भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत की मान मनौव्वल भी काम नहीं आई और यूनियन में एक बार फिर से फाड़ हो गई। नाराज पदाधिकारियों व उनके समर्थकों ने रविवार को भाकियू (अराजनैतिक) के गठन की घोषणा करते हुए राजेश चौहान को इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया। अध्यक्ष व नए संगठन के अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि भाकियू महेंद्र टिकैत के मूल सिद्धांतों से भटक गई है। ऐसे में नया संगठन बनाना ही पड़ा।
नए संगठन का बनना भाकियू के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि इसके अधिकतर पदाधिकारी बहुत पुराने थे और लगातार यूनियन के साथ मजबूती से खड़े रहे। भाकियू में इससे पहले भी कई बार फाड़ हो चुका है। महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर लखनऊ के गन्ना संस्थान में रविवार को विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था। इसमें कार्यकर्ताओं ने नए संगठन का एलान कर दिया। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए राजेश पहले भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे।
इसके अलावा मांगेराम त्यागी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अनिल तालान को राष्ट्रीय महासचिव, हरिनाम सिंह वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष, राजवीर सिंह को प्रदेश उपाध्यक्ष, चौधरी दिंगबर सिंह को युवा प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया गया। नए संगठन का राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक को बनाया गया है। गठवाला और मलिक खाप के चौधरी राजेंद्र सिंह मलिक को संरक्षक बनाया गया है। कार्यक्रम में बिंदु कुमार, सुरेंद्र वर्मा, महेंद्र रंधावा, दीपक, नीरज बालियान, राजकुमार गौतम आदि मौजूद थे। वहीं भाकियू के महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह ने नए संगठन के सभी पदाधिकारियों को अपने संगठन से बर्खास्त कर दिया है।
राजनीतिक हो गई है भाकियू : राजेश
राजेश चौहान ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन राजनीतिक हो गई है। बाबा महेंद्र टिकैत का कहना था कि भाकियू किसी भी राजनीतिक दल का न प्रचार करेगी और न समर्थन देगी। किसान आंदोलन तक इसका पालन किया गया। पर, यूपी विधानसभा चुनाव में सब कुछ बदला-बदला दिखा। भाकियू की ओर से पार्टी विशेष के समर्थन में बयानबाजी की गई। हरिनाम सिंह वर्मा ने कहा कि संगठन में अब लोकतंत्र नहीं बचा था। न ही किसानों के वास्तविक मुद्दों को सरकार के सामने उठाया जा रहा था।
सरकार से डरकर हो गए अलग
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि मैंने दो दिन तक उन्हें समझाया पर वे नहीं माने। दरअसल ये लोग प्रदेश सरकार से डर गए हैं। राजेश चौहान के नाम पर जो कोठी का आवंटन है उसका भी बकाया राशि का कुछ चक्कर है। फिर भी मैं यही कहूंगा कि किसानों के लिए सबको संघर्ष करना चाहिए। मेरे द्वारा किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में बयान देने की बात पूरी तरह से गलत है।
जयचंदों की कमी नहीं
भाकियू के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि एक बड़ा परिवार है और भाकियू सबकी है। यदि कोई परेशानी थी तो सामने रखते। दरअसल आज भी जयचंदों की कमी नहीं जो तोड़ने में विश्वास रखते हैं। राकेश को भी उन्हें मनाने नहीं जाना चाहिए था।
विस्तार
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत की मान मनौव्वल भी काम नहीं आई और यूनियन में एक बार फिर से फाड़ हो गई। नाराज पदाधिकारियों व उनके समर्थकों ने रविवार को भाकियू (अराजनैतिक) के गठन की घोषणा करते हुए राजेश चौहान को इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया। अध्यक्ष व नए संगठन के अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि भाकियू महेंद्र टिकैत के मूल सिद्धांतों से भटक गई है। ऐसे में नया संगठन बनाना ही पड़ा।
नए संगठन का बनना भाकियू के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि इसके अधिकतर पदाधिकारी बहुत पुराने थे और लगातार यूनियन के साथ मजबूती से खड़े रहे। भाकियू में इससे पहले भी कई बार फाड़ हो चुका है। महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर लखनऊ के गन्ना संस्थान में रविवार को विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था। इसमें कार्यकर्ताओं ने नए संगठन का एलान कर दिया। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए राजेश पहले भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे।
इसके अलावा मांगेराम त्यागी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अनिल तालान को राष्ट्रीय महासचिव, हरिनाम सिंह वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष, राजवीर सिंह को प्रदेश उपाध्यक्ष, चौधरी दिंगबर सिंह को युवा प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया गया। नए संगठन का राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक को बनाया गया है। गठवाला और मलिक खाप के चौधरी राजेंद्र सिंह मलिक को संरक्षक बनाया गया है। कार्यक्रम में बिंदु कुमार, सुरेंद्र वर्मा, महेंद्र रंधावा, दीपक, नीरज बालियान, राजकुमार गौतम आदि मौजूद थे। वहीं भाकियू के महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह ने नए संगठन के सभी पदाधिकारियों को अपने संगठन से बर्खास्त कर दिया है।
राजनीतिक हो गई है भाकियू : राजेश
राजेश चौहान ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन राजनीतिक हो गई है। बाबा महेंद्र टिकैत का कहना था कि भाकियू किसी भी राजनीतिक दल का न प्रचार करेगी और न समर्थन देगी। किसान आंदोलन तक इसका पालन किया गया। पर, यूपी विधानसभा चुनाव में सब कुछ बदला-बदला दिखा। भाकियू की ओर से पार्टी विशेष के समर्थन में बयानबाजी की गई। हरिनाम सिंह वर्मा ने कहा कि संगठन में अब लोकतंत्र नहीं बचा था। न ही किसानों के वास्तविक मुद्दों को सरकार के सामने उठाया जा रहा था।
सरकार से डरकर हो गए अलग
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि मैंने दो दिन तक उन्हें समझाया पर वे नहीं माने। दरअसल ये लोग प्रदेश सरकार से डर गए हैं। राजेश चौहान के नाम पर जो कोठी का आवंटन है उसका भी बकाया राशि का कुछ चक्कर है। फिर भी मैं यही कहूंगा कि किसानों के लिए सबको संघर्ष करना चाहिए। मेरे द्वारा किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में बयान देने की बात पूरी तरह से गलत है।
जयचंदों की कमी नहीं
भाकियू के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि एक बड़ा परिवार है और भाकियू सबकी है। यदि कोई परेशानी थी तो सामने रखते। दरअसल आज भी जयचंदों की कमी नहीं जो तोड़ने में विश्वास रखते हैं। राकेश को भी उन्हें मनाने नहीं जाना चाहिए था।