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Covid-19: हांगकांग में लौटा 'डेल्टा' जैसे गंभीर संक्रमण का दौर, बच्चों में दिख रहे जानलेवा लक्षण, बढ़ी चिंता

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Mon, 05 Sep 2022 02:51 PM IST
बच्चों में कोरोना के गंभीर लक्षण
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वैश्विक स्तर पर कोरोना संक्रमण के मामले लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं। ज्यादातर देशों में ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स के कारण लोगों को संक्रमित पाया जा रहा है। हांगकांग इस समय संक्रमण की पांचवी लहर का सामना कर रहा है। यहां भी ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण खतरा जारी है, हालांकि गंभीर बात यह है कि देश के बच्चों को भी तेजी से संक्रमण की चपेट में देखा जा रहा है।

हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार संक्रमित हो रहे बच्चों में कुछ ऐसे लक्षण देखे जा रहे हैं जो काफी चिंता बढ़ाने वाले हैं। आमतौर पर ओमिक्रॉन वैरिएंट्स को कम गंभीरता वाला माना जाता रहा है, हालांकि हांगकांग में बच्चों में यह गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का भी कारण बन रहा है। 

हांगकांग मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ओमिक्रॉन से संक्रमण का यह दौर अधिक चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। संक्रमित बच्चों में क्रुप रोग विकसित होता देखा जा रहा है, इसके अलावा कोविड-19 से ठीक हो चुके बच्चों में अस्पताल से छुट्टी के बाद भी लंबे समय तक कम से कम एक लक्षण बना हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक BA.4 और BA.5 से संक्रमित नए मामलों में 48.6 प्रतिशत जबकि BA.2.12.1 वैरिएंटस में  7.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है। आइए बच्चों में देखे जा रहे चिंताजनक लक्षणों के बारे में विस्तार से समझते हैं।
कोरोना संक्रमित बच्चों में देखे जा रहे हैं गंभीर लक्षण
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बच्चों में देखे जा रहे हैं गंभीर लक्षण

हांगकांग मीडिया की रिपोर्ट्स में बाल रोग और किशोर चिकित्सा विभाग के सलाहकार माइक क्वान यात-वाह कहते हैं ओमिक्रॉन वैरिएंट वाली इस पांचवीं लहर के दौरान बच्चों में नैदानिक लक्षण पहले के वैरिएंट्स से काफी अलग हैं। कई बच्चों में आवाज बैठने और सांस लेने में तकलीफ जैसे गंभीर लक्षण देखे जा रहे हैं। गंभीर मामलों में यह श्वसन पथ में रुकावट पैदा कर सकता है जिससे अंगों या ऊतकों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी हो सकती है।

इस तरह के मामले कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से संक्रमण के दौरान ही देखे जा रहे थे, हालांकि ओमिक्रॉन के कारण होने वाले यह लक्षण काफी डराने वाले हैं। 
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संक्रमित बच्चों में सांस लेने की दिक्कत के मामले
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क्रुप जैसी समस्याओं का बन रहा कारण, आईसीयू केस भी बढे़

चीन के ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, स्वास्थ्य संरक्षण केंद्र के संचारी रोग प्रभाग  निदेशक चुआंग शुक-क्वान ने बताया कि कुछ संक्रमित बच्चों में क्रुप बीमारी भी विकसित हुई है जिससे पता चलता है कि बच्चों की श्वासनली में वायरस से संक्रमण के कारण सूजन की समस्या हो रही है। डॉक्टर्स के मुताबिक बच्चों में सबसे आम शिकायतें स्मृति हानि, संज्ञानात्मक समस्याओं, अनिद्रा, सिरदर्द और बेचैनी की देखी जा रही हैं। कुछ के लक्षण तेजी से बिगड़ते हुए देखे गए जिसके कारण उन्हें आईसीयू में भी भर्ती करना पड़ा है। ये सभी संकेत गंभीर बीमारियों का कारण बन रहे हैं। 
टीकाकरण दर में कमी के कारण बढ़ रहे संक्रमण के मामले
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वैक्सीनेशन न हो पाना बड़ी चिंता का कारण

हांगकांग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जॉन ली का-चिउ ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों के बीच वर्तमान टीकाकरण दर, संक्रमण से उन्हें सुरक्षा देने के लिए पर्याप्त नहीं है। इन लोगों में गंभीर बीमारी और कोविड-19 संक्रमण के बाद मृत्यु की उच्च दर देखने को मिल रही है।

देश में 80 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 30 प्रतिशत, 3 से 11 वर्ष की आयु के 20  प्रतिशत लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय पर टीकाकरण की दर को बढ़ाया गया होता तो संभवत: इस तरह के गंभीर मामले देखने को नहीं मिलते। 
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कोरोना को लेकर गंभीरता बरतने की सलाह
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अन्य देशों को सीख लेने की जरूरत

हांगकांग में संक्रमण के मामलों से सबक लेते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कोरोना के संक्रमण को किसी भी स्तर पर हल्के में लेने की भूल न करें। यह अब भी कुछ लोगों में गंभीर समस्याओं का कारण बनता देखा जा रहा है। विशेषकर जिस तरह से बच्चों में संक्रमण के लक्षण देखे गए हैं, वह निश्चित ही गंभीर हैं।

वैक्सीनेशन को बचाव के तौर पर काफी असरदार माना जा रहा है, ऐसे में जिन देशों में वैक्सीनेशन की रफ्तार कम है उन्हें जल्द से जल्द इसमें सुधार लाने की आवश्यकता है। हांगकांग पूरी दुनिया के लिए सीख का विषय है कि संक्रमण को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।


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नोट:
यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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