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Mahashivratri 2020: महासिद्धिदात्री होती है महाशिवरात्रि, जानें व्रत के नियम और विधि-विधान
धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: योगेश जोशी Updated Tue, 18 Feb 2020 06:34 PM IST
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mahashivratri 2020
- फोटो : mahashivratri 2020
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शास्त्र कहते हैं कि संसार में अनेकानेक प्रकार के व्रत, विविध तीर्थस्नान नाना प्रकारेण दान अनेक प्रकार के यज्ञ तरह-तरह के तप तथा जप आदि भी महाशिवरात्रि व्रत की समानता नहीं कर सकते। अतः अपने हित साधनार्थ सभी को इस व्रत का अवश्य पालन करना चाहिए।
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महाशिवरात्रि व्रत परम मंगलमय और दिव्यतापूर्ण है। इससे सदा सर्वदा भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह शिवरात्रि व्रत व्रतराज के नाम से विख्यात है एवं चारों पुरूषार्थो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है। हो सके तो इस व्रत को जीवन पर्यंत करें नही तो चैदह वर्ष के बाद पूर्ण विधि विधान के साथ उद्यापन कर दें।
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- फोटो : mahashivratri 2020
व्रतराज के सिद्धांत और पौराणिक शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि के व्रत के बारे में भिन्न-भिन्न मत हैं, परन्तु सर्वसाधारण मान्यता के अनुसार जब प्रदोष काल रात्रि का आरंभ एवं निशीथ काल (अर्द्धरात्रि) के समय चतुर्दशी तिथि रहे उसी दिन शिवरात्रि का व्रत होता है।
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mahashivratri
- फोटो : mahashivratri
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समर्थजनों को यह व्रत प्रातः काल से चतुर्दशी तिथि रहते रात्रि पर्यन्त तक करना चाहिए। रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस विधि से किए गए व्रत से जागरण पूजा उपवास तीनों पुण्य कर्मों का एक साथ पालन हो जाता है और भगवान शिव की विशेष अनुकम्पा प्राप्त होती है।
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MahaShivratri 2020
- फोटो : MahaShivratri 2020
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इससे व्यक्ति जन्मांतर के पापों से मुक्त होता है। इस लोक में सुख भोगकर व्यक्ति अन्त में शिव सायुज्य को प्राप्त करता है। जीवन पर्यन्त इस विधि से श्रद्धा विश्वास पूर्वक व्रत का आचरण करने से भगवान शिव की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जो लोक इस विधि से व्रत करने में असमर्थ हों वे रात्रि के आरंभ में तथा अर्द्धरात्रि में भगवान शिव का पूजन करके व्रत पूर्ण कर सकते हैं।
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