प्रवर्तन निदेशालय ने बृहस्पतिवार को पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ आय से अधिक संपति के मामले में न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। गायत्री पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे व डमी डायरेक्टर के नाम पर अकूत संपति खरीदी। कई संपति बेनामी पाई गई।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि गायत्री प्रसाद प्रजापति ने 2012 और 2017 के विधान सभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को जो हलफनामा दिया था वह झूठा था। गायत्री ने जो हलफनामा दिया उसमें अपने परिवार के लोगों के नाम पर दर्ज संपति को छिपाया। प्रवर्तन निदेशालय को भी आय से अधिक संपति के बारे में कई शिकायतें गायत्री के खिलाफ मिली थीं।
प्रवर्तन निदेशालय ने जब इसकी जांच शुरु की तो पता चला किया गायत्री ने लखनऊ, कानपुर, अमेठी के अलावा मुम्बई में चार फ्लैट और लोनावाला में पांच मंजिला घर लिया खरीदा था। उसकी सौ से अधिक संपितयों के बारे में प्रवर्तन निदेशालय को पता चला था। आरोप पत्र में कहा गया है कि गायत्री अपने नामों से संपतियों को प्राप्त करने के लिए धन के स्रोत के बारे में नहीं बता पाया। गायत्री के आयकर रिटर्न में भी हेराफेरी पाई गई।
प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायाल को बताया है कि गायत्री ने पूछताछ में बताया है कि उसकी पत्नी 2012 से पहले सिलाई और बुनाई से 10 से 15 हजार रुपये महीना कमाती थी। जबकि पत्नी की ओर से दायर आईटीआर में 2013 में पत्नी के नाम पर 69 लाख रुपये का एक घर था जिसे उसने अपने बेटे से लोन लेकर खरीदा था। प्रवर्तन निदेशालय ने जांच में उक्त संपति के भुगतान का विवरण फर्जी पाया। गायत्री ने अपनी बेटियों की आय को कृषि से अर्जित और अन्य व्यवसाय से अर्जित आय बताया था जबकि प्रवर्तन निदेशालय ने पाया कि उनकी बेटियां अभी पढ़ रहीं हैं और वह किसी तरह का कोई कारोबार नहीं करतीं।
मंत्री बनते ही दिन दूना रात चैगुना होता गया बैंक बैलेंस
प्रवर्तन निदेशालय ने चार्जशीट में कहा है कि गायत्री प्रसाद प्रजापति के यूपी सरकार में मंत्री बनने के बाद उनकी खुद की और उनके परिवार के सदस्यों और उनकी कंपनियों के बैंक खातों में भी पर्याप्त नकदी जमा हो गई थी। 2013 से 2017 के बीच उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में 6.60 करोड़ रुपये थे। उनके बेटे और बहुओं ने भी अच्छी खासी अघोषित आय इस दौरान अर्जित की।
ईडी की जांच में पता चला है कि गायत्री प्रजापति के परिवार के सदस्यों की आय में वितीय वर्ष 2013-14 से अचानक और तेज बढ़ोतरी देखी गई जो 2016 तक बढ़ती रही। गायत्री प्रजापति ने 2013 से 2016 के दौरान यूपी के खनन मंत्री के रूप में कार्य किया। जांच में यह भी पता चला कि गायत्री प्रजापति ने अपने कर्मचारियों और सहयोगियों के नाम पर कई बेनामी संपतियां खरीदी गई जिनका भुगतान गायत्री के निर्देश पर किया गया। ज्यादातर भुगतान नकद किया गया।
2013 से 2017 के बीच गायत्री की कुल आय 72.38 लाख रुपये दिखाई गई जिसमें 25.40 लाख रुपये उनका वेतन शामिल था। आय का अधिकतर हिस्सा किराए के रुप में दिखाया गया जिसे प्रवर्तन निदेशालय ने फर्जी पाया।
अन्य आरोपियों के खिलाफ भी जल्द दाखिल होगी चार्जशीट
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कहा गया है कि इस मामले में आगे की जांच जारी है और मुंबई, लखनऊ और अन्य स्थानों में बेनामी संपतियों को जब्त किया जा रहा है। अन्य आरोपियों के खिलाफ जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी। जिसमें गायत्री का बेटा और पत्नी शामिल है।
प्रवर्तन निदेशालय ने बृहस्पतिवार को पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ आय से अधिक संपति के मामले में न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। गायत्री पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे व डमी डायरेक्टर के नाम पर अकूत संपति खरीदी। कई संपति बेनामी पाई गई।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि गायत्री प्रसाद प्रजापति ने 2012 और 2017 के विधान सभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को जो हलफनामा दिया था वह झूठा था। गायत्री ने जो हलफनामा दिया उसमें अपने परिवार के लोगों के नाम पर दर्ज संपति को छिपाया। प्रवर्तन निदेशालय को भी आय से अधिक संपति के बारे में कई शिकायतें गायत्री के खिलाफ मिली थीं।
प्रवर्तन निदेशालय ने जब इसकी जांच शुरु की तो पता चला किया गायत्री ने लखनऊ, कानपुर, अमेठी के अलावा मुम्बई में चार फ्लैट और लोनावाला में पांच मंजिला घर लिया खरीदा था। उसकी सौ से अधिक संपितयों के बारे में प्रवर्तन निदेशालय को पता चला था। आरोप पत्र में कहा गया है कि गायत्री अपने नामों से संपतियों को प्राप्त करने के लिए धन के स्रोत के बारे में नहीं बता पाया। गायत्री के आयकर रिटर्न में भी हेराफेरी पाई गई।
प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायाल को बताया है कि गायत्री ने पूछताछ में बताया है कि उसकी पत्नी 2012 से पहले सिलाई और बुनाई से 10 से 15 हजार रुपये महीना कमाती थी। जबकि पत्नी की ओर से दायर आईटीआर में 2013 में पत्नी के नाम पर 69 लाख रुपये का एक घर था जिसे उसने अपने बेटे से लोन लेकर खरीदा था। प्रवर्तन निदेशालय ने जांच में उक्त संपति के भुगतान का विवरण फर्जी पाया। गायत्री ने अपनी बेटियों की आय को कृषि से अर्जित और अन्य व्यवसाय से अर्जित आय बताया था जबकि प्रवर्तन निदेशालय ने पाया कि उनकी बेटियां अभी पढ़ रहीं हैं और वह किसी तरह का कोई कारोबार नहीं करतीं।
मंत्री बनते ही दिन दूना रात चैगुना होता गया बैंक बैलेंस
प्रवर्तन निदेशालय ने चार्जशीट में कहा है कि गायत्री प्रसाद प्रजापति के यूपी सरकार में मंत्री बनने के बाद उनकी खुद की और उनके परिवार के सदस्यों और उनकी कंपनियों के बैंक खातों में भी पर्याप्त नकदी जमा हो गई थी। 2013 से 2017 के बीच उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में 6.60 करोड़ रुपये थे। उनके बेटे और बहुओं ने भी अच्छी खासी अघोषित आय इस दौरान अर्जित की।
ईडी की जांच में पता चला है कि गायत्री प्रजापति के परिवार के सदस्यों की आय में वितीय वर्ष 2013-14 से अचानक और तेज बढ़ोतरी देखी गई जो 2016 तक बढ़ती रही। गायत्री प्रजापति ने 2013 से 2016 के दौरान यूपी के खनन मंत्री के रूप में कार्य किया। जांच में यह भी पता चला कि गायत्री प्रजापति ने अपने कर्मचारियों और सहयोगियों के नाम पर कई बेनामी संपतियां खरीदी गई जिनका भुगतान गायत्री के निर्देश पर किया गया। ज्यादातर भुगतान नकद किया गया।
2013 से 2017 के बीच गायत्री की कुल आय 72.38 लाख रुपये दिखाई गई जिसमें 25.40 लाख रुपये उनका वेतन शामिल था। आय का अधिकतर हिस्सा किराए के रुप में दिखाया गया जिसे प्रवर्तन निदेशालय ने फर्जी पाया।
अन्य आरोपियों के खिलाफ भी जल्द दाखिल होगी चार्जशीट
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कहा गया है कि इस मामले में आगे की जांच जारी है और मुंबई, लखनऊ और अन्य स्थानों में बेनामी संपतियों को जब्त किया जा रहा है। अन्य आरोपियों के खिलाफ जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी। जिसमें गायत्री का बेटा और पत्नी शामिल है।