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चमोली आपदा: मलबे और पानी को लेकर सामने आई एक और बात , वैज्ञानिक बोले- यह काफी हैरान करने वाला था 

नरेन्द्र देव सिंह, अमर उजाला, अल्मोड़ा Published by: अलका त्यागी Updated Sun, 28 Feb 2021 03:59 PM IST
Uttarakhand Chamoli Disaster News: Govind Ballabh Pant Himalayan Institute Scientist Revealed New Facts
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गोविंद बल्लभ पंत हिमालय संस्थान की टीम उत्तराखंड के चमोली में आपदा क्षेत्र का दौरा करके लौट आई है। टीम के मुताबिक वहां पर जो मंजर घटा है वह बेहद अप्रत्याशित था। संस्थान के वैज्ञानिक जेसी कुनियाल ने बताया कि संकरी जगहों पर पानी और मलबे का प्रवाह 125 मीटर की ऊंचाई तक था। 

नौ फरवरी को जीबी पंत हिमालय संस्थान के वैज्ञानिक जेसी कुनियाल के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम चमोली में आपदा स्थल के सर्वे के लिए गई थी। टीम में वैज्ञानिक डा. सुमित राय, डा. कपिल केसरवानी और इंजीनियर वैभव भी थे। डा. कुनियाल ने बताया कि आपदा के दौरान उन स्थानों पर अधिक नुकसान हुआ है, जहां संकरी जगह थी। रैणी गांव से ऊपर बेहद संकरी जगह पर पानी और मलबे ने 125 मीटर ऊपर तक उछाल मारा है। यह काफी हैरान करने वाला था।

इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि बहाव कि गति कितनी तेज रही होगी और उसने रास्ते में आने वाली हर चीज को अपनी जद में ले लिया होगा। आपदा स्थल पर बड़े-बड़े बोल्डर मिले हैं। यह तय है कि बोल्डर ऊपर से बहकर नहीं आए होंगे। यहीं समीप से आए होंगे। वैज्ञानिक कुनियाल ने बताया कि हमारी टीम वहां पर आपदा के कारण की पड़ताल के लिए गई थी।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि हमने कुछ साक्ष्य एकत्र किए हैं, जिनका अध्यनन किया जा रहा है। आपदा का असर टीम कर्णप्रयाग तक था। यहां भी पानी के साथ मिट्टी देखी गई। लकड़ी के टुकड़े भी मिले। इतनी मात्रा में मलबे और पानी का एक साथ आना अप्रत्याशित था। उन्होंने कहा कि अभी शोध जारी है और आने वाले समय में और भी नतीजे निकलेंगे।
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टीम को सुरक्षा कारणों से उस स्थान पर नहीं जाने दिया गया, जहां पर झील बन रही थी। हालांकि उन्होंने बताया कि हिमालय में किए जा रहे निर्माण को आपदा के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना पूरी तरह से जल्दबाजी होगी और इसके लिए व्यापक अध्ययन की जरूरत है। कहा कि डैम स्थल पर जो भी गहराई थी वह मिट्टी और मलबे में दब गई है। अभी सारे तथ्यों को इकट्ठा किया जा रहा है और इस पर आगे भी शोध जारी रहेगा।
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बता दें कि ऋषिगंगा में आई आपदा में लापता 205 लोगों में से 72 लोगों के शव मिल चुके हैं, जबकि 133 अभी भी लापता हैं।  रेस्क्यू अभियान जारी है, लेकिन टनल में लगातार पानी का रिसाव होने के कारण यहां मलबा हटाने का काम प्रभावित हो रहा है। 
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अब तक मिले शवों में से 41 की शिनाख्त हो चुकी है। वहीं एनडीआरएफ और एसडीआरएफ लगातार नदी किनारे और बैराज साइट पर लापता लोगों की तलाश कर रही है। सुरंग से  काफी अधिक मात्रा में पानी का रिसाव होने के कारण आगे नहीं बढ़ा जा सका। पानी निकालने के लिए चार पंप लगाए गए हैं लेकिन टनल के अंदर से पानी कम ही नहीं हो रहा है। 
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