न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: पंकज श्रीवास्तव
Updated Thu, 03 Dec 2020 04:19 PM IST
केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में मंगलवार रात इलाज के इंतजार में एक घायल की मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि पहले स्ट्रेचर के लिए इंतजार करना पड़ा, जब स्ट्रेचर मिला तो डॉक्टर नहीं थे। करीब एक घंटे तक मरीज तड़पता रहा। इलाज नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार रात सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल रायबरेली जिले के मांझ गांव निवासी इंदर सिंह को लेकर परिजन रात करीब नौ बजे ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। परिजनों का आरोप है कि यहां आने पर मरीज को जमीन पर लिटा कर स्ट्रेचर की तलाश शुरू हुई।
वार्ड ब्वॉय ने बताया कि पहले टोकन लेना होगा। करीब आधे घंटे बाद टोकन मिला और फिर स्ट्रेचर मिला। इसके बाद वे मरीज को स्ट्रेचर पर लेकर अंदर पहुंचे तो चिकित्सक गायब थे। काफी प्रयास के बाद वहां मौजूद नर्सिंग कर्मियों ने बताया कि अभी दूसरी शिफ्ट के चिकित्सक आएंगे तब मरीज को देखा जाएगा।
इस पूरी प्रक्रिया में एक घंटे से ज्यादा वक्त लग गया। जब तक डॉक्टर मौके पर आए तो मरीज की मौत हो गई थी। मृतक के परिजनों ने पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों से की है।
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए करीब 12 संकाय सदस्यों को जिम्मेदारी दी गई है। इसके बाद भी यहां के हालात बेहद खराब हैं। रात के समय किसी भी संकाय सदस्य के नहीं होने की वजह से इलाज में लापरवाही हो रही है।
परिजनों के आरोप बेबुनियाद
ट्रॉमा सेंटर में स्ट्रेचर की कमी नहीं है। वहीं एक टीम के आने के बाद दूसरी टीम जाती है। ऐसे में यह आरोप बेबुनियाद हैं। संभव है कि गंभीर रूप से घायल होने की वजह से मरीज की रास्ते में ही मौत हो गई हो। -डॉ. संदीप तिवारी, सीएमएस, ट्रॉमा सेंटर
केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में मंगलवार रात इलाज के इंतजार में एक घायल की मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि पहले स्ट्रेचर के लिए इंतजार करना पड़ा, जब स्ट्रेचर मिला तो डॉक्टर नहीं थे। करीब एक घंटे तक मरीज तड़पता रहा। इलाज नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार रात सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल रायबरेली जिले के मांझ गांव निवासी इंदर सिंह को लेकर परिजन रात करीब नौ बजे ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। परिजनों का आरोप है कि यहां आने पर मरीज को जमीन पर लिटा कर स्ट्रेचर की तलाश शुरू हुई।
वार्ड ब्वॉय ने बताया कि पहले टोकन लेना होगा। करीब आधे घंटे बाद टोकन मिला और फिर स्ट्रेचर मिला। इसके बाद वे मरीज को स्ट्रेचर पर लेकर अंदर पहुंचे तो चिकित्सक गायब थे। काफी प्रयास के बाद वहां मौजूद नर्सिंग कर्मियों ने बताया कि अभी दूसरी शिफ्ट के चिकित्सक आएंगे तब मरीज को देखा जाएगा।
इस पूरी प्रक्रिया में एक घंटे से ज्यादा वक्त लग गया। जब तक डॉक्टर मौके पर आए तो मरीज की मौत हो गई थी। मृतक के परिजनों ने पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों से की है।