फरलो पर बाहर आने के बाद भी गुरमीत राम रहीम 17 शर्तों की बेड़ियों में बंधा हुआ है। इनमें से किसी भी शर्त के उल्लंघन होने की स्थिति में उसकी फरलो रद्द हो सकती है। इस शर्त पत्र को रोहतक के मंडलायुक्त की ओर से सहायक अधीक्षक जगवीर सिंह ने जारी किया है।
फरलो की अवधि में गुरमीत के आचरण और गतिविधियों की साप्ताहिक रिपोर्ट इलाके के थाना प्रभारी आयुक्त को सौंपेंगे और 15 दिन में तहसीलदार सभी क्रियाकलापों का विवरण जिला उपायुक्त को भेजेंगे।
7 फरवरी से लेकर 27 फरवरी तक गुरमीत राम रहीम को परिवार वालों से मिलने के लिए फरलो (अस्थायी रिहाई) प्रदान की गई है। इन 17 शर्तों में एक शर्त यह भी शामिल है कि वह फरलो अवधि के दौरान किसी भी सार्वजनिक स्थान पर भ्रमण नहीं करेगा। इसके अलावा न कोई आयोजन करेगा। कोई समागम, प्रवचन, श्रद्धालु मिलन, धार्मिक या राजनीतिक गोष्ठी, भाषण आदि का कार्यक्रम न भौतिक रूप से और न ऑनलाइन करेगा।
शर्तों में 10 लाख रुपये का बंध पत्र जिला प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत करना भी शामिल है। यह भी कहा गया है कि रोहतक जिला कारागार के अधीक्षक गुरमीत से इस बात के साक्ष्य प्राप्त करेंगे कि उसने इस फरलो का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए किया है, जिसके लिए उसे फरलो दी गई है। शर्तों में गुरमीत के कोविड अनुकूल व्यवहार व अन्य कोविड प्रोटोकोल का सख्ती से पालन करने की बात भी कही गई है।
शर्तनामे में गुरमीत से भी घोषणा पत्र भरवाया गया है। जिसमें गुरमीत की ओर से कहा गया है कि मैं गुरमीत सिंह उर्फ राम रहीम पुत्र स्वर्गीय मग्धर सिंह ने रोहतक जिला कारागार के अधीक्षक के माध्यम से वारंट को प्राप्त कर लिया है। रिहाई के इस वारंट में उल्लेख की गई शर्तों को समझ लिया है। मैंने सभी शर्तों को स्वीकार कर लिया है।