Hindi News
›
Uttar Pradesh
›
Lucknow News
›
Lucknow News: There is no obligation to pay the outstanding installment on forcibly lifting the vehicle, the c
{"_id":"640f6d40827b7f4c870ebfc3","slug":"lucknow-news-there-is-no-obligation-to-pay-the-outstanding-installment-on-forcibly-lifting-the-vehicle-the-c-2023-03-14","type":"story","status":"publish","title_hn":"Lucknow News : जबरन वाहन उठाने पर बकाया किस्त चुकाने का कोई दायित्व नहीं, आयोग ने खारिज की अपील","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Lucknow News : जबरन वाहन उठाने पर बकाया किस्त चुकाने का कोई दायित्व नहीं, आयोग ने खारिज की अपील
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: पंकज श्रीवास्तव
Updated Tue, 14 Mar 2023 12:06 AM IST
सार
लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें
फाइनेंस कंपनी बकाए के लिए नोटिस दिए बिना अवैधानिक तरह से वाहन को खींच कर अपने कब्जे में नहीं ले सकती। यह ऋण प्रदाता कंपनी के मनमाने आचरण को दर्शाता है।
राज्य उपभोक्ता आयोग की दो सदस्यीय न्यायिक पीठ ने कहा है कि फाइनेंस पर खरीदा वाहन जबरन छीनने पर बकाया किस्त राशि चुकाने का कोई दायित्व खरीदार पर नहीं बनता है। फाइनेंस कंपनी बकाए के लिए नोटिस दिए बिना अवैधानिक तरह से वाहन को खींच कर अपने कब्जे में नहीं ले सकती। यह ऋण प्रदाता कंपनी के मनमाने आचरण को दर्शाता है। ऐसे में जिला उपभोक्ता आयोग, बलिया की तरफ से पूर्व पारित निर्णय एवं आदेश को बरकरार रखते हुए, महेंद्रा एंड महेंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की अपील को खारिज किया जाता है।
यह आदेश राज्य उपभोक्ता आयोग की सुशील कुमार व विकास सक्सेना की दो सदस्यीय न्यायिक पीठ ने दिया। बलिया के जितेंद्र तिवारी ने महेंद्रा एंड महेंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड से फाइनेंस कराकर एक चार पहिया वाहन खरीदा था। 40 हजार रुपये की बकाया ऋण राशि के लिए फाइनेंशियल कंपनी ने बिना किसी पूर्व नोटिस के वाहन को अपने कब्जे में ले लिया।
इस मनमानी के खिलाफ खरीदार ने जिला उपभोक्ता आयोग बलिया में वाद दाखिल किया। इसकी सुनवाई अध्यक्ष एवं दो न्यायिक सदस्यों की पूर्ण पीठ ने करते हुए अलग-अलग निर्णय पारित किया। अध्यक्ष ने जहां अपील को सुनवाई योग्य नहीं माना, वहीं दो न्यायिक सदस्यों ने बहुमत के साथ आदेश पारित किया कि जितेंद्र से वाहन को अवैध रूप से छीना गया है, इसलिए 25 सितंबर 2008 से एक अप्रैल 2009 तक के बीच में बकाया ऋण की किस्त राशि चुकाने का कोई भी दायित्व खरीदार पर नहीं बनता है।
जिला आयोग के इस निर्णय के खिलाफ फाइनेंशियल कंपनी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। कंपनी का तर्क था कि उपभोक्ता जितेंद्र तिवारी ने स्वयं वाहन का समर्पण किया है, उसे जबरन खींचा नहीं गया है। इसके समर्थन में समर्पण पत्र भी प्रस्तुत किया गया। वाहन खरीदार की तरफ से कहा गया कि जिस दस्तावेज के आधार पर वाहन को समर्पण किए जाने की बात कही जा रही है, वह दस्तावेज ऋण प्रदान करते समय ही बैंक अथवा फाइनेंस कंपनी हस्ताक्षरित कराकर अपने पास रख लेती हैं।
न्यायिक पीठ ने इस मामले में माना कि ऋण प्रदाता कंपनी ने मनमाना आचरण बरता है। यदि वाहन खरीदार के पास ही रहता तो ऋण की बकाया राशि का भुगतान आसानी से हो सकता था। ऐसे में जिला आयोग से पूर्व में पारित निर्णय एवं आदेश को बरकरार रखते हुए अपील निरस्त की जाती है। साथ ही पीठ ने फाइनेंशियल कंपनी पर बतौर क्षतिपूर्ति खरीदार को 40 हजार रुपये की धनराशि चुकाने का भी आदेश दिया।
विज्ञापन
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।