राम भक्तों के लिए खुशी की खबर है, अयोध्या में राम मंदिर का गर्भगृह इस वर्ष मकर संक्रांति के पूर्व स्थापित हो सकता है। यह बात रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय ने शनिवार को डालीबाग स्थित गन्ना संस्थान के सभागार में वेदांत भारत संस्था के कार्यक्रम में कहीं।
उन्होंने बताया कि आजकल मंदिर की कुर्सी पर काम चल रहा है, 21 फिट ऊंची कुर्सी बनाई जा रही है। 37 क्यूबिक फीट के हजारों पत्थर एक के ऊपर एक रखे जाएंगे तब जाकर यह तैयार होगी। 2024 के चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले गर्भगृह स्थापित करने पर जोर है। उन्होंने श्री राम की ऐतिहासिकता: वैज्ञानिक तथ्य पर चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने 36 साल राम मंदिर की लड़ाई लड़ी है। राम के प्रति अगाध आस्था का परिणाम है कि इंजीनियर न होते हुए भी आज लार्सन एंड टूब्रो व टाटा जैसी कंपनियों के बड़े-बड़े इंजीनियर राम मंदिर निर्माण के फैसले लेने से पहले मेरी राय लेते हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 से पूर्व सरकार ने एक शपथ पत्र देकर राम को कपोल कल्पना बता दिया था। इस घटना के तीन चार दिन बाद ही भारत सरकार को यह शपथ पत्र वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि आज बड़ी बड़ी कंपनियों व आईआईटी के बड़े बड़े इंजीनियर भारत की प्राचीन विरासत व इमारतों की बनावट को लेकर आश्चर्य में हैं। राम मंदिर का भी क्षेत्रफल बहुत बड़ा है।
छह एकड़ से अधिक क्षेत्र में जमीन के 15.5 मीटर नीचे फाउंडेशन डाली गई है। समय लगेगा लेकिन एक दिन इसका विशाल स्वरूप सबके सामने होगा। इस अवसर पर वेदांत भारत के संस्थापक डॉ. विक्रम सिंह ने भगवान राम के इतिहास के वैज्ञानिक पहलुओं पर ध्यान आकृष्ट किया।
रामराज्य की कल्पना का आधार है इतिहास
चंपत राय ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने जंगल में भी स्व अनुशासन का पालन किया। आजकल भेदभाव खत्म करने के लिए कानून बनते हैं लेकिन राम ने जटायु, नाविक, शबरी, हनुमान आदि में कोई भेदभाव नहीं किया। वहीं, राम के साथ उनके भाइयों ने भी राज्य के प्रति कोई मोह नहीं दिखाया, यही रामराज्य की आधारशिला बना। इस आयोजन में सबने राम की मर्यादाओं पर बात की है, यहां जो बातें सुनी हैं उनका अनुसरण करेंगे तो कल्याण होगा। वहीं, इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक रिसर्च ऑन वेद की पूर्व निदेशक व लेखिका सरोज बाला ने बताया कि रामायण को वैज्ञानिक तथ्यों के साथ प्रस्तुत करने व पढ़ने की आवश्यकता है।
राम का 14 वर्ष का जीवन सबके लिए एक प्रेरणा है। इस पर अधिक से अधिक अध्ययन व शोध होने चाहिए। सह प्रांत प्रचारक मनोज ने बताया कि राम की ऐतिहासिकता को कोई नकार नहीं सकता है। रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव व अपर वित्तीय सलाहकार वेदवीर आर्या ने बताया कि त्रेतायुग और श्री राम के इतिहास पर प्रकाश डाला। वहीं, प्रमुख वक्ता डी के हरि, डी के हेमा हरि, पूर्व जज डीपी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष शुक्ल, अनन्या अग्रवाल सहित अन्य वक्ताओं ने भगवान राम की ऐतिहासिकता पर चर्चा की।
इन्हें मिला पुरस्कार
भगवान राम पर आधारित ऑडियो विजुवल व व्याख्यान प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय ने सम्मानित किया। जिसमें अखिलेश वर्मा, आनंदित त्रिपाठी, अनिकेत शर्मा, उद्यांश पांडेय, शाएबा मसरूर को सम्मानित किया गया।
विस्तार
राम भक्तों के लिए खुशी की खबर है, अयोध्या में राम मंदिर का गर्भगृह इस वर्ष मकर संक्रांति के पूर्व स्थापित हो सकता है। यह बात रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय ने शनिवार को डालीबाग स्थित गन्ना संस्थान के सभागार में वेदांत भारत संस्था के कार्यक्रम में कहीं।
उन्होंने बताया कि आजकल मंदिर की कुर्सी पर काम चल रहा है, 21 फिट ऊंची कुर्सी बनाई जा रही है। 37 क्यूबिक फीट के हजारों पत्थर एक के ऊपर एक रखे जाएंगे तब जाकर यह तैयार होगी। 2024 के चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले गर्भगृह स्थापित करने पर जोर है। उन्होंने श्री राम की ऐतिहासिकता: वैज्ञानिक तथ्य पर चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने 36 साल राम मंदिर की लड़ाई लड़ी है। राम के प्रति अगाध आस्था का परिणाम है कि इंजीनियर न होते हुए भी आज लार्सन एंड टूब्रो व टाटा जैसी कंपनियों के बड़े-बड़े इंजीनियर राम मंदिर निर्माण के फैसले लेने से पहले मेरी राय लेते हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 से पूर्व सरकार ने एक शपथ पत्र देकर राम को कपोल कल्पना बता दिया था। इस घटना के तीन चार दिन बाद ही भारत सरकार को यह शपथ पत्र वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि आज बड़ी बड़ी कंपनियों व आईआईटी के बड़े बड़े इंजीनियर भारत की प्राचीन विरासत व इमारतों की बनावट को लेकर आश्चर्य में हैं। राम मंदिर का भी क्षेत्रफल बहुत बड़ा है।
छह एकड़ से अधिक क्षेत्र में जमीन के 15.5 मीटर नीचे फाउंडेशन डाली गई है। समय लगेगा लेकिन एक दिन इसका विशाल स्वरूप सबके सामने होगा। इस अवसर पर वेदांत भारत के संस्थापक डॉ. विक्रम सिंह ने भगवान राम के इतिहास के वैज्ञानिक पहलुओं पर ध्यान आकृष्ट किया।
रामराज्य की कल्पना का आधार है इतिहास
चंपत राय ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने जंगल में भी स्व अनुशासन का पालन किया। आजकल भेदभाव खत्म करने के लिए कानून बनते हैं लेकिन राम ने जटायु, नाविक, शबरी, हनुमान आदि में कोई भेदभाव नहीं किया। वहीं, राम के साथ उनके भाइयों ने भी राज्य के प्रति कोई मोह नहीं दिखाया, यही रामराज्य की आधारशिला बना। इस आयोजन में सबने राम की मर्यादाओं पर बात की है, यहां जो बातें सुनी हैं उनका अनुसरण करेंगे तो कल्याण होगा। वहीं, इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक रिसर्च ऑन वेद की पूर्व निदेशक व लेखिका सरोज बाला ने बताया कि रामायण को वैज्ञानिक तथ्यों के साथ प्रस्तुत करने व पढ़ने की आवश्यकता है।
राम का 14 वर्ष का जीवन सबके लिए एक प्रेरणा है। इस पर अधिक से अधिक अध्ययन व शोध होने चाहिए। सह प्रांत प्रचारक मनोज ने बताया कि राम की ऐतिहासिकता को कोई नकार नहीं सकता है। रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव व अपर वित्तीय सलाहकार वेदवीर आर्या ने बताया कि त्रेतायुग और श्री राम के इतिहास पर प्रकाश डाला। वहीं, प्रमुख वक्ता डी के हरि, डी के हेमा हरि, पूर्व जज डीपी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष शुक्ल, अनन्या अग्रवाल सहित अन्य वक्ताओं ने भगवान राम की ऐतिहासिकता पर चर्चा की।
इन्हें मिला पुरस्कार
भगवान राम पर आधारित ऑडियो विजुवल व व्याख्यान प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय ने सम्मानित किया। जिसमें अखिलेश वर्मा, आनंदित त्रिपाठी, अनिकेत शर्मा, उद्यांश पांडेय, शाएबा मसरूर को सम्मानित किया गया।