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UP Nikay Chunav : भाजपा के लिए चुनौतियों भरी है दूसरे चरण की राह, भगवा खेमे में व्याप्त है असंतोष

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Wed, 10 May 2023 06:22 AM IST
सार

वर्ष 2017 के चुनावी रिकाॅर्ड के लिहाज से दूसरे चरण में भाजपा की राह में रोड़े हैं। अलीगढ़ और मेरठ बसपा ने जीता था। अयोध्या और बरेली में जीत तो मिली थी लेकिन अंतर बड़ा नहीं था।

UP Nikay Chunav: The road to the second phase is full of challenges for the BJP
निकाय चुनाव। - फोटो : अमर उजाला।

विस्तार
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नगर निकाय चुनाव के दूसरे चरण में अयोध्या, कानपुर, मेरठ, अलीगढ़, बरेली, गाजियाबाद और शाहजहांपुर नगर निगमों में चुनाव हो रहे हैं। वर्ष 2017 के चुनावी रिकाॅर्ड के लिहाज से दूसरे चरण में भाजपा की राह में रोड़े हैं। अलीगढ़ और मेरठ बसपा ने जीता था। अयोध्या और बरेली में जीत तो मिली थी लेकिन अंतर बड़ा नहीं था। हालांकि गाजियाबाद और कानपुर में भाजपा की प्रचंड जीत हुई थी। इस बार चुनाव में भाजपा को कई जगह प्रत्याशी को लेकर अपनों का विरोध झेलना पड़ा है। कई जगह जातीय समीकरणों के लिहाज से विपक्षी प्रत्याशी कड़ी टक्कर दे रहे हैं।



अयोध्या : राम का भरोसा
अयोध्या में भाजपा ने निवर्तमान महापौर ऋषिकेश उपाध्याय का टिकट काटकर तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2017 में अयोध्या में भाजपा के ऋषिकेश उपाध्याय ने 3,601 मतों से सपा की प्रत्याशी किन्नर गुलशन बिंदू को हराया था। अयोध्या में सपा ने आशीष पांडेय को प्रत्याशी बनाया हैं। यहां भी प्रत्याशी चयन को लेकर स्थानीय नेताओं में हल्की नाराजगी रही है। भाजपा सरकार और संगठन ने रामंदिर निर्माण के चलते अयोध्या में महापौर चुनाव जीत को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया है।


कानपुर : चुनौतियां कम नहीं
कानपुर में भाजपा की प्रमिला पांडेय ने कांग्रेस की बंदना मिश्रा को 1,05,134 मतों से हराया था। भाजपा ने आरएसएस के कुछ पदाधिकारियों और भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी की नाराजगी के बाद भी प्रमिला पांडेय को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने भाजपा के ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए विधायक अमिताभ बाजपेयी की पत्नी वंदना बाजपेयी को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, सांसद सत्यदेव पचौरी भी अपनी बेटी नीतू सिंह को टिकट नहीं मिलने से खफा हैं। यहां भाजपा और सपा में सीधा मुकाबला है।

मेरठ : मुकाबला कांटे का
मेरठ में बसपा की सुनीता वर्मा ने भाजपा की कांता कर्दम को 29,582 मतों से हराया था। भाजपा ने पूर्व महापौर हरिकांत अहलूवालिया को प्रत्याशी बनाया है। सपा से विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान चुनाव लड़ रही हैं। हरिकांत और सीमा प्रधान में कांटे की टक्कर है। बसपा ने हशमत मलिक और कांग्रेस ने नसीम कुरैशी को प्रत्याशी बनाया है।

अलीगढ़ : मुस्लिम वोटों पर सब निर्भर
अलीगढ़ में बसपा के मोहम्मद फुरकान ने भाजपा के राजीव अग्रवाल को 10,045 मतों से हराया था। भाजपा ने इस बार प्रशांत सिंघल को प्रत्याशी बनाया है। इस बार बसपा के सलमान शाहिद, सपा के जमीर उल्लाह खां और कांग्रेस के सीपी गौतम प्रत्याशी हैं। स्थानीय जानकारों का मानना है कि यदि मुस्लिम वोट बैंक का सपा और बसपा के बीच बंटवारा नहीं हुआ तो भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर मिलेगी।

बरेली : मुस्लिम वोट बंटे तो सपा को मुश्किल
बरेली में डॉ. उमेश गौतम ने सपा के डॉ. आईएस तोमर को 12,784 मतों से हराया था। भाजपा ने एक बार भी उमेश तोमर को ही मौका दिया है। सपा ने डॉ. संजीव सक्सेना को प्रत्याशी बनाया था लेकिन बाद में निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. आईएस तोमर को समर्थन देने की घोषणा की है। हालांकि डॉ. संजीव ने सपा समर्थित प्रत्याशी को समर्थन कर दिया है। बसपा ने युसुफ खां को मैदान में उतारा है। अगर मुस्लिम वोट बंटे तो सपा की राह मुश्किल कर सकता है।
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गाजियाबाद : भाजपा का गढ़
गाजियाबाद में भाजपा की आशा शर्मा ने कांग्रेस की डॉली शर्मा को 1.63 लाख मतों से हराया था। भाजपा ने पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष सुनीता दयाल को प्रत्याशी बनाया है। गाजियाबाद को भाजपा का गढ़ माना जाता है। सपा ने नीलम गर्ग को प्रत्याशी घोषित किया था, बाद में बसपा से सपा में शामिल हुए सिकंदर यादव की पत्नी पूनम यादव को टिकट दिया है।

शाहजहांपुर : मुकाबला प्रतिष्ठा का
शाहजहांपुर नगर निगम में पहली बार महापौर पद के लिए चुनाव हो रहा है। भाजपा ने नामांकन के अंतिम दिन से एक दिन पहले सपा की महापौर प्रत्याशी अर्चना वर्मा को प्रत्याशी बनाया। सपा ने माला राठौर, बसपा ने शगुफ्ता अंजुम और कांग्रेस ने निकहत इकबाल को प्रत्याशी बनाया है। शाहजहांपुर के जातीय समीकरण के लिहाज से बीते दो दशक से शाहजहांपुर नगर पालिका में सपा का कब्जा रहा है। लिहाजा महापौर चुनाव में भी कांटे का मुकाबला माना जा रहा है।

पहले चरण की गलती सुधारने में जुटी भाजपा
भाजपा ने चुनाव प्रबंधन के स्तर पर पहले चरण में हुई गलती को दूसरे चरण में सुधारने की कोशिश की है। पन्ना प्रमुखों को सक्रिय करने के साथ बूथ समितियों की तैनाती पर ध्यान दिया जा रहा है। वहीं मतदाता पर्ची घर-घर भेजने पर भी फोकस किया है।

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