर को संधू की तबीयत खराब होने पर एक स्थानीय निजी अस्पताल में दाखिल करवाया, जहां उन्हें डेंगू से पीड़ित बताया गया था। यहां उनकी तबीयत में सुधार नहीं आते देख उन्हें लुधियाना के फोर्टिस अस्पताल में दाखिल करवाया गया।
शुक्रवार शाम लगभग साढ़े चार बजे उनका निधन हो गया। गुप्ता ने बताया कि संधू वर्ष 1982 में राजनीति में आए और यूथ कांग्रेस जिला प्रधान बने थे। 10 साल कांग्रेस में रहकर पार्टी की सेवा की। वर्ष 1992 में विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया।
संधू आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े थे, बाद में चुनाव रद्द हो गए थे। इसी वर्ष फिर चुनाव हुए तो कांग्रेस ने गुरनेब सिंह बराड़ को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया था। टिकट नहीं मिलने पर नाराज संधू आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में कूदे और जीत हासिल की थी।
वर्ष 1996 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर सुनील जाखड़ चुनाव लड़े और दोबारा संधू को कांग्रेस में लेकर आए थे। वर्ष 2013 में संधू अकाली दल में शामिल हो गए। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में संधू को आम आदमी पार्टी से टिकट मिलने की चर्चा थी।
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66 वर्षीय वरिष्ठ नेता रविंदर सिंह संधू (बब्बल) की डेंगू से मौत हो गई है। संधू लुधियाना के फोर्टिस अस्पताल में दाखिल थे और शुक्रवार शाम करीब साढ़े चार बजे उनका निधन हो गया। वे फिरोजपुर से दो विधानसभा चुनाव जीते थे। राजनीति में वर्ष 1982 में कदम रखा था। संधू यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी रहे हैं।
संधू के दोस्त अशोक गुप्ता ने बताया कि फिरोजपुर के गांव रत्ता खेड़ा पंजाब सिंह वाला रविंदर सिंह संधू का पैतृक गांव है। 23 अक्तूबर को संधू की तबीयत खराब होने पर एक स्थानीय निजी अस्पताल में दाखिल करवाया, जहां उन्हें डेंगू से पीड़ित बताया गया था। यहां उनकी तबीयत में सुधार नहीं आते देख उन्हें लुधियाना के फोर्टिस अस्पताल में दाखिल करवाया गया।
शुक्रवार शाम लगभग साढ़े चार बजे उनका निधन हो गया। गुप्ता ने बताया कि संधू वर्ष 1982 में राजनीति में आए और यूथ कांग्रेस जिला प्रधान बने थे। 10 साल कांग्रेस में रहकर पार्टी की सेवा की। वर्ष 1992 में विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया।
संधू आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े थे, बाद में चुनाव रद्द हो गए थे। इसी वर्ष फिर चुनाव हुए तो कांग्रेस ने गुरनेब सिंह बराड़ को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया था। टिकट नहीं मिलने पर नाराज संधू आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में कूदे और जीत हासिल की थी।
वर्ष 1996 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर सुनील जाखड़ चुनाव लड़े और दोबारा संधू को कांग्रेस में लेकर आए थे। वर्ष 2013 में संधू अकाली दल में शामिल हो गए। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में संधू को आम आदमी पार्टी से टिकट मिलने की चर्चा थी।