आंखों में आंसू, बीमारी की पीड़ा के साथ इलाज के लिए मरीज हाथ जोड़ रहे हैं। एक से दूसरे और फिर तीसरे वार्ड जाकर स्वास्थ्य कर्मचारियों के आगे गिड़गिड़ा रहे मरीज और उनके परिजन बस इलाज मांग रहे हैं लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के आगे सभी बेबस हैं, लाचार हैं।
यह हाल सफदरजंग अस्पताल का है जहां के 1800 से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं। डॉक्टर रैलियां निकाल रहे हैं और उन्हीं के सामने मरीजों की मौतें हो रही हैं।
जानकारी के अनुसार मंगलवार को दो मरीजों ने अस्पताल परिसर में ही दम तोड़ दिया लेकिन इसके बारे में आधिकारिक तौर पर किसी ने जानकारी नहीं दी। न ही अस्पताल प्रशासन ने हड़ताल और मरीजों की इस हालत पर कोई जबाव दिया है।
हालात इस कदर हैं कि दिल्ली के शाहदरा निवासी दिनेश कुमार बीते शनिवार से आपातकालीन अस्पताल में भर्ती हैं। कैंसर ग्रस्त दिनेश को जब अस्पताल लाया गया तो उस दौरान भी हड़ताल की वजह से मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा था लेकिन मीडिया के कैमरों के सामने जब दिनेश की तबियत बिगड़ी तो उन्हें भर्ती कर लिया।
दिनेश बताते हैं कि उस दिन से मंगलवार शाम तक उनके पास कोई भी डॉक्टर यह तक पूछने नहीं किया कि उनकी हालत कैसी है? पेट से जुड़े कैंसर से ग्रस्त दिनेश चार दिन बाद भी इलाज के लिए बार बार नर्सिंग कर्मचारियों से सवाल करते हैं और फिर चुप हो जाते हैं।