गोविंद बल्लभ पंत हिमालय संस्थान की टीम उत्तराखंड के चमोली में आपदा क्षेत्र का दौरा करके लौट आई है। टीम के मुताबिक वहां पर जो मंजर घटा है वह बेहद अप्रत्याशित था। संस्थान के वैज्ञानिक जेसी कुनियाल ने बताया कि संकरी जगहों पर पानी और मलबे का प्रवाह 125 मीटर की ऊंचाई तक था।
नौ फरवरी को जीबी पंत हिमालय संस्थान के वैज्ञानिक जेसी कुनियाल के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम चमोली में आपदा स्थल के सर्वे के लिए गई थी। टीम में वैज्ञानिक डा. सुमित राय, डा. कपिल केसरवानी और इंजीनियर वैभव भी थे। डा. कुनियाल ने बताया कि आपदा के दौरान उन स्थानों पर अधिक नुकसान हुआ है, जहां संकरी जगह थी। रैणी गांव से ऊपर बेहद संकरी जगह पर पानी और मलबे ने 125 मीटर ऊपर तक उछाल मारा है। यह काफी हैरान करने वाला था।
इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि बहाव कि गति कितनी तेज रही होगी और उसने रास्ते में आने वाली हर चीज को अपनी जद में ले लिया होगा। आपदा स्थल पर बड़े-बड़े बोल्डर मिले हैं। यह तय है कि बोल्डर ऊपर से बहकर नहीं आए होंगे। यहीं समीप से आए होंगे। वैज्ञानिक कुनियाल ने बताया कि हमारी टीम वहां पर आपदा के कारण की पड़ताल के लिए गई थी।
नौ फरवरी को जीबी पंत हिमालय संस्थान के वैज्ञानिक जेसी कुनियाल के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम चमोली में आपदा स्थल के सर्वे के लिए गई थी। टीम में वैज्ञानिक डा. सुमित राय, डा. कपिल केसरवानी और इंजीनियर वैभव भी थे। डा. कुनियाल ने बताया कि आपदा के दौरान उन स्थानों पर अधिक नुकसान हुआ है, जहां संकरी जगह थी। रैणी गांव से ऊपर बेहद संकरी जगह पर पानी और मलबे ने 125 मीटर ऊपर तक उछाल मारा है। यह काफी हैरान करने वाला था।
इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि बहाव कि गति कितनी तेज रही होगी और उसने रास्ते में आने वाली हर चीज को अपनी जद में ले लिया होगा। आपदा स्थल पर बड़े-बड़े बोल्डर मिले हैं। यह तय है कि बोल्डर ऊपर से बहकर नहीं आए होंगे। यहीं समीप से आए होंगे। वैज्ञानिक कुनियाल ने बताया कि हमारी टीम वहां पर आपदा के कारण की पड़ताल के लिए गई थी।