भू-धंसाव के बाद पैदा हुई परिस्थितियों के बीच जोशीमठ को लेकर कई तरह के सवाल हैं। लोग सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए हैं लेकिन सरकार भी फिलहाल स्पष्ट रूप से कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। जब तक आठ वैज्ञानिक संस्थाओं की फाइनल रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक सरकार भी रणनीतिक फैसले लेने में असहज दिखाई दे रही है। अब सारा दारोमदार तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट पर टिका है।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की ओर से भू-धंसाव के बाद से तमाम निर्माण कार्यों, एनटीपीसी के परियोजना निर्माण कार्यों सहित औली रोपवे के संचालन पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही ड्रेनेज, नालों की लाइनिंग और सीवरेज के कामों को आगे बढ़ाने से फिलहाल रोक दिया गया है। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में जोशीमठ में किसी भी योजना में आगे बढ़ना ठीक नहीं होगा।
सरकार ने इस संबंध में काफी विचार मंथन किया है। एक बार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से सभी तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट राज्य सरकार को मिल जाए, इसके बाद सभी नीतिगत फैसले लेने में आसानी होगी। जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद अलग तरह की परिस्थितियां पैदा हुई हैं, इसलिए हम बहुत सोच समझकर आगे बढ़ रहे हैं, ताकि लोगों को राहत पहुंचाई जा सके।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की ओर से भू-धंसाव के बाद से तमाम निर्माण कार्यों, एनटीपीसी के परियोजना निर्माण कार्यों सहित औली रोपवे के संचालन पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही ड्रेनेज, नालों की लाइनिंग और सीवरेज के कामों को आगे बढ़ाने से फिलहाल रोक दिया गया है। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में जोशीमठ में किसी भी योजना में आगे बढ़ना ठीक नहीं होगा।
सरकार ने इस संबंध में काफी विचार मंथन किया है। एक बार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से सभी तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट राज्य सरकार को मिल जाए, इसके बाद सभी नीतिगत फैसले लेने में आसानी होगी। जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद अलग तरह की परिस्थितियां पैदा हुई हैं, इसलिए हम बहुत सोच समझकर आगे बढ़ रहे हैं, ताकि लोगों को राहत पहुंचाई जा सके।