महाशिवरात्रि पर्व पर कानपुर शहर के प्रमुख मंदिरों में भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए भक्तों की धूम मची हुई है। शहर के शिवालयों में हर हर महादेव गूंज रहा है। सोमवार का दिन भोलेनाथ का दिन माना गया है। इसलिए देर रात से ही मंदिराें में भक्तों की भीड़ लगी हुई है। सुबह की महाआरती के बाद मंदिरों के पट भक्तों के लिए खुल गए। महाशिवरात्रि पर्व पर बाबा सोमनाथ का दुर्लभ संयोग बना है।
जागेश्वर, वनखंडेश्वर और सिद्धनाथ मंदिर में सोमवार सुबह चार बजे पट खोल दिए जाएंगे। महाशिवरात्रि के लिए इन मंदिरों में तैयारियां अंतिम चरण में चल रहीं हैं। भक्तों की सुरक्षा के लिए मंदिर में कड़े इंतजाम रहेंगे। बता दें कि इस बार महाशिवरात्रि का पर्व चार मार्च को धनिष्ठा नक्षत्र एवं शिव योग में मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे। इसके स्वामी शनिदेव माने जाते हैं। शनिदेव शिवजी के अनन्य भक्त और शिष्यों में एक हैं। ऐसे में इस बार महाशिवरात्रि पर देवाधिदेव महादेव के पूजन से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होगी।
आनंदेश्वर: मान्यता है कि इस मंदिर में दानवीर कर्ण भी पूजा करते थे। पहले यहां के जंगल में एक स्थान पर आनंदी नाम की गाय दूध गिरा देती थी। चरवाहे ने जब उस स्थान को देखा तो शिवलिंग मिला। आनंदी के नाम पर शिवलिंग का नाम आनंदेश्वर रख दिया गया। मान्यता है कि यहां 40 दिनों तक बाबा के नियमित दर्शन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
जागेश्वर: 300 साल पहले जागे नाम का मल्लाह यहां गाय चराता था। उसकी गाय एक स्थान पर दूध निकाल देती थी। जागे ने जब खुरपी से खोदा तो शिवलिंग निकला। शिवलिंग पर खुरपी के निशान अभी भी हैं। जागे मल्लाह के नाम पर शिवलिंग का जागेश्वर नाम पड़ गया। यह शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। मान्यता है कि बाबा भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
सिद्धनाथ: राजा ययाति ने यहां 99 यज्ञ पूर्ण किए थे। 100वें यज्ञ में भगवान विष्णु ने कौआ का रूप रखकर हड्डी गिरा दी। यज्ञ खंडित हो गया। बावजूद इसके बाबा सिद्धनाथ की महिमा अपरंपार है। ऐसी मान्यता है कि 30 दिनों तक यहां निरंतर आने पर बाबा भक्त की हर मनोरथ पूरी कर देते हैं।