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चुनाव आयोग की साइट पर दिए ये 5 आंकड़े बताते हैं निकाय चुनावों में BJP की प्रचंड जीत का सच

टीम डिजिटल/अमर उजाला, गाजियाबाद Updated Sun, 17 Dec 2017 10:28 AM IST
reality check of nikay chunav 2017 results and evm hampering allegation
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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के आठ महीने बाद ही स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी की प्रचंड जीत ने विपक्षी पार्टियों के होश उड़ा दिए हैं। नतीजों के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने ये आरोप लगाया कि बीजेपी को उन्हीं क्षेत्रों में सफलता मिली है जहां मतदान के लिए ईवीएम का प्रयोग हुआ। दोनों पार्टियों का दावा है कि जहां-जहां बैलेट से मतदान हुआ वहां बीजेपी का हाल बुरा रहा। यानि दोनों पार्टियों ने घुमाकर ये कहा कि ईवीएम में कुछ न कुछ गड़बड़ी है। लेकिन अगर चुनाव आयोग की साइट पर दिए गए इन पांच आंकड़ों को देखें तो सबके दावों की पोल खुल जाती है...
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2006 के निकाय चुनावों की सच्चाई: 2017 के स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि बीजेपी उन स्थानों पर 46% सीटें जीती है जहां ईवीएम से मतदान हुआ है, जबकि उन स्थानों पर 15% सीटें ही जीत पाई है जहां बैलेट से वोट डाले गए। अब देखिए चुनाव आयोग की साइट पर पड़े आंकड़ों का सच। यूपी में 2006 में नगर निकाय चुनाव हुए थे। उस वक्त सूबे में सपा की सरकार थी। केंद्र में भी भाजपा सत्ता में नहीं थी। इस चुनाव में नगर निगम की 12 में से 8 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था। 3 सीटें कांग्रेस जीती थी और सपा को मेयर का केवल 1 पद मिला था। वहीं, नगर पालिका और नगर पंचायतों में तब बीजेपी की सीटें कम आईं थीं। बीजेपी को नगर पालिका और नगर पंचायतों में क्रमशः 41 और 57 सीटें मिली थीं जबकि, सपा ने 61 और 105 सीटें जीती थीं। गौर करने वाली बात ये है कि इस साल सभी चुनाव बैलेट पेपर से हुए थे। बैलेट के बावजूद सपा को मेयर का एक ही पद मिला।
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2012 के निकाय चुनावों की सच्चाई: 2012 में अखिलेश खुद यूपी के मुख्यमंत्री थे और केंद्र में कांग्रेस (+) की सरकार थी। इस साल हुए नगर निकाय चुनावों में बीजेपी ने नगर निगम के 12 में से 10 सीटों पर जीत हासिल की जबकि, बाकी दो जगहों पर निर्दलीय उम्मीदवार मेयर बने। यानि सपा, बसपा और कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला। इस साल मतदान के लिए ईवीएम का इस्तेमाल हुआ था। नगर पालिका और नगर पंचायतों में इस बार फिर बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं था। भाजपा को नगर पालिका और नगर पंचायतों में क्रमशः 42(194 में से) और 36 (423 में से) सीटें ही मिलीं। 
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2017 के चुनावों की सच्चाई कुछ ऐसी है: 2006 और 2012 के चुनावी नतीजों से साफ रहा कि बीजेपी शहरी क्षेत्रों में मजबूत बनी रही लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों में उसका प्रदर्शन सामान्य रहा। अब बात करते हैं 2017 के नतीजों की। इस बार बीजेपी ने 16 नगर निगमों में से 14 पर जीत हासिल की है। जबकि, नगर पालिका और नगर पंचायतों में बीजेपी ने क्रमशः 70 (198 में से) और 100 (438 में से) सीटों पर जीत हासिल की। वहीं नगर पालिका में सपा के 45, बीएसपी के 29 और कांग्रेस 9 चेयरमैन बने जबकि, नगर पंचायतों में सपा के 83 बसपा के 45 और कांग्रेस के 17 अध्यक्ष बने। इस बार नगर निगम में ईवीएम और पालिका व पंचायतों में बैलेट पेपर से मतदान हुआ। 2017 में बीजेपी ने ग्रामीण इलाकों में भी सपा, बसपा और कांग्रेस को मात देते हुए नगर पालिका और पंचायतों में इन तीनों पार्टियों से ज्यादा सीटें हासिल कर ली। बैलेट पेपर का प्रयोग होने के बावजूद।
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