वैसे तो भारत के कोने-कोने में विलक्षित प्रतिभाएं बसती हैं। कब किस गांव की मिट्टी से कोई होनहार निकल आए ये कहना मुश्किल है। हिंदुस्तान की सरजमीं ही कुछ ऐसी है। इनमें से कुछ ऐसी जगहें हैं, जिन्होंने देश को गजब के टैलेंट दिए हैं। कुछ राज्य कला में तो कुछ शिक्षा में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते रहे हैं। इनमें बंगाल, असम, उड़ीसा, पंजाब, महाराष्ट्र और जयपुर जैसे शहरों को कला व संस्कृति के बेहद करीब देखा गया है। वहीं, बिहार जैसी पिछड़े राज्य कहलाने वाली पाटलिपुत्र की धरती ने हर युग में ज्ञान का दीप रोशन किया है और आज भी प्रशासनिक सेवा हो या डॉक्टर-इंजीनियर सबमें अपना दबदबा बनाए हुए है। इनका इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी रियासत की नींव। हर काल और स्थिति में अपने-अपने समय के अनुसार उन्होंने अपनी कला को न सिर्फ प्रदर्शित किया है बल्कि दुनिया भर में भुनाया भी। यह सिलसिला अविभाजित भारत से लेकर अतुल्य भारत तक चला आ रहा है। इन सबके बीच आज हम बात करेंगे कला की अद्भुत धरती राजस्थान की।