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Rakul Preet Singh : छतरीवाली के प्रमोशन के लिए लखनऊ आईं अभिनेत्री ने सुरक्षित यौन संबंधों पर की खुलकर बात

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: पंकज श्रीवास्‍तव Updated Fri, 17 Feb 2023 06:28 PM IST
सार

रकुल प्रीत ने कहा कि फिल्म का बेस करनाल है, लेकिन आधी फिल्म लखनऊ में तो आधी करनाल में शूट हुई है। लखनऊ बहुत ज्यादा शूटिंग फ्रेंडली है। यहां के लोग, यहां की तहजीब, अपनापन वाकई एक मिसाल है। आई लव लखनऊ। चिकनकारी, चाट, कबाब से लेकर सबकुछ ट्राई किया। ये तो घर जैसा बन गया था। 

Rakul Preet Singh: The actress who came to Lucknow for the promotion of Chhatriwali spoke openly on safe sex
रकुल प्रीत सिंह - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

छतरीवाली पढ़ाएगी सुरक्षित यौन संबंधों का पाठ, क्योंकि हर घर में सेफ सेक्स पर बात जरूरी है। ये कहना है अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह का। जो अपनी फिल्म छतरी वाली के प्रमोशन के लिए लखनऊ में थीं। वे इस दौरान अमर उजाला के कार्यालय भी पहुंचीं। उन्होंने गर्भनिरोधक गोलियां, अबार्शन, नाइट पिल्स ले रहीं महिलाओं की समस्याओं को समझने की समाज से अपील की। बताया कि युवाओं को सेक्स एजुकेशन जरूरी है। मेरा मानना है कि औरतें खुद नहीं जानती कि उनकी बॉडी कतना अबार्शन झेल सकती है, फिर लोग क्या समझेंगे।  पेश है उनसे बातचीत के अंश...



ओटीटी टेक्नोलाजी की ग्रोथ को बताता है
ओटीटी का अपना महत्व है, थिएटर का अपना महत्व। कोरोना में हमें ओटीटी मिला, दोनों का अपना महत्व है। सेक्स एजुकेशन या सेफ सेक्स जैसे मुद्दे जो हम सिनेमाहाल में देखने से कतराएंगे या कतराते हैं, उसके लिए ओटीटी बेस्ट है। मुझे कई मैसेज मिले, जिसमें लोगों ने लिखा कि फिल्म देखने से पहले मुझे लगा कि बच्चों के साथ नहीं देख सकते, पर इसमें ऐसा कुछ नहीं। इसी तरह एक महिला का कमेंट था कि वो नाइट पिल्स ले रही थी, बता नहीं पा रही थी अपने दर्द को। फिल्म देखने के बाद पति को बताया। कहने का आशय ये है कि पत्नी अपनी शारीरिक पीड़ा को समझे और पति पत्नी का दर्द महसूस कर सकें। 



कंडोम के लिए इस्तेमाल होता है शब्द छतरी
छतरी कर लिया जैसे शब्दों का इस्तेमाल कंडोम के लिए होता है।जैसे कहती है कि छतरी की फैक्टरी में काम करते हैं। दोनों तरीके से इसे ले सकते हैं। इस फिल्म में कोई भी डायलाग एसा नहीं है, जिसे आप परिवार के साथ सुनकर शर्म महसूस करें। सेक्स दिखाना और सेक्स एजुकेशन के बारे में बात करना दोनों अलग-अलग चीजें हैं। सही तरीके से किसी चीज को सामने लाना हमारा मकसद है। इस फिल्म में मुख्य  किरदार एक कंडोम फैक्ट्री में काम करती है , जो घर पर छतरी वाली के नाम से जानी जाती है।  ऐसी फिल्में लोगों को जागरुक कर लाखों औरतों की जिन्दगी बचायेगी।

अब सेनेटरी नैपकिन छिपाने वाली चीज नहीं
पैडमैन ने सेनेटरी नैपकिन को लेकर लोगों की सोच बदली है, भले ही कुछ शहरों में। बूंद-बूंद से सागर भरता है, मेरा मानना है कि यदि मेरी फिल्म से दो-तीन लोग भी सोच बदल पाए तो हम लक्ष्य में कामयाब हो गए। रकुल प्रीत ने कहा कि सेफ सेक्स, सेक्स एजुकेशन के महत्व को समझें। हिचक छोड़ें। यदि आप अपने पार्टनर से प्यार करते हैं तो उनकी सेहत का खयाल रखे। इंडिया में यहां के अभिभावावक बच्चों के साथ टीवी का चैनल तब बदल देते हैं जब उन्हें असहज लगता है, या फिर अश्लील सीन आता है। इस फिल्म में यौन दिखाने के बजाय यौन शिक्षा दी गई है। 

लखनऊ शूटिंग फ्रेंडली है, घर जैसा बन गया था

Rakul Preet Singh: The actress who came to Lucknow for the promotion of Chhatriwali spoke openly on safe sex
रकुलप्रीत - फोटो : अमर उजाला
रकुल प्रीत ने कहा कि फिल्म का बेस करनाल है, लेकिन आधी फिल्म लखनऊ में तो आधी करनाल में शूट हुई है। लखनऊ बहुत ज्यादा शूटिंग फ्रेंडली है। यहां के लोग, यहां की तहजीब, अपनापन वाकई एक मिसाल है। आई लव लखनऊ। कोविड के बीच में इस फिल्म की शूटिंग सेंटेनियल कालेज में व अन्य जगहों पर हुई। चिकनकारी, चाट, कबाब से लेकर सबकुछ ट्राई किया। ये तो घर जैसा बन गया था। रायल कैफे में चाट लंच किया। चिकन के कपड़े इतने खरीद लिए कि अभी तो आधा पहना भी नहीं। 

पठान से पहले कितनी एक्शन फिल्म
रकुल पठान का जिक्र करना नहीं भूलीं। उनकी फिल्म कैसे अलग है, इस पर उन्होंने कहा कि पठान से पहले कितनी एक्शन फिल्में आईं। मेरा मानना है कि जब तक ये समस्याएं दूर नहीं हो जातीं, स्थितियां सामान्य नहीं हो जातीं तब तक इस तरह के विषयों पर फिल्में बननी चाहिए। रोमांस, गाली गलौज नार्मल हो गया है, इस तरह के मुददों को भी नार्मल होना चाहिए। 

पार्टनर से करते हैं प्यार तो करें सेहत का खयाल
औरतों को यह नहीं बताया जाता कि उनका शरीर कितने बच्चे गिरवा सकता  है, लेकिन यह इस फिल्म के जरिए महिलाओं से जुड़े ऐसे तमाम मुद्दों के बारे में पता चलेगा जो उन्हें जानना बेहद जरुरी है। पैडमैन के जिक्र पर उन्होंने कहा कि फिल्मों का सोसायटी पर इतना प्रभाव पड़ता है कि अब दुकानदार सैनेटरी पैड को काले पेपर में लपेट नहीं देता है। इसी प्रकार सोच बदलेगी।  इंटरटेनमेंट के जरिए यदि हम समाज में कुछ बेहतर कर सकते हैं तो यह एक मुहिम होगी। हमने फिल्म में दिखाया है कि महिलाओं के शरीर के लिए गर्भनिरोधक गोलियां कितनी हानिकारक हैं।
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