फिल्म ‘सीता रामम्’ से इसकी नायिका मृणाल ठाकुर ने भारतीय सिनेमा में जो कद हासिल किया है वह बिरले कलाकारों को ही हासिल होता है। छोटे परदे से लेकर बड़े परदे तक अपनी दमक बिखेरने की उनकी यात्रा काफी रोशन रही है। ‘अमर उजाला’ से मृणाल ठाकुर की एक दिलचस्प बातचीत।
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मृणाल ठाकुर
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
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कभी लगा था आपको कि भारतीय सिनेमा की चोटी की अभिनेत्रियों में आपका शुमार होगा?
'सीता रामम' मिलने में मुझे 10 साल लग गए। मैं चाहती हूं कि भारतीय सिनेमा की अभिनेत्रियों की जो सोच है, उसे बदलना चाहिए। काफी सारी ऐसी फिल्में हैं जिनमें लोग अपनी चहेती अभिनेत्रियों को देखना चाहते हैं। एक कलाकार होने के नाते मैं कोशिश करती हूं कि हर श्रेणी की फिल्में करूं। मुझे दोहराव पसंद नहीं है और दर्शकों को भी अब ये भाता नहीं है। मेरी तरफ से बस छोटी सी कोशिश यही रहती है कि हर बार कुछ अलग करूं।
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मृणाल ठाकुर-राजा कृष्ण मेनन
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
आपने पढ़ाई तो पत्रकारिता की थी फिर अभिनय?
मेरे एक पारिवारिक मित्र मराठी चैनल में न्यूज एंकर हैं। उन्होंने मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले की जो रिपोर्टिंग की थी। उससे मैं बहुत ही प्रभावित थी। मुझे क्राइम रिपोर्टर बनना था। हकीकत में तो नहीं बन पाई लेकिन फिल्म 'बाटला हाऊस' में यही किरदार मिला तो अच्छा लगा। फिल्म 'धमाका' में भी मैंने न्यूज एंकर का किरदार निभाय। अब जो फिल्म 'गुमराह' रिलीज होने वाली है, वह भी क्राइम थ्रिलर है।
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मृणाल ठाकुर
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
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मराठी पृष्ठभूमि से आने वाली अभिनेत्रियों ने हिंदी सिनेमा में अलग अलग दौर में राज किया है, आपकी भी ऐसी ही कोई तैयारी थी?
मै मराठी हूं तो मेरे मम्मी पापा चाह रहे थे कि मराठी फिल्मों से शुरुआत करूं। मेरी पहली मराठी फिल्म 'हैलो नंदन' रही, इसके बाद मैंने दो और मराठी फिल्मों में काम किया। इसी दौरान मेरी मुलाकात आदिनाथ कोठारे से हुई। रणवीर सिंह के साथ फिल्म '83' में वह दिखे थे और हमारी मुलाकात 2012 की है। मैंने बस मन लगाकर काम किया है और दूसरों को देखकर बहुत कुछ सीखा है। मेरा मानना है कि योजनाबद्ध तरीके से की गई तैयारियां ही अपना रंग दिखाती हैं।
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मृणाल ठाकुर
- फोटो : सोशल मीडिया
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और, पहली हिंदी फिल्म 'सुपर 30' का श्रेय किसे देना चाहेंगी?
मुकेश छाबड़ा ने उस फिल्म के लिए मुझे चुना था। यह उस समय की बात है जब मैं फिल्म 'लव सोनिया' की शूटिंग कर चुकी थी लेकिन फिल्म रिलीज नहीं हो पाई थीं। 'सुपर 30' में मेरे सिर्फ पांच ही दृश्य थे लेकिन मन में इतना विश्वास जरूर था कि हां, छाप छोड़कर जाना है!
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