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केस-1
प्रियदर्शिनी कॉलोनी निवासी 30 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव हुआ। टीम ने परिवार के आठ लोगों के नमूने जांच को भेजे और बाकी सदस्यों की जानकारी ली। दो दिन बाद परिवार के दस लोगों के नाम पोर्टल पर अपलोड कर दिए गए। इसमें उनकी उस बेटी की भी रिपोर्ट अपलोड कर दी, जो राजस्थान में रह रही थी और उसकी जांच भी नहीं हुई थी। खास बात है कि वह सात माह से लखनऊ भी नहीं आई थी।
केस-2
पीजीआई में रहने वाले मरीज की एंटीजेन टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। वह होम आइसोलशन में थे। परिवार के लोग इलाहाबाद गए थे। आरोप है कि बिना जांच किए ही सातों की निगेटिव रिपोर्ट को अपलोड कर दिया गया।
केस-3
राजाजीपुरम सेक्टर एफ निवासी युवक की 29 सितंबर को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। परिवार के सात लोगों की जांच हुई। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बिना सैंपल लिए दिल्ली में रह रही युवक की बहन की निगेटिव रिपोर्ट पोर्टल पर अपडेट कर दी।
लखनऊ में कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा थम नहीं रहा है। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में मरीज के उन परिजन की भी निगेटिव रिपोर्ट बिना जांच किए अपलोड कर दी जा रही है, जो दूसरे शहरों या राज्यों में हैं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अफसर जांच करने की बात कहकर मामला दबाने में जुटे हैं।
लखनऊ में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग ने करीब 150 टीमें लगा रखी हैं। ये घर-घर जाकर मरीजों की जांच कर रही हैं। इस दौरान दूसरे राज्य में मौजूद घर के अन्य सदस्यों का भी रिकॉर्ड लिया जाता है। टीम अधिक सैंपलिंग दिखाने के लिए इन परिजन के नाम भी पोर्टल पर अपलोड कर रही है, जिनकी जांच तक नहीं हुई है। स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड अनुसार रोजाना आठ से दस हजार मरीजों की जांच का लक्ष्य रखा गया है। इसे यही खेल कर टीम पूरा कर रही है।
मरीजों की संख्या में भी ऐसे ही गिरा ग्राफ
शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने जांच का तरीका बदला। इसके बाद से मरीजों की संख्या में लगातार कर्मी आई है। अब 70 प्रतिशत एंटीजेन व 30 फीसदी आरटीपीसीआर जांच कराई जा रही है। एंटीजेन में वायरस कमजोर होने पर रिपोर्ट निगेेटिव आती है, जबकि आरटीपीसीआर में यही रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। जांच के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े से संक्रमितों की दर घटने का अंदेशा है।
पड़ताल होगी कि किस तरह बिना जांच के रिपोर्ट अपलोड की जा रही है। फर्जीवाड़ा सामने आने पर जिम्मेदार टीम पर कार्रवाई होगी। -
संजय भटनागर, सीएमओ
केस-1
प्रियदर्शिनी कॉलोनी निवासी 30 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव हुआ। टीम ने परिवार के आठ लोगों के नमूने जांच को भेजे और बाकी सदस्यों की जानकारी ली। दो दिन बाद परिवार के दस लोगों के नाम पोर्टल पर अपलोड कर दिए गए। इसमें उनकी उस बेटी की भी रिपोर्ट अपलोड कर दी, जो राजस्थान में रह रही थी और उसकी जांच भी नहीं हुई थी। खास बात है कि वह सात माह से लखनऊ भी नहीं आई थी।
केस-2
पीजीआई में रहने वाले मरीज की एंटीजेन टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। वह होम आइसोलशन में थे। परिवार के लोग इलाहाबाद गए थे। आरोप है कि बिना जांच किए ही सातों की निगेटिव रिपोर्ट को अपलोड कर दिया गया।
केस-3
राजाजीपुरम सेक्टर एफ निवासी युवक की 29 सितंबर को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। परिवार के सात लोगों की जांच हुई। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बिना सैंपल लिए दिल्ली में रह रही युवक की बहन की निगेटिव रिपोर्ट पोर्टल पर अपडेट कर दी।
लखनऊ में कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा थम नहीं रहा है। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में मरीज के उन परिजन की भी निगेटिव रिपोर्ट बिना जांच किए अपलोड कर दी जा रही है, जो दूसरे शहरों या राज्यों में हैं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अफसर जांच करने की बात कहकर मामला दबाने में जुटे हैं।
रोजाना आठ से दस हजार की जांच का रखा गया है लक्ष्य
लखनऊ में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग ने करीब 150 टीमें लगा रखी हैं। ये घर-घर जाकर मरीजों की जांच कर रही हैं। इस दौरान दूसरे राज्य में मौजूद घर के अन्य सदस्यों का भी रिकॉर्ड लिया जाता है। टीम अधिक सैंपलिंग दिखाने के लिए इन परिजन के नाम भी पोर्टल पर अपलोड कर रही है, जिनकी जांच तक नहीं हुई है। स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड अनुसार रोजाना आठ से दस हजार मरीजों की जांच का लक्ष्य रखा गया है। इसे यही खेल कर टीम पूरा कर रही है।
मरीजों की संख्या में भी ऐसे ही गिरा ग्राफ
शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने जांच का तरीका बदला। इसके बाद से मरीजों की संख्या में लगातार कर्मी आई है। अब 70 प्रतिशत एंटीजेन व 30 फीसदी आरटीपीसीआर जांच कराई जा रही है। एंटीजेन में वायरस कमजोर होने पर रिपोर्ट निगेेटिव आती है, जबकि आरटीपीसीआर में यही रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। जांच के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े से संक्रमितों की दर घटने का अंदेशा है।
पड़ताल होगी कि किस तरह बिना जांच के रिपोर्ट अपलोड की जा रही है। फर्जीवाड़ा सामने आने पर जिम्मेदार टीम पर कार्रवाई होगी। - संजय भटनागर, सीएमओ