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Education in 2023: नए साल में बदलेगी उच्च शिक्षा की तस्वीर, नए शैक्षणिक सत्र में एंट्री-एग्जिट की सुविधा भी

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: देवेश शर्मा Updated Sat, 31 Dec 2022 07:24 PM IST
Higher Education in 2023
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Higher Education in 2023: नए साल में भारतीय शिक्षा जगत में कई बड़े बदलाव धरातल पर दिखेंगे। उम्मीद की जा रही है कि नई शिक्षा नीति में दर्शाए गए मार्ग का अनुसरण करते हुए उच्च शिक्षा व्यवस्था बड़े बदलाव की गवाह बनेगी। आगामी शैक्षणिक सत्र 2023 से स्नातक प्रोग्राम की पढ़ाई का फ्रेमवर्क पूरी तरह से बदलने जा रहा है। देश के सभी विश्वविद्यालयों में चार वर्षीय यूजी प्रोग्राम शुरू हो रहा है। यूजीसी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) के तहत स्नातक प्रोग्राम के लिए विषय, पाठ्यक्रम से लेकर क्रेडिट तक का खाका तैयार किया है। इसे करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम का नाम दिया गया है।
वहीं, छात्रों को कोर एरिया की डिग्री के साथ अपने मनपसंद विषयों को चुनने की आजादी, बीच में पढ़ाई छोड़ने से लेकर विश्वविद्यालय तक को अपनी सहूलियत के हिसाब से बदलने (पोर्टेबल फेसिलिटी) का मौका मिलेगा। दिलचस्प यह है कि छात्र जहां पर बीच में पढ़ाई छोड़ेगा, वहीं से उसे सात साल के भीतर जारी करने का  विकल्प भी मिलेगा। स्कूली शिक्षा के बाद अब उच्च शिक्षा भी लर्निंग आउटकम पर आधारित होगी। हर साल ज्ञान, कौशल और सक्षमता पर आधारित परीक्षा मूल्यांकन होगा। खास बात यह है कि प्रति सेमेस्टर कम से कम 20 क्रेडिट लेने अनिवार्य होंगे।  
Union Education Minister Dharmendra Pradhan
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करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर यूजी प्रोग्राम होगा लाॅन्च

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी ) सोमवार को करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम लाॅन्च करने जा रहा है। इसी के साथ विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों व राज्यों से भी साझा किया जाएगा। इसमें रोजगार से जोड़ने के लिए वोकेशनल और इंटर्नशिप को अनिवार्य किया गया है।

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Indian Education System
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वर्तमान च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम में किया बदलाव

देशभर के विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर और च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू है। नए फ्रेमवर्क में सेमेस्टर में तो कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन सीबीसीएस को इनोवेशन और लचीलेपन के साथ संशोधित किया गया है। एक सेमेस्टर 90 दिन का होगा। नए नियमों के तहत तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में कम से कम 120 क्रेडिट और चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में 160 क्रेडिट लेने अनिवार्य होंगे। जबकि प्रति सेमेस्टर कम से कम 20 क्रेडिट जरूरी रहेंगे। छात्र को हर साल कम से कम 40 क्रेडिट लेने होंगे। इसमें कॉमन कोर्स के 24 क्रेडिट तो इंट्रोडक्टरी कोर्स के 18 क्रेडिट होंगे।

पहले साल की पढ़ाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल में डिप्लोमा, तीसरे में डिग्री और चौथे में ऑनर्स डिग्री व रिसर्च डिग्री मिलेगी। यदि कोई छात्र पहले वर्ष की पढ़ाई में 40 क्रेडिट और एक साल का वोकेशनल कोर्स में चार क्रेडिट लेता है तो बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद तीन साल के अंदर वो दोबारा उसी डिग्री प्रोग्राम की आगे की पढ़ाई से जुड़ सकेगा, जबकि अधिकतम सात साल के भीतर एंट्री-एग्जिट की सुविधा मिलेगी।
 
Higher Education
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दूसरे वर्ष लेटरल एंट्री का भी विकल्प

नौकरीपेशा या अपना कामकाज कर रहे लोगों को भी डिग्री पूरी करने का अब विकल्प मिलेगा। पारिवारिक या किसी अन्य दिक्कत के चलते जो लोग बीच में पढ़ाई छोड़ चुके थे, उन्हें भी शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। मसलन कोई ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल समेत दूसरे प्रोफेशनल कामों में लगे लोगों को बीटेक या बीई जैसी तकनीकी डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई का मौका मिलेगा। इसके लिए यूजी प्रोग्राम के दूसरे वर्ष में विकल्प रहेगा। हालांकि ऐसे लोगों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक परीक्षा पास करनी होगी।

 

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छात्र-छात्राएं (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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नैतिक शिक्षा संग सामुदायिक सेवा का भी ज्ञान

नए जमाने के इस पाठ्यक्रम में किताबी ज्ञान, प्रोफेशनल नॉलेज, स्किल के अलावा छात्रों का मेकओवर भी किया जाएगा। इसमें उन्हें खासतौर पर नैतिक शिक्षा, सामुदायिक सेवा, इंटर्नशिप आदि की अनिवार्य पढ़ाई और प्रैक्टिकल व फील्ड वर्क करना होगा। इसका मकसद उन्हें घर, परिवार, समाज, देश के साथ काम के दौरान सहकर्मियों से व्यवहार के भी गुर मिलेंगे।

चौथे, पांचवें और छठे सेमेस्टर में एक मुख्य व दो छोटे विषय

चौथे, पांचवें और छठे सेमेस्टर में एक मुख्य विषय लेना होगा और दो छोटे यानी माइनर सब्जेक्ट का विकल्प मिलेगा। इसमें से माइनर सब्जेक्ट में से एक अनिवार्य वोकेशनल कोर्स होगा। मुख्य विषय 48 क्रेडिट तो माइनर सब्जेक्ट 16-16 क्रेडिट के होंगे।
 
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