बादलों की लुकाछिपी...। मंद हवा के झोंके...। भीड़ भरा बाजार...। इक्के तांगों की लंबी कतार...। भुट्टे और खीरे के ठेलों पर खरीदारी करते लोग...। इसी बीच... लंबी सफेद दाढ़ी..., पुराना फटा सा कुर्ता..., ओछा पायजामा..., सिर पर गोल टोपी... उस पर गमछा लपेटे ठेले की ओर बढ़ते मिर्जा...। यह मिर्जा थे सदी के महानायक अमिताभ बच्चन।
वे मंगलवार को पुराने शहर में अपनी अगली फिल्म में शहर भ्रमण के दृश्य फिल्मा रहे थे। उनके इस हुलिए के चलते वहां मौजूद भीड़ तब तक नहीं पहचान सकी जब तक डायरेक्टर ने कट नहीं कहा।
मानसूनी अहसास कराते मौसम के बीच सुबह दस बजे मिर्जा यानी अमिताभ बच्चन इक्के तांगे की सवारी कर बड़े इमामबाड़े के पास पहुंचे। जेब से किराया अदा किया, भूख लगी तो पहले भुट्टे के ठेले का रुख किया। बात नहीं बनी तो सड़क के दूसरी ओर जाकर एक खीरा खरीदा और चार कलियों में कटे खीरे को हथेलियों में दबाकर रूमी गेट की ओर बढ़ गए।
अमिताभ बच्चन इतना कुछ कर चुके और वहां से गुजर रहे लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी। तीन दिन पहले डालीगंज पुल, मनकामेश्वर उपवन घाट की सैर कर चुके बच्चन अपनी बुढ़ापे की चाल के साथ शॉपिंग को निकले थे।
इसी कड़ी में मंगलवार को सुबह करीब 10 बजे बिग बी सेट पर पहुंचे। चलती फिरती रोड के लिए यहां एक दर्जन तांगे, दर्जन भर बाइक सवार, आधा दर्जन ठेले लगवाए थे। खीरा खाते हुए अमिताभ रूमी गेट के पास पहुंचे ही थे कि उनके पैर की पुरानी जगह-जगह से जुड़ी चप्पल टूट गई।