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आपको शायद पता नहीं होगा कि कठपुतली दिवस 21 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है।
असल में इस दिन मशहूर रूसी पुतुलकार सर्गेइ अब्रात्सोव का निधन हुआ था, उसके बाद से ही यह परंपरा शुरू हुई।
इस अवसर पर काफिला नाट्य संस्थान ने एक कार्यक्रम का भी आयोजन किया।
संस्थान के अध्यक्ष मेराज आलम ने बताया कि पिछले आठ वर्षों से कठपुतली दिवस पर
आयोजन कराते आ रहे हैं। इसका उद्देश्य दर्शकों को पपेट की कलाकारियों से
रूबरू कराना और जोड़ना है।
अंधविश्वास इंसान के सोचने-समझने की क्षमता को कुंद कर देता है और इंसान
सच को दरकिनार कर वर्चुअल दुनिया में खो जाने पर मजबूर हो जाता है।
इसी
अंधविश्वास पर इठलाती-बलखाती कठपुतलियों ने शुक्रवार को चोट की। अंधविश्वास
के अलावा कठपुतलियों ने ढोंगी नेताओं के स्वांग को भी दर्शाया और लोकतंत्र
को मजबूत बनाने के लिए वोटिंग का महत्व दर्शकों को समझाया।
दस-दस मिनट के इन प्रदर्शनों में ‘ग्लव्ज व रॉड पपेट’ इस्तेमाल की गईं।
कठपुतलियों के जरिए नेताओं के स्वांग का मंचन जावेद जैदी व कौशिक सक्सेना
ने किया।
स्ट्रिंग पपेट को मनीष सैनी और
ग्लव्ज पपेट को इश्तियाक अली कुरौनी, अनुपम मिश्र, आर्यन यादव, रवि गुप्त,
तान्या मेराज कलाकारों ने संचालित किया। व्यवस्थाएं अजरा मेराज, तनय मेराज
और लक्ष्मी प्रसाद वर्मा ने संभाला।
पपेट शो के अलावा कठपुतली कला के इतिहास पर
व्याख्यान भी आयोजित किया गया।
इसमें इतिहासकार योगेश प्रवीन ने अवध में
कठपुतलियों के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अवध में ग्लव्ज व
रॉड पपेट का सर्वाधिक इस्तेमाल होता है।
आपको शायद पता नहीं होगा कि कठपुतली दिवस 21 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है।
असल में इस दिन मशहूर रूसी पुतुलकार सर्गेइ अब्रात्सोव का निधन हुआ था, उसके बाद से ही यह परंपरा शुरू हुई।
इस अवसर पर काफिला नाट्य संस्थान ने एक कार्यक्रम का भी आयोजन किया।
संस्थान के अध्यक्ष मेराज आलम ने बताया कि पिछले आठ वर्षों से कठपुतली दिवस पर
आयोजन कराते आ रहे हैं। इसका उद्देश्य दर्शकों को पपेट की कलाकारियों से
रूबरू कराना और जोड़ना है।
अंधविश्वास इंसान के सोचने-समझने की क्षमता को कुंद कर देता है और इंसान
सच को दरकिनार कर वर्चुअल दुनिया में खो जाने पर मजबूर हो जाता है।
इसी
अंधविश्वास पर इठलाती-बलखाती कठपुतलियों ने शुक्रवार को चोट की। अंधविश्वास
के अलावा कठपुतलियों ने ढोंगी नेताओं के स्वांग को भी दर्शाया और लोकतंत्र
को मजबूत बनाने के लिए वोटिंग का महत्व दर्शकों को समझाया।
दस-दस मिनट के इन प्रदर्शनों में ‘ग्लव्ज व रॉड पपेट’ इस्तेमाल की गईं।
कठपुतलियों के जरिए नेताओं के स्वांग का मंचन जावेद जैदी व कौशिक सक्सेना
ने किया।
स्ट्रिंग पपेट को मनीष सैनी और
ग्लव्ज पपेट को इश्तियाक अली कुरौनी, अनुपम मिश्र, आर्यन यादव, रवि गुप्त,
तान्या मेराज कलाकारों ने संचालित किया। व्यवस्थाएं अजरा मेराज, तनय मेराज
और लक्ष्मी प्रसाद वर्मा ने संभाला।
पपेट शो के अलावा कठपुतली कला के इतिहास पर
व्याख्यान भी आयोजित किया गया।
इसमें इतिहासकार योगेश प्रवीन ने अवध में
कठपुतलियों के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अवध में ग्लव्ज व
रॉड पपेट का सर्वाधिक इस्तेमाल होता है।